tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post8211394382663079038..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: नवरात्र और दशहरा : जब हम किशोर थेदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-27750892361404513222008-10-13T19:45:00.000+05:302008-10-13T19:45:00.000+05:30तुलसी साहित्य की बात तो शत प्रतिशत सच है. खास कर '...तुलसी साहित्य की बात तो शत प्रतिशत सच है. खास कर 'मानस' जीतनी बार पढिये कुछ न कुछ नया मिलता ही है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-36483195081195887642008-10-11T21:47:00.000+05:302008-10-11T21:47:00.000+05:30सार्थक और बहाब पूर्ण आलेख के लिए धन्यवाद आपका आगम...सार्थक और बहाब पूर्ण आलेख के लिए धन्यवाद आपका आगमन मेरा सौभाग्य है हार्दिक धन्यबाद आपका आगमन नियमित बनाए रखें मेरी नई रचना पढ़े <BR/>हिन्दी काव्य मंच: दिल की बीमारीप्रदीप मानोरियाhttps://www.blogger.com/profile/07696747698463381865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-54979949990546453922008-10-09T18:26:00.000+05:302008-10-09T18:26:00.000+05:30आदरणीय दिवेदी जी /अभी में आपका लेख औधोगिक विवाद अध...आदरणीय दिवेदी जी /अभी में आपका लेख औधोगिक विवाद अधिनियम पढ़ रहा था =आप २५ साल से इस क्षेत्र की याने शायद श्रमिकों की ओर से या कम्पनी की ओर से विकालत कर रहे हैं और श्रमिकों की परेशानी से अबगत करा रहे थे उसे छोड़ा मैंने कहा वहाँ चलो जहाँ कुछ शान्ति मिले ,सो मजदूरों को छोड़ रामलीला में आगया हमें भी गुज़रे वक्त की रामलीला याद आगई /क्या आनंद था /रावण का दरवार ,अंगद पहुचे ,ज़ोर से चिल्लाये ""रखा है पाँव अंगद ने ""-फिर चीखे अरे मर गया रे / मंच में एक जगह कील निकली थी और उसी पर अंगद ने पैर ज़ोर से दे माराBrijmohanShrivastavahttps://www.blogger.com/profile/04869873931974295648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-39363707792399574522008-10-09T11:08:00.000+05:302008-10-09T11:08:00.000+05:30बचपन से युवावस्था तक दशहरे की स्मृतियां अपूर्व है....बचपन से युवावस्था तक दशहरे की स्मृतियां अपूर्व है...<BR/>अच्छा संस्मरण । विजया दशमी की बधाइयां....अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-31065875830533521602008-10-09T07:23:00.000+05:302008-10-09T07:23:00.000+05:30रामलीला तो हमने भी बहुत देखी है बचपन में लेकिन ऐसा...रामलीला तो हमने भी बहुत देखी है बचपन में लेकिन ऐसा पाठ वगैरह कभी नही कियाTarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-31467911814765006932008-10-08T21:46:00.000+05:302008-10-08T21:46:00.000+05:30बहुत बढ़िया संस्मरण। और मनोयोग से अपने प्रस्तुत भी ...बहुत बढ़िया संस्मरण। और मनोयोग से अपने प्रस्तुत भी किया।<BR/>नवरात्र हिन्दू पर्यूषण पर्व है - यह भी मैने जाना। <BR/>हृदय से धन्यवाद इस पोस्ट के लिये।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-63148710726555798262008-10-08T19:45:00.000+05:302008-10-08T19:45:00.000+05:30रामलीला, माँ की आराधना दादाजी का सत्`चरित्र, झाँकी...रामलीला, माँ की आराधना दादाजी का सत्`चरित्र, झाँकीयाँ, गाँव का अखाडा और हनुमान जी,विविध पात्र सब सजीव हो गया <BR/>सँस्मरनोँ की ताकत चुम्बकीय है -साकार जीवनमय !बहुत सुखकर !आपके पूज्य दादाजी को सादर नमन ! ऐसे लेख और लिखियेगा<BR/>आभार आज के आलेख का ~~<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-68007587703447085962008-10-08T19:09:00.000+05:302008-10-08T19:09:00.000+05:30राम लीला की यादे ताजा हो गई ..राम लीला की यादे ताजा हो गई ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-7750647192830724862008-10-08T13:34:00.000+05:302008-10-08T13:34:00.000+05:30आपसे उम्र में बहुत छोटा हूँ पर रावण दहन देखने जा...आपसे उम्र में बहुत छोटा हूँ पर रावण दहन देखने जाना आज भी याद है .अब वक़्त बदल गया है .भीड़ भले इलाके में जाने से दहशत होती है ...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-43708299780983609782008-10-08T13:17:00.000+05:302008-10-08T13:17:00.000+05:30मैंने तो कभी रामलीला नहीं देखी ना ही तुलसी को पढ़ा...मैंने तो कभी रामलीला नहीं देखी ना ही तुलसी को पढ़ा हां पर इसे देखने-पढ़ने की विकट इच्छा है....शायद कभी पूरी ना हो पाये<BR/><BR/>हां इस त्यौहार के मौसम में बचपन में पटाखे चलाने का बड़ा शौक था....कहीं न कहीं से पैसे कबाड़कर रोज पटाखे की दुकान पर पहुंच जाते थेbhuvnesh sharmahttps://www.blogger.com/profile/01870958874140680020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-43752895019047865342008-10-08T12:16:00.000+05:302008-10-08T12:16:00.000+05:30आपने मुझे मेरे गांव की सैर करा दी । रामलीला में मै...