tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post6610804037820030206..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: ऐसे विकसित होगा देश का नया और सही नेतृत्वदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-35628487174464696232008-12-08T22:59:00.000+05:302008-12-08T22:59:00.000+05:30टीवी सीरियल से अलर्जी है !टीवी सीरियल से अलर्जी है !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-33881434122918369612008-12-07T13:31:00.000+05:302008-12-07T13:31:00.000+05:30यह सीरियल देखा नहीं। पर बेमेल विवाह अब भी मुद्दा ब...यह सीरियल देखा नहीं। पर बेमेल विवाह अब भी मुद्दा बचे हैं?Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-4346241960025371742008-12-07T12:47:00.000+05:302008-12-07T12:47:00.000+05:30@बैरागी जी,अब शीर्षक तो आप ने संशोधित कर ही दिया ह...@बैरागी जी,<BR/>अब शीर्षक तो आप ने संशोधित कर ही दिया है। वैसे मूल शीर्षक में 'ही' था। लेकिन निश्चयात्मक रूप से यह कहना अहंकार के भाव को ले आता। वैसे नेतृत्व के विकसित होने के लिए दूसरे विकल्प की संभावना के लिए स्थान क्यों न छोड़ा जाए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-1946382378904268762008-12-07T12:34:00.000+05:302008-12-07T12:34:00.000+05:30डाक्टर अमरकुमारजी के प्रति सम्पूर्ण आदर सहित निव...डाक्टर अमरकुमारजी के प्रति सम्पूर्ण आदर सहित निवेदन कर रहा हूं । यह मेरी अशिष्टता भी हो सकती है, लेकिन विश्वास करने की कृपा कीजिएगा कि इसमें सदाशयता ही है, दुराशयता लेश मात्र को नहीं ।<BR/>हम ऐसे स्वार्थी, पाखण्डी और दोहरे पैमानों को जीने वाला समाज बन गए हैं जो कुछ भी खोए बिना सब कुछ हासिल करना चाहता है । नतीजे में हमें कुछ भी हासिल नहीं हो रहा है । 'नो रिस्क-नो गेन' और 'देअर इज नो फ्री लंच' के मुहावरे हम सब प्रयुक्त करते हैं लेकिन केवल उपदेश के लिए, अमल के लिए नहीं ।<BR/>हम सभी बाल-बच्चे लेकर बैठे हैं और उन्हीं के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं । हम सब चाहते हैं कि कहीं न कहीं भगतसिंह, आजाद, बिस्मिल पैदा हों और व्यवस्था को बदलें । लेकिन इसके समानान्तर यह भी चाहते हैं कि वह पडौसी के यहां पैदा हो, मेरे यहां नहीं । मेरे यहां तो इन्दिरा, राजीव, संजय, राहुल पैदा हों । वतन पर मरने के लिए पडौसी का बेटा और राज करने के लिए मेरा बेटा । <BR/>मेरे प्रिय मित्र श्री विजय वाते का यह शेर मुझे अत्यधिक प्रिय है -<BR/><BR/>चाहते हैं सब कि बदले, ये अंधरों का निजाम<BR/>पर हमारे घर किसी बागी की पैदाइश न हो <BR/><BR/>प्रसंगवश उल्लेख है कि अपने बेटों को दीवारों में चिनवाने वाले बाल बच्चेदार भी इसी मुल्क में हुए है जिनकी दुहाइयां देते हम नहीं थकते । <BR/><BR/>द्विवेदीजी ने रोचक और लोकप्रिय उदाहरण से बहुत ही महत्वपूर्ण और सामयिक बात कही है । एक रूढीवादी और परम्परावादी परिवार में हो रहे अन्याय के विरूध्द आवाज उठाने की जोखिम गहना ले रही है - पता नहीं, कल उस पर क्या बीतेगी । लेकिन 'सुखद भविष्य के लिए दुखद वर्तमान जीना मूर्खता ही नहीं, अपराध भी है ।' गहना यह मूर्खता और अपराध करने से बचने का साहस कर रही है और इसकी पूरी-पूरी कीमत चुकाने को तैयार नजर आ रही है । <BR/>इसीलिए, दुस्साहस करते हुए द्विवेदीजी की इस पोस्ट के शीर्षक में संशोधन करने की धृष्टता कर रहा हूं । कृपया शीर्षक में 'ही' और जोड कर इसे 'ऐसे ही विकसित होगा देश का नया और सही नेतृत्व' करने पर विचार कीजिएगा ।