tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post8456630667340832257..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: पेट का दर्ददिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-80577026830389774122011-07-21T13:20:18.827+05:302011-07-21T13:20:18.827+05:30हास्य और व्यंग्य दोनों का अच्छा सम्मिश्रण किया...हास्य और व्यंग्य दोनों का अच्छा सम्मिश्रण किया है आपने अपनी पोस्ट में। साथ ही अस्पताल और अदालत दोनों की दुनिया की एक झलक भी दिखला दी। बहुत बढिया।जीवन और जगत https://www.blogger.com/profile/05033157360221509496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-86644063501707223132011-07-21T12:38:03.131+05:302011-07-21T12:38:03.131+05:30हाथ आया मौका कौन छोड़ता है?
:-)हाथ आया मौका कौन छोड़ता है?<br />:-)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-24026120584901066562011-07-21T09:43:45.952+05:302011-07-21T09:43:45.952+05:30जयपुर की कल की ही एक घटना है...योगेश जो अब २७ साल ...जयपुर की कल की ही एक घटना है...योगेश जो अब २७ साल का है, जब १३ साल का था तो आरोप के मुताबिक डॉक्टर की लापरवाही से उसका दायां हाथ कट गया...ज़िला उपभोक्ता फोरम ने फैसला अस्पताल के हक में दिया...केस राज्य उपभोक्ता आयोग के पास गया...आयोग ने कल अस्पताल को पचास लाख रुपये हर्जाना दो महीने में चुकाने का आदेश दिया है...लेकिन अस्पताल अब भी गलती मानने को तैयार नहीं है...यानि अस्पताल के पास अब भी राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग या सुप्रीम कोर्ट के पास जाने का रास्ता खुला है...योगेश को १४ साल कानूनी लड़ाई लड़ते हो गए है, अभी भी उसे इन्साफ़ का इंतज़ार है...और कौन जाने आखिर में क्या फैसला होगा...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-47012143218295204312011-07-21T06:39:05.657+05:302011-07-21T06:39:05.657+05:30क्यों सिरफ़िरा जी,
आपने भी मुझे फँसा दिया। अपनी ग...क्यों सिरफ़िरा जी,<br /><br />आपने भी मुझे फँसा दिया। अपनी गलती मैंने स्वीकार ली थी। वकील साहब वकील तो हैं ही। लेकिन इसमें डरने और हार-जीत की कोई बात नहीं है। अब टिप्पणियों में हमेशा समर्थन थोड़े ही करेंगे? जहाँ लगेगा कि कुछ अलग है, वहाँ कहेंगे ही। द्विवेदी जी तो मेरे लिए भी सम्माननीय हैं। मैं उनका अपमान नहीं कर रहा था और वे भी मुझे अपमानित नहीं करना चाहते थे और सामान्य बात ही कही मुझसे। मैं भी वैसे ही हूँ और वे भी। <br /><br />हार मानने का सवाल नहीं है। हार तो हम भी नहीं मानते। कितनी बार लोगों से सुन चुके हैं कि वकील ही बन जाओ! <br /><br />पहली दो टिप्पणियों में मैंने अपनी तरफ़ से तो बात कही है। हँसी और रुलाई तो अपनी अपनी समझ है। आप भी बुरा नहीं मानेंगे। चलूं…चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-91569933989480412462011-07-21T03:46:19.367+05:302011-07-21T03:46:19.367+05:30गुरुवर जी, आपकी कुछ पोस्टों पर कुछ दिनों से मरता व...गुरुवर जी, आपकी कुछ पोस्टों पर कुछ दिनों से मरता व पड़ता ही आता हूँ. तब तक बहुत सारी टिप्पणियाँ आ चुकी होती है. सबसे बाद मेरी टिप्पणी आपको मिलती है. उसके बाद लोग टिप्पणी करना भूल जाते हैं और मुझे सबसे नीचे आपको चरणों में स्थान मिल जाता हैं, यह मेरा सौभाग्य है.आपका पूरा लेख पढकर गंभीर हुआ और कुछ टिप्पणियाँ पढकर बहुत हँसी भी. इसका कारण उनकी टिप्पणियों में हास्य का पुट था.<br /><br />टिप्पणीकर्त्ता ध्यान दें-कृपया आप बुरा न माने-समय के अभाव में छोटे नाम लिख रहा हूँ किसी का सर नेम आदि नहीं लगा रहा हूँ.श्री चन्दन ने अपनी पहली दो टिप्पणी में हँसा दिया.श्री रतन ने जोर का झटका धीरे से दिया.अच्छा सबक मिला होगा शायद डाक्टरों को.