आपने मुझे मेरे गांव की सैर करा दी । रामलीला में मैं सती सुलोचना की भूमिका (जिसे 'पार्ट' कहा जाता है) निभाता और अपने मृतक पति की कटी भुजा हाथों में लेकर विलाप करता । अब तो रामलीला का स्वष्प भी बदलने लगा है । यह स्वाभाविक ही है ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-72898596029197304302008-10-08T09:46:00.000+05:302008-10-08T09:46:00.000+05:30रावण मरते ही फ़िर पैदा हो रहा है। हमारे छत्तीसगढ मे...रावण मरते ही फ़िर पैदा हो रहा है। हमारे छत्तीसगढ मे तो हर शहर ,हर कस्बे मे एक इलाका या मैदान रावण के नाम पर होता है,रावणभाठा कहा जाता है उसे।हर साल रावण मारना पड रहा है मगर रावण मरने का नाम ही नही लेता। आपको पढ कर बचपन याद आ गया। अब तो लगता है त्योहार के नाम पर औपचारिकतायें ही पूरी की जाती है। आपके पूज्य दादाजी को नमन करता हूं।कोशिश करूंगा की अपनी गल्तियों की माफ़ी मांगना शुरु कर सकुं।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-48486828432193954122008-10-08T09:30:00.000+05:302008-10-08T09:30:00.000+05:30पचपन में बचपन को याद दिलाती जोरदार पोस्ट ! तुलसी क...पचपन में बचपन को याद दिलाती जोरदार पोस्ट ! <BR/>तुलसी के काव्य को समझने के लिए उसे कई कई बार अपनी रुचि से जब जब पढ़ा बहुत आनंद मिला और ज्ञान भी।<BR/>सहमत !!Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-20383944573718667662008-10-08T08:40:00.000+05:302008-10-08T08:40:00.000+05:30बचपन की ख़ूबसूरत यादे मन में उत्साह और उमंगो की तरं...बचपन की ख़ूबसूरत यादे मन में उत्साह <BR/>और उमंगो की तरंगे पैदा कर देता है ,<BR/>मै भी बचपन में काफी रामलीला देखा<BR/>करता था और यही यादो को सहेजने<BR/>के लिए ब्लॉग निरंतर में रामलीलाओं के<BR/>सम्बन्ध में लिख रहा हूँ . जबलपुर में <BR/>रामलीलाओं का इतिहास काफी पुराना<BR/>है और आज भी उनकी लोकप्रियता<BR/>बरकरार है . बढ़िया आलेख प्रस्तुति<BR/>के लिए आभार.<BR/>जे मान भवानी सदा सहाय करे.महेन्द्र मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/00466530125214639404noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-61056052741478181622008-10-08T08:18:00.000+05:302008-10-08T08:18:00.000+05:30"उस के लिए वर्ष में दो बार नवरात्र में माँ से क्षम..."उस के लिए वर्ष में दो बार नवरात्र में माँ से क्षमा मांगता हूँ, प्रायश्चित करता हूँ। शायद माँ माफ कर दें मुझे मेरी गलतियों के लिए पापों के लिए। "<BR/><BR/>कितने लोगो में आज यह साहस बचा है ? अपने को स्वयं को भी ग़लत मान लेना और फ़िर क्षमा मांगना ! परम-पूज्य दादाजी को आज नवमी पर्व पर मेरे प्रणाम ! काश उनके आशीर्वाद से हम भी यह साहस जुटा पाये तो यह जीवन भी अलौकिक हो सकता है ! मैं भी नवरात्र करता हूँ पर शायद ये साहस नही जुटा पाया ! आज माँ के सामने ये प्रार्थना जरुर करूंगा और इसको नियमित जीवन में भी अपना लिया जाए तो मैं सोचता हूँ की ये एक अद्भुत प्रार्थना होगी ! आपने जिस तरह से बचपन की यादों का खाका खींचा हैं वो मन तो मोहता ही है , सारी यादे आँखों के सामने ले आता हैं ! आपको बहुत २ शुभकामनाएं !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-79216456801227743282008-10-08T05:59:00.000+05:302008-10-08T05:59:00.000+05:30मुझे भी याद है अपने नानाजी के कन्धों पर बैठकर रामल...मुझे भी याद है अपने नानाजी के कन्धों पर बैठकर रामलीला की झांकियां देखना. पंडित राधेश्याम उनके कुल में से ही थे. अब तो उन दिनों की बस मधुरिम यादें ही बची हैं.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-57476387523833261232008-10-08T05:30:00.000+05:302008-10-08T05:30:00.000+05:30आपसे बहुत कम उम्र है मेरी , फ़िर भी इतने समय में भ...आपसे बहुत कम उम्र है मेरी , फ़िर भी इतने समय में भी समाज में काफी परिवर्तन आया है / आप की यह पोस्ट से मुझे भी अपने बचपन के दिन याद आ गए जो की २०-२५ वर्षा पहले ही की बात है / जाहिर है आप के बचपन का मजा ही कुछ और रहा होगा / आप इस मामले में मुझसे अधिक भाग्यशाली हैं / इन यादों को पुनर्जीवित करने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद्!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-75777627011940764882008-10-08T05:29:00.000+05:302008-10-08T05:29:00.000+05:30मैं भी बचपन में रामलीला का काफी आनन्द लेता था | पि...मैं भी बचपन में रामलीला का काफी आनन्द लेता था | <BR/>पिता जी हम लोगों को रामलीला ले जाते थे | बड़े <BR/>मज़ेदार दिन थे वो | ज़ब से नौकरी लगी और मैं <BR/>अमेरिका आ गया उसके बाद से काफी समय से <BR/>दशहरा दीवाली का पुराना मज़ा नहीं आ रहा है |Vivek Guptahttps://www.blogger.com/profile/14118755009679786624noreply@blogger.com