tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post7870346317231391098..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: वे संघर्षो से हथियार बंद बलों के माध्यम से निपटने के आदी हो चुके हैंदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-69686835132893816732010-08-19T22:47:25.446+05:302010-08-19T22:47:25.446+05:30वे संघर्षो से हथियार बंद बलों के माध्यम से निपटने ...वे संघर्षो से हथियार बंद बलों के माध्यम से निपटने के आदी हो चुके हैं...<br /><br />का इसीलिए ही इनके प्रतिरोध में संघर्ष भी हथियारबंद होते जा रहे हैं...<br /><br />बेहतर और जरूरी बात...रवि कुमार, रावतभाटाhttps://www.blogger.com/profile/10339245213219197980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-82141660389570846972010-08-19T22:29:19.023+05:302010-08-19T22:29:19.023+05:30जब तक सरकारें बस शहरों में पैसा झोंकने का बाज नहीं...जब तक सरकारें बस शहरों में पैसा झोंकने का बाज नहीं आएंगी, मुश्किल है चैन की बांसुरी बजाना. बहुत मुश्किल है.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-41881449900832954662010-08-19T17:14:49.103+05:302010-08-19T17:14:49.103+05:30आपके विश्लेषण से 100% सहमत।आपके विश्लेषण से 100% सहमत।Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-30260088458427746432010-08-19T11:52:10.685+05:302010-08-19T11:52:10.685+05:30इस जनान्दोलन को राजनेता जब अपने हाथ में ले लेते है...इस जनान्दोलन को राजनेता जब अपने हाथ में ले लेते है तो मुद्दा पीछे धकेल दिया जाता है राजनीति की रोटियां सिंकने लगती है।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-68647184316457727322010-08-19T11:52:09.788+05:302010-08-19T11:52:09.788+05:30इस जनान्दोलन को राजनेता जब अपने हाथ में ले लेते है...इस जनान्दोलन को राजनेता जब अपने हाथ में ले लेते है तो मुद्दा पीछे धकेल दिया जाता है राजनीति की रोटियां सिंकने लगती है।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-37881248534246745472010-08-19T08:19:52.577+05:302010-08-19T08:19:52.577+05:30विकास का अर्थ यह तो नहीं कि खेती पर निर्भर किसानों...विकास का अर्थ यह तो नहीं कि खेती पर निर्भर किसानों और जंगलों को अपना जीवन मानने वाले आदिवासियों की कीमत पर यह सब किया जाए। <br /><br />बिल्कुल सही<br /><br />एक सटीक विश्लेषणAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-76039373095401708962010-08-19T08:01:33.963+05:302010-08-19T08:01:33.963+05:30सही विश्लेषण..अच्छा आलेख-विचारणीय!सही विश्लेषण..अच्छा आलेख-विचारणीय!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-30783006388688707022010-08-19T05:55:09.350+05:302010-08-19T05:55:09.350+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-42369711475059969682010-08-19T05:55:04.548+05:302010-08-19T05:55:04.548+05:30उनके लिये भूमि और वनों पर आश्रित आदिवासी और किसान ...उनके लिये भूमि और वनों पर आश्रित आदिवासी और किसान गरीब की भौजाइयों से ज्यादा कुछ भी नहीं हैं !<br />विकास किस के लिये ? ये तय कर चुके हैं वे !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-26222972612786421492010-08-18T23:32:50.248+05:302010-08-18T23:32:50.248+05:30आपके विश्लेषण से पूर्णतया सहमत।आपके विश्लेषण से पूर्णतया सहमत।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-48385351583234441792010-08-18T22:15:01.984+05:302010-08-18T22:15:01.984+05:30एक अच्छी जानकारी के लिये आप का धन्यवादएक अच्छी जानकारी के लिये आप का धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com