श्री धीरू ने नया शब्द सोचने पर मजबूर किया. श्री अनूप ने खोज का विषय दे दिया. श्री अख्तर साब ने अंग्रेजी में कठुआ सच कह दिया जिसको समझने ही देर हो गई.श्री निशांत के पहले पैराग्राफ से सहमत और दूसरे से असहमत हूँ.श्री प्रवीन की टिप्पणी में डाक्टरी भाषा कहूँ या अंग्रेजी के शब्द होने के कारण सिर के ऊपर से चली गई. श्री सतीश आपकी किसी बात विरोध ही नहीं कर सकते हैं? हमेसा आपकी .....में लगे रहते हैं. श्री सुनील ने अपने अनुभव ज्ञान देकर मस्तिक प्रकाशमय कर दिया.श्री रविन्द्र ने गहरा चिंतन किया.आदरणीय मीनाक्षी ने भाग्य और भगवान से गहरा नाता जोड़ लिया. उड़न तश्तरी ने ऐसा यक्ष प्रश्न किया जिसका किसी के पास उत्तर नहीं.मेरे पास हैं तो स्वार्थी नेता और जज उसको हजम नहीं कर पाएंगे. इसलिए मैं भी अन्य की तरह ऐसे ही काम चला लेता हूँ.श्री मनोज से लेकर श्री प्रसाद तक सब चिंतित. अब दुबारा चन्दन ने प्रश्न पर दगा और भूल गया आप वकील है,जल्दी से हार नहीं मानेंगे. आप उनको ही प्रश्न का उत्तर देने के लिए बोल दिया.उसके बाद आई दो टिप्पणियों में श्री भारतीय ने एक में पोल खोल दी और दूसरी को रहस्यमयी बना दिया. फिर श्री चन्दन ने आपसे तौबा कर ली. अपने बनाये जाल में जो फंस गए थें.मेरे ख्याल से पहले शीर्षक सुझाते फिर कहते तब अच्छा होता. वैसे इसके यह शीर्षक भी हो सकते है.<br />१. जज, डाक्टर और पेट दर्द २. पेट दर्द पीड़ित की, न्याय की पुकार ३. मैं और पेट दर्द पीड़ित ४. पेट दर्द और न्याय व्यवस्था. इस पोस्ट के शीर्षक बहुत सारे हो सकते हैं मगर मुझे यहाँ पोस्ट को शीर्षक नहीं देना, क्योंकि यहाँ संपादक नहीं हूँ.बल्कि एक टिप्पणीकर्त्ता हूँ.दोनों के कार्य अलग-अलग हैं. <br /><br />गुरुवर जी, सबका पोस्टमार्टम कर दिया.मेरा अपने पेशेगत तीनों कोटों(काला कोट, सफेद कोट और खाकी वर्दी) वालों से वास्ता पड़ता रहता है.कहीं मरीज मजबूर, कहीं शिकायतकर्त्ता मजबूर, कहीं आरोपी कहूँ अपराधी मजबूर. उसके बाद कहीं आपका शिष्य मजबूर,जो करना बहुत चाहता हैं, मगर अव्यवस्था के आगे अपनी पूरी ईमानदारी से अच्छे बुरे शब्दों का प्रयोग करके समाचार प्रकाशित करके अपना फर्ज पूरा करके चलता बनता हैं, अपने घर की ओर ग्रहयुध्द(बर्तन मांजने और साफ़-सफाई करना आदि के साथ ही अपनी अन्य दिनचर्या निपटाने) लड़ने के लिये वहाँ भी मोर्चा लड़ना है और जीतना भी है.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-2033504128903742002011-07-20T23:19:43.788+05:302011-07-20T23:19:43.788+05:30आपने तो मुझे डरा दिया या कहें चक्कर में डाल दिया। ...आपने तो मुझे डरा दिया या कहें चक्कर में डाल दिया। मुझे लिखना था शीर्षक अच्छा नहीं लग रहा है। कहा गया अच्छा नहीं है, एकदम जज के माफ़िक। लेख का आधा हिस्सा और मूल विषय पेट नहीं अन्याय है और शोषण है, डोनेशन भी है, भ्रष्टाचार भी है। इसलिए कहा कि पेट का दर्द तो चिकित्सा विज्ञान का शीर्षक ही हो जाता है।<br /><br />आपको मैं शीर्षक सुझाऊँ, ये तो मेरे वश का नहीं है। माफ़ करेंगे।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-82693643775086330862011-07-20T23:15:55.056+05:302011-07-20T23:15:55.056+05:30लेकिन अभी भी हैं, कम हैं बहुत कम. हाथ में सर्चलाईट...लेकिन अभी भी हैं, कम हैं बहुत कम. हाथ में सर्चलाईट लेकर खोजने से मिल जाते हैं. दिक्कत यह है कि समाज अब ईमानदारों को ........ की श्रेणी में रखता है..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-29158067501887109762011-07-20T23:14:29.782+05:302011-07-20T23:14:29.782+05:30लूट मची है लूट... अब तो चैरिटेबल ट्रस्ट बना लिये ह...लूट मची है लूट... अब तो चैरिटेबल ट्रस्ट बना लिये हैं इन सबने और टैक्स बचाने का भी साधन खोज लिया..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-44299979948215031482011-07-20T22:20:24.058+05:302011-07-20T22:20:24.058+05:30चंदन जी, आप कोई अच्छा सा शीर्षक सुझाएँ।