अनवरत
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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011
भारतीय समाज में गोत्र व्यवस्था : बेहतर जीवन की ओर-13
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ह मने इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में अमरीकी इंडियन गोत्र व्यवस्था के बारे में जाना। कुछ हजार वर्ष पहले तक पूरी दुनिया में मानव समाज ऐसा ...
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रविवार, 6 नवंबर 2011
कबीलों का महासंघ : बेहतर जीवन की ओर-12
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इरोक्वाई इ स तरह कबीलों में संघ बनाने की प्रवृत्ति विकसित होने लगी। कुछ खास कबीलों ने जो आरंभ में रक्तसंबंधी थे लेकिन अलग हो गए थे फि...
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शनिवार, 5 नवंबर 2011
अमंरीकी इंडियन कबीले : बेहतर जीवन की ओर-11
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ह म ने देखा की गोत्र अमरीकी इंडियन जनों में समाज की इकाई के रूप में था। उन से मिल कर बिरादरी बनती थी और अनेक बिरादरियाँ मिल कर एक कबीले का...
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शुक्रवार, 4 नवंबर 2011
इरोक्वाई बिरादरियाँ : बेहतर जीवन की ओर-10
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इ रोक्वाई गोत्र के सद्स्यों का कर्तव्य था कि वे एक दूसरे की मदद और रक्षा करें। सदस्य अपनी रक्षा के लिए गोत्र की शक्ति पर निर्भर करता था। ...
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गुरुवार, 3 नवंबर 2011
गोत्र आधारित समाज : बेहतर जीवन की ओर-9
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ल्यू इस एच. मोर्गन विशेष ज्ञान रखने वाले ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्हों ने मनुष्य के प्राक् इतिहास को एक निश्चित क्रम प्रदान करने का प्रयत्...
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मंगलवार, 1 नवंबर 2011
राज्य पूर्व के समाज : बेहतर जीवन की ओर-8
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इ स श्रंखला के पिछले आलेख में मैं ने कहा था कि मनुष्य ने अपने जीवन के दो लाख वर्षों का लगभग 95 प्रतिशत काल बिना किसी राज्य व्यवस्था के बित...
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सोमवार, 31 अक्तूबर 2011
दीवाली खास क्यों?
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पि छले महीने कुछ निजि कारणों से अपनी ब्लागरी में व्यवधान आया। दीवाली का त्यौहार भी उन में से एक कारण था। बेटी और बेटा दोनों बाहर हैं, तो प...
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