अनवरत
क्या बतलाएँ दुनिया वालो! क्या-क्या देखा है हमने ...!
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बुधवार, 19 मई 2010
उन्नीस मई का दिन, शादी के बाद की पहली रात
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पिछली पोस्ट से आगे... दो घण्टे भी न गुजरे थे कि एक बार फिर से घोड़ी की पीठ पर सवारी करनी पड़ी। बचपन में अपने मित्र बनवारी लखारा की घोड़ी ...
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मंगलवार, 18 मई 2010
अठारह मई का वह दिन !!!
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अ ठारह मई का वह दिन कैसे भूला जा सकता है? दो बरस पहले से जिसे देखने और मिलने की आस लगी थी वह इस दिन पूरी होने वाली थी। हुआ यूँ था .........
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सोमवार, 17 मई 2010
'अग्नि देवता' -यादवचंद्र के प्रबंध काव्य "परंपरा और विद्रोह" का चतुर्थ सर्ग
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अ नवरत के पिछले अंकों में आप यादवचंद्र जी के प्रबंध काव्य "परंपरा और विद्रोह" के तीन सर्ग पढ़ चुके हैं। इन कड़ियों को ऊपर दिए गए ...
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रविवार, 16 मई 2010
वानर से नर और लुटेरी अर्थव्यवस्था से पशुपालन तक
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पे ड़ों पर चढ़ने वाले एक वानर-दल से मानव-समाज के उदित होने से निश्चय ही लाखों वर्ष - जिन का पृथ्वी के इतिहास में मनुष्य-जीवन के एक क्षण से अ...
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शनिवार, 15 मई 2010
शायर और गीतकार जावेद अख़्तर को मिली धमकी की निंदा और धमकी देने वाले के विरुद्ध त्वरित सख्त कार्रवाई की मांग करें।
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भा रत देश का शासन संविधान से चलता है और वह इस देश की सर्वोच्च विधि है। इस विधि के अंतर्गत सभी को अपने विचार अभिव्यक्त करने की आजादी है। किसी...
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शुक्रवार, 14 मई 2010
आलोचना, चाटुकारिता और निन्दा - अपराध और परिवीक्षा
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ह मारे पास माध्यम के रूप में सब से पहले काव्य कृतियाँ सामने आईं जो लिखित न होते हुए भी श्रुति से हमारे बीच थीं। इन कृतियों में सब कुछ था। जी...
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बुधवार, 12 मई 2010
"पौरुष और कला" - यादवचंद्र के प्रबंध काव्य "परंपरा और विद्रोह" का तृतीय सर्ग
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1. परंपरा और विद्रोह : प्रथम सर्ग "धरती माता" पूर्वार्ध.. 2. परंपरा और विद्रोह: प्रथम सर्ग "धऱती माता" (उत्तरार्ध) 3....
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