चंदन जी, आप कोई अच्छा सा शीर्षक सुझाएँ।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-56442640925187166472011-07-20T22:12:43.499+05:302011-07-20T22:12:43.499+05:30इस पोस्ट का शीर्षक सही नहीं है। अब यह कोई नहीं सोच...इस पोस्ट का शीर्षक सही नहीं है। अब यह कोई नहीं सोचे कि सब पढ़ने के बाद कह रहा हूँ।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-33413652033040321872011-07-20T21:21:59.211+05:302011-07-20T21:21:59.211+05:30ये सफ़ेद और काले कोट वाले लूट मचाए हुए हैं [आप को ...ये सफ़ेद और काले कोट वाले लूट मचाए हुए हैं [आप को छोड कर:)]चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-52085430066277809502011-07-20T19:51:49.178+05:302011-07-20T19:51:49.178+05:30sab jagah yahi aalam haisab jagah yahi aalam haiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-74283784542648659422011-07-20T17:05:04.355+05:302011-07-20T17:05:04.355+05:30हर जगह बडा गोरखधंध चल रहा है। कहां कहां देखा जाए।
...हर जगह बडा गोरखधंध चल रहा है। कहां कहां देखा जाए।<br />------<br /><b><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">जीवन का सूत्र...</a></b><br /><b><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">NO French Kissing Please!</a></b>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-74469192964262579932011-07-20T16:18:41.562+05:302011-07-20T16:18:41.562+05:30सभी पेशे में ऐसे लोग आ गए हैं... बेहतरीन आलेख .. इ...सभी पेशे में ऐसे लोग आ गए हैं... बेहतरीन आलेख .. इस से जागरूकता बढ़ेगी...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-21295580544877338132011-07-20T15:54:51.834+05:302011-07-20T15:54:51.834+05:30त्रुटी सुधार --कम से कम .त्रुटी सुधार --कम से कम .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-53635379750595034062011-07-20T15:52:56.739+05:302011-07-20T15:52:56.739+05:30क्या कहें , सारे देश में ही लूट खसोट का माहौल बना ...क्या कहें , सारे देश में ही लूट खसोट का माहौल बना हुआ है .डॉक्टर्स भी उसका ही एक हिस्सा हैं . <br />कैपिटल फीस देकर जो डॉक्टर बनते हैं , निश्चित ही वह ऐसा ज्यादा करते हैं . आखिर सब नाप तोल की बात है . <br /><br />लेकिन सब बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है . काम से काम इस पेशे में तो ऐसा होना मानवता के विरुद्ध है .डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-41878116141728704072011-07-20T15:23:04.977+05:302011-07-20T15:23:04.977+05:30अस्पताल और स्कूल दोनों ही आम आदमी के जरूरत की जगह ...अस्पताल और स्कूल दोनों ही आम आदमी के जरूरत की जगह हैं, जहाँ पर इस तरह का भ्रष्टाचार शोचनीय है।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-20085536875159490292011-07-20T14:47:47.753+05:302011-07-20T14:47:47.753+05:30बहुत ही चिंतनीय स्थिति है,पता नहीं इस देश को किसकी...बहुत ही चिंतनीय स्थिति है,पता नहीं इस देश को किसकी नजर लग गयी?डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-57568818813187956102011-07-20T14:28:51.714+05:302011-07-20T14:28:51.714+05:30बहुत अफसोसजनक है डॉक्टरों का यह व्यवहार और जज के द...बहुत अफसोसजनक है डॉक्टरों का यह व्यवहार और जज के द्वारा भी इस तरह का वार्तालाप....अचरज पैदा करता है....क्या रास्ता है!!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-12745246837969240012011-07-20T12:06:45.790+05:302011-07-20T12:06:45.790+05:30अस्पतालों के चक्कर लगाकर यही जाना कि भाग्य अच्छा त...