<BR/>अशिष्टता और धृष्टता के लिए क्षमा करने का बडप्पन बरत लीजिएगा । कृपा होगी ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-19797426952871725252008-12-07T12:21:00.000+05:302008-12-07T12:21:00.000+05:30इस सिरियल की बड़ी तारीफ़ सुनी है वैसे....मेरी मां तो...इस सिरियल की बड़ी तारीफ़ सुनी है वैसे....मेरी मां तो बस उसी बालिका वधु के गुण गाती रहती है<BR/>...मुझे देखने का मौका नहीं मिल पाता<BR/><BR/>अच्छी चरचागौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-79949150891753541052008-12-07T07:47:00.000+05:302008-12-07T07:47:00.000+05:30आपने इस सीरियल के बहाने बिल्कुल सही लिखा है इसी तर...आपने इस सीरियल के बहाने बिल्कुल सही लिखा है इसी तरह इस वतर्मान राजनैतिक प्रणाली के खिलाफ कोई तो नया नेतृत्व कभी तो खड़ा होगा ही |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-70314184225755000532008-12-07T01:17:00.000+05:302008-12-07T01:17:00.000+05:30४ मिनट ४२ सेकेंड्स तक ही देख सके उसके बाद धैर्य जव...४ मिनट ४२ सेकेंड्स तक ही देख सके उसके बाद धैर्य जवाब दे गया | ये कहानी बड़े पैसे वालो लोगों कि लग रही है, इतना बड़ा घर और सब गहने पैसों से दुरुस्त | बाकी आपने लिखा है तो ऐसा ही हुआ होगा :-)Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-85340246958237525642008-12-06T23:14:00.000+05:302008-12-06T23:14:00.000+05:30पंडित जी, अभिवादन ! मैं ज़ाहिल मानुष सीरियल देखने क...<I><BR/><BR/>पंडित जी, अभिवादन ! <BR/>मैं ज़ाहिल मानुष सीरियल देखने की.. .. <BR/>कहो तो कह दूँ.. बुरा मान जाओगे ? <BR/>यह विलासिता या कहिये कुटेव नहीं पाल पाया ! <BR/>आपके अनुमोदन पर अब देखने का प्रयास करूँगा.. <BR/>परेशानी यह है कि मेरी पंडिताइन भी इनसे परहेज़ करती हैं, जाने क्यों ? <BR/>जहाँ तक नेतृत्व विकास का प्रश्न है, रोना यह है.. <BR/>कि हम एक विचारशील कौम हैं, सो विचार ही करते रह जाते हैं.. <BR/>और दूसरे देश उन्हीं विचारों पर अमल करके आगे बढ़ते जाते हैं !<BR/>ज़रूरत तो सभी समझते हैं, <BR/>पर सभी बाल-बच्चे वाले हैं.. क्या करें ?</I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-21951033774153300712008-12-06T22:16:00.000+05:302008-12-06T22:16:00.000+05:30सीरियल तो अभी तक नहीं ही देखा पर अब देखने की चाह ह...सीरियल तो अभी तक नहीं ही देखा पर अब देखने की चाह है।विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-2838672147640828422008-12-06T22:03:00.000+05:302008-12-06T22:03:00.000+05:30आपने जो भी इस सीरियल के लिए लिखा,मैं शत प्रतिशत उस...आपने जो भी इस सीरियल के लिए लिखा,मैं शत प्रतिशत उससे सहमत हूं...इस सीरियल पर मैंने अपने ब्लॉग में तीन नवंबर को एक पोस्ट डाली थी..लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएं भी आईं..कुछ सकारात्मक तो कुछ अलग भी...<BR/><BR/>इस सीरियल में कहीं कोई कमी नहीं सबकुछ एक खूबसूरत जड़ाऊ हार की तरह....बस इच्छा यही है कि इसकी चमक उन अंधे मांबापों की आंखे खोलने में कामयाब हो जो अंधविश्वासों और कुरीतियों को अपने तर्कों की तलवारें चलाते हुए अपने बच्चों को होम किए जाते हैं....महुवाhttps://www.blogger.com/profile/12285702566991211317noreply@blogger.com