अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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बुधवार, 10 अगस्त 2011
शव उठाना भारी पड़ रहा है
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ह र महिने कम से कम एक दर्जन निमंत्रण पत्र मिल जाते हैं। इन में कुछ ऐसे समारोहों के अवश्य होते हैं जिस में किसी न किसी का सम्मान किया जा रह...
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रविवार, 7 अगस्त 2011
नाचते ही जा रहे हैं, अंकल सैम
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कविता नाचते ही जा रहे हैं, अंकल सैम नाच ..! नाच ...! नाच ...! नाचते ही जा रहे हैं, अंकल सैम तनिक रुक कर साँस तक नहीं ल...
19 टिप्पणियां:
बुधवार, 3 अगस्त 2011
परिस्थितियाँ निर्णायक होती हैं
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स हजीवन मनुष्य का स्वाभाविक गुण भी है और आवश्यकता भी। बालक को जन्मते ही अपनी माँ का साथ मिलता है। उसी के माध्यम से उसे विकसित होने का अवस...
15 टिप्पणियां:
सोमवार, 1 अगस्त 2011
भाई जी! आप ने अब तक कोई सपना देखा, या नहीं?
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स र्वत्र लूट मची है। जिसे जहाँ अवसर मिल रहा है लूट रहा है। कोई लूट नहीं पा रहा है तो खसोट ही रहा है। बहुत सारे ऐसे भी हैं, जो न लूट पा र...
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रविवार, 31 जुलाई 2011
रेलवे ने 90वें दिन के बाद के भी आरक्षित टिकट जारी किए
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भा रतीय रेलवे भारत में यात्रा का उपयुक्त साधन है। हर तरह के यात्री इस में यात्रा करते हैं। लंबी दूरियों की यात्रा करने वाले सभी यात्री...
16 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 29 जुलाई 2011
मौजूदा जमाने के उसूल
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आ ज के स्थानीय दैनिकों में समाचार है कि राज्य सरकार ने सफाई ठेकों पर महापौर की आपत्ति खारिज कर दी है और मुख्य नगरपालिक अधिकारी को राजस्था...
8 टिप्पणियां:
शुक्रवार, 22 जुलाई 2011
हमें ये परंपराएँ बदलनी होंगी
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पू र्वाराय एक जनसांख्यिकीविद (Demographer) है, और वर्तमान में जनस्वास्थ्य से जुड़ी एक परियोजना में शोध अधिकारी है। अनवरत पर प्रकाश...
20 टिप्पणियां:
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