अस्पतालों के चक्कर लगाकर यही जाना कि भाग्य अच्छा तो सब अच्छे नहीं तो ऊपर वाला मालिकमीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-8152032672743826242011-07-20T12:06:03.950+05:302011-07-20T12:06:03.950+05:30रवीन्द्र प्रभात जी की बात कुछ तो सही है लेकिन जरा ...रवीन्द्र प्रभात जी की बात कुछ तो सही है लेकिन जरा यह बताएँ कि बिना डोनेशन के 100 डॉक्टरों में कितने ऐसे हैं जिन्हें हम ईमानदार कहें।<br /><br />डॉक्टरों पर कुछ लिखा है यहाँ-http://hindibhojpuri.blogspot.com/2011/02/blog-post.htmlचंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-65564299000134441602011-07-20T11:55:56.728+05:302011-07-20T11:55:56.728+05:30यह सच है की डोनेशन शिक्षा प्रणाली को प्रदूषित कर र...यह सच है की डोनेशन शिक्षा प्रणाली को प्रदूषित कर रहा है और इससे पैदा होने वाले डॉक्टर-इंजिनियर हमारी व्यवस्था को कलंकित कर रहे हैं ! दुर्भाग्य है इस देश के नागरिकों का जिनको इस तरह की व्यवस्थाएं मिली है| अनूप जी की बातों से सहमत की एक जज के पास कहाँ से आये इत्ते पैसे ?रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-49154363857127408432011-07-20T10:24:52.533+05:302011-07-20T10:24:52.533+05:30दिनेश जी, आप की पोस्ट पढ़ कर तीस चालिस पहले की एक ...दिनेश जी, आप की पोस्ट पढ़ कर तीस चालिस पहले की एक घटना याद आ गयी, जब दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में गाँव की एक औरत जो पैर के अँगूठे में दर्द के लिए आयी थी, उसकी एक शौध कार्यक्रम के लिए बिना उसे कुछ ठीक से बताये या पूछे, उसकी हड्डी की बायोप्सी कर दी गयी थी, और वह बेचारी ओपरेशन के बाद सबको कह रही थी कि मेरे अंगूठे में दर्द है कूल्हे में नहीं था जहाँ मेरा ओपरेशन किया है, पर कौन सुनता था वहाँ.<br /><br />पर आप के मुवक्किल के केस के बारे में यह कहने से पहले कि एन्जियोप्लास्टी गलत की गयी, उसके पुराने ईसीजी तथा अन्य टेस्टों की जाँच करा लीजिये. कभी कभी हार्ट अटैक पेट दर्द के रूप में आता है तो उस समय एन्जियोप्लास्टी करना जान बचाने का ओपरेशन हो जाता है. अगर उसने पहले कभी ईसीजी नहीं करवाया था, और उसे हार्ट अटैक नहीं भी था, अस्पताल वाले किसी ओर हार्ट अटैक वाले का ईसीजी दिखवा कर कह सकते हैं कि उन्होंने ओपरेशन जान बचाने के लिए किया.<br /><br />यह भी हो सकता है कि अगर सचमुच हार्टअटैक नहीं था, तो पूरा एन्जियोप्लास्टी का पूरा ओपरेशन हुआ ही न हो, बल्कि बाहर से केवल ओपरेशन का दिखावा किया गया हो.<br /><br />जो स्थिति भारत के बारे में बता रहे हैं, इसमें ईमानदार डाक्टरों को मिल कर अपनी कमेटी बनानी चाहिये ताकि इस तरह के मामलों की निष्पक्ष जाँच कर सकें क्योंकि बहुत सी बातें केवल अन्य डाक्टर समझते हैं, जज कैसे समझेंगे?Sunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-83223569589963206932011-07-20T09:33:27.750+05:302011-07-20T09:33:27.750+05:30बड़ा प्यारा वर्णन है अदालत का भाई जी ....कई भेद अब...बड़ा प्यारा वर्णन है अदालत का भाई जी ....कई भेद अब पता चल रहे हैं ! वकीलों की अपनी समस्याएं होती हैं :-)<br /><br />भगवान बचाए इन डाक्टरों से...अगर गलती से भी फँस गए तो इतनी बीमारियाँ बता देंगे कि आप कम से कम छः माह तक अपने आपको गंभीर बीमार मानते रहें ! <br /><br />बीमारी से ज्यादा यह डॉ खतरनाक हैं !<br />हार्दिक शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-38676209127338774512011-07-20T08:03:18.706+05:302011-07-20T08:03:18.706+05:30पेट का दर्द, हार्ट अटैक और गैस्ट्रिक। एक और घटना द...पेट का दर्द, हार्ट अटैक और गैस्ट्रिक। एक और घटना देखी थी जब हार्ट अटैक को गैस्ट्रिक समझ कर ध्यान नहीं दिया था एक व्यक्ति ने।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com