tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post61430198363178733..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: परंपरा और विद्रोह ... स्व. यादव चंद्र का एक प्रबंध काव्यदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-34222012731999975072010-04-30T21:43:17.548+05:302010-04-30T21:43:17.548+05:30sundersunderAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04324343425226285486noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-67084874883595507572010-04-25T18:35:13.902+05:302010-04-25T18:35:13.902+05:30कविता की विषय-वस्तु का अनूठापन तो अपनी जगह है ही,...कविता की विषय-वस्तु का अनूठापन तो अपनी जगह है ही, लम्बे समय बाद ऐसी प्रांजल शब्दावली पढने को मिली। इस हेतु अतिरिक्त आभार।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-24874377158394649342010-04-25T18:20:12.440+05:302010-04-25T18:20:12.440+05:30तुम मेरा इतिहास न पूछो....
अदभुत और वैज्ञानिकता से...तुम मेरा इतिहास न पूछो....<br />अदभुत और वैज्ञानिकता से सराबोर रचना...... <br />आपको बहुत-बहुत धन्यवाद इससे रूबरू कराने हेतु....लोकेन्द्र विक्रम सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08180984515356933377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-68633425598997731152010-04-24T21:04:39.339+05:302010-04-24T21:04:39.339+05:30सौरमंडलीय परिकल्पनाओं का इतना सुन्दर चित्रण...
अद्...सौरमंडलीय परिकल्पनाओं का इतना सुन्दर चित्रण...<br />अद्भुतराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-6401432006631689102010-04-24T21:03:28.348+05:302010-04-24T21:03:28.348+05:30सौरमंडलीय परिकल्पनाओं का इतना सुन्दर चित्रण...
अद्...सौरमंडलीय परिकल्पनाओं का इतना सुन्दर चित्रण...<br />अद्भुतराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-35869656897522769802010-04-24T19:50:56.789+05:302010-04-24T19:50:56.789+05:30मैं भी ताऊ जी की बात से पूर्णत्या सहमत , "वैज...मैं भी ताऊ जी की बात से पूर्णत्या सहमत , "वैज्ञानिक सिद्धांतों/परिकलपनाओं को काव्यात्मक रूप मे पढने का प्रथम अनुभव" ! आप के चित्रों ने इस पोस्ट को और प्रभावी बना दिया है। स्कूल में कोर्स में होनी चाहिए ये पोस्ट। आभार्…आगे की पोस्ट का इंतजार रहेगाAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-28013239050502910552010-04-24T18:27:35.790+05:302010-04-24T18:27:35.790+05:30ओह देर से आया .......स्व. यादव चन्द्र का यह प्रबंध...ओह देर से आया .......स्व. यादव चन्द्र का यह प्रबंध काव्य विस्मित करता है -वैज्ञानिक अनुभूतियों और उद्भावनाओं की भी काव्यात्मक और ललित प्रस्तुति हो सकती है -यह काव्य उसका प्रबल साक्ष्य है -शैली कामायनी सी है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-16180827257213088872010-04-24T16:57:44.884+05:302010-04-24T16:57:44.884+05:30केवल एक शब्द : अद्भुत !केवल एक शब्द : अद्भुत !विजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-16025211112031689282010-04-24T06:00:52.318+05:302010-04-24T06:00:52.318+05:30ताऊ जी की बात कहूँगा - "वैज्ञानिक सिद्धांतों/...ताऊ जी की बात कहूँगा - "वैज्ञानिक सिद्धांतों/परिकलपनाओं को काव्यात्मक रूप मे पढने का प्रथम अनुभव" !<br /><br />प्रबंध काव्यों को पढ़ने का एक अनोखा अनुभव और सुख हुआ करता है ! सामर्थ्य निखर कर आती है इसमें ! ब्लॉग पर प्रबंध-काव्य आने लगें तो बात बनती नज़र आ रही है ! यह पहल भी आपसे हुई है !<br /><br />प्रविष्टि में चित्रों का सार्थक प्रयोग इसे और भी मूल्यवान बनाता है ! आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-27214043103388879272010-04-24T05:33:22.461+05:302010-04-24T05:33:22.461+05:30एक एक शब्द में
ब्रह्मांड का स्पंदन है।
बहुत छांट ...एक एक शब्द में <br />ब्रह्मांड का स्पंदन है।<br />बहुत छांट कर लाए हैं द्विवेदी जी। <br />आभार...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-9356950121806570372010-04-24T00:02:05.568+05:302010-04-24T00:02:05.568+05:30भावों की गहनता और सशक्तता ही बता रही है कि आगे और ...भावों की गहनता और सशक्तता ही बता रही है कि आगे और कितनी गहराई है. बहुत-बहुत आभार.<br />यदि आप चाहें तो इसको शब्दकार के पुस्तकालय के लिए भी हमें भेज सकते हैं.<br /><b>जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड</b>शब्दकार-डॉo कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/12857188651209037475noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-17826009029288983612010-04-23T23:54:31.767+05:302010-04-23T23:54:31.767+05:30amazing! no doubt.
jivant...amazing! no doubt.<br /><br />jivant...Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-54846782125079655602010-04-23T23:43:08.599+05:302010-04-23T23:43:08.599+05:30बहुत अनोखा प्रयोग है काव्य का। बढिया प्रस्तुति के ...बहुत अनोखा प्रयोग है काव्य का। बढिया प्रस्तुति के लिए आभार।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-39324097755839158482010-04-23T23:13:40.538+05:302010-04-23T23:13:40.538+05:30चमत्कृत हूं, हतवाक हूं. सौरमंडलीय परिकल्पनाओं का ऐ...चमत्कृत हूं, हतवाक हूं. सौरमंडलीय परिकल्पनाओं का ऐसा जीवंत चित्रण!! वो भी काव्य-रूप में!! अद्भुत. आभारी हूं आपकी, द्विवेदी जी.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-87328418950356223072010-04-23T22:55:32.729+05:302010-04-23T22:55:32.729+05:30यह सात्क्षाकार पूर्ण था ।यह सात्क्षाकार पूर्ण था ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-52032222048346761222010-04-23T22:03:08.558+05:302010-04-23T22:03:08.558+05:30यह तो बहुत ज्ञान देने वाली पोस्ट है,आभार.यह तो बहुत ज्ञान देने वाली पोस्ट है,आभार.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-51932857675125994512010-04-23T22:00:26.066+05:302010-04-23T22:00:26.066+05:30यादवचंद्र जी से मिलना अच्छा लगा, सुंदर लेख ओर सबःइ...यादवचंद्र जी से मिलना अच्छा लगा, सुंदर लेख ओर सबःइ कविताए भी सुंदर वेसे इस विषय मै हम इतना नही जानते, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-49676053981357651422010-04-23T21:50:18.519+05:302010-04-23T21:50:18.519+05:30इस तरह के वैज्ञानिक सिद्धांतों/परिकलपनाओं को काव्य...इस तरह के वैज्ञानिक सिद्धांतों/परिकलपनाओं को काव्यात्मक रूप मे पढने का मेरा तो प्रथम अनुभव है. अभिभूत हुं. और आपने प्रस्तुतिकरण में चित्रों का सुंदरतम समावेश किया है. बहुत आभार आपका.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.com