tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post6079498368343556290..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: विधवा अपने नौकर के साथ विवाह करना चाहती है, आप की क्या राय है?दिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-39932196106174902262008-09-01T09:20:00.000+05:302008-09-01T09:20:00.000+05:30इसे तो आप male chauvinism कहकर भी नहीं टरका सकते। ...इसे तो आप male chauvinism कहकर भी नहीं टरका सकते। अगर पुलिस में सारी महिलाएं होतीं तो भी यकीनन उस औरत को थाने बुलाया ही जाता। महिलाएं भी उसी तरीके से सोचती हैं जैसे पुरुष। कुल जमा पुरुष-समाज में यही होना था।महेनhttps://www.blogger.com/profile/00474480414706649387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-74763127190807261222008-08-31T18:09:00.000+05:302008-08-31T18:09:00.000+05:30कोई स्त्री अपने जीवन का इतना महत्वपूर्ण निर्णय ख...कोई स्त्री अपने जीवन का इतना महत्वपूर्ण निर्णय खुद ले ले, हमसे बिना पूछे - हम इसे मंजूर ही नहीं करना चाहते । वह 'जीव' नहीं, 'वस्तु' है । उसके बारे में जो भी निर्णय करना होगा, हम करेंगे । <BR/>उस बेचारी पर क्या बीत रही होगी, वही जाने । तीन बच्चों की मां निरी मूर्ख और 'देह कामना से त्रस्त' होंगी - यही क्यों माना जाए । यह उसकी अपनी जिन्दगी है और उसका अपना निर्णय । चह बच्चों को अलग भी नहीं कर रही । उसे हौसला बंधाइए । मुमकिन है कि उसका फैसला भविष्य में गलत साबित हो । लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पडता । उस दशा में तलाक लेने का अधिकार उसके पास है । <BR/>कहीं ऐसा तो नहीं कि वह हमारे साथ आने के बजाय नौकर के साथ क्यों जा रही है इसीसे हमें तकलीफ हो रही है ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-3638306724308711552008-08-29T20:49:00.000+05:302008-08-29T20:49:00.000+05:30मीडिया हर जगह फटे में टांग क्यों घुसाये रहता है?मीडिया हर जगह फटे में टांग क्यों घुसाये रहता है?Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-88190836935721699212008-08-29T17:51:00.000+05:302008-08-29T17:51:00.000+05:30शमा जी ने मुझे मेल किया है Dineshji,Aapke blogpe g...शमा जी ने मुझे मेल किया है <BR/><BR/>Dineshji,<BR/>Aapke blogpe gayee. Pehelebhee gayi thi kayi baar, lekin aaj kisi<BR/>kaaranwash, net hang ho jaa raha hai! Is patr dwara kehna chahtee hun<BR/>ki aapkaa blog, ek behtareen blogsmese ek hai.<BR/>Shamaदिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-71833326770929647362008-08-29T16:39:00.000+05:302008-08-29T16:39:00.000+05:30मुझे ऐसा लगता है कि यह उस महिला का अपना फैसला है औ...मुझे ऐसा लगता है कि यह उस महिला का अपना फैसला है और इसका निर्णय उसपर ही छोड़ देना चाहिए।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-44220818559574642262008-08-29T15:52:00.000+05:302008-08-29T15:52:00.000+05:30यही तो व्यथा है हिन्दुस्तान की.. जहा जो बात करने क...यही तो व्यथा है हिन्दुस्तान की.. जहा जो बात करने का फ़ायदा नही ठीक वही पर वो बात की जाती है.. यहा पर लोगो ने अपने अपने नज़रिए से समाधान दे दिए है. पर क्या इनमे से एक भी उस महिला के या उसके बच्चे के काम आएगा.. वो वहा पर उसी परिस्थितियो से जूझ रही होगी. और हम यहा कमेंट कर रहे होंगे.. <BR/><BR/>बजाय इसके यदि उस महिला और उसके बच्चो की परेशानी को दूर करने का प्रयास किया जाए तो वो ज़्यादा ठीक रहेगा.. अन्यथा लोगो के निजी जीवन में बिना इजाज़त घुसने वाले न्यूज़ चैनल और ब्लॉग्स में कोई फ़र्क़ नही रहेगा..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-52694347781305194472008-08-29T15:11:00.000+05:302008-08-29T15:11:00.000+05:30बड़ा अजीब प्रश्न है, लेकिन मुजे लगता है बच्चों और ...बड़ा अजीब प्रश्न है, लेकिन मुजे लगता है बच्चों और मां को बैठ कर बात करनी चाहिए और पूरी बात तफ्सील से करनी चाहिए. कोई न कोई हल निकल ही आएगा।नीलिमा सुखीजा अरोड़ाhttps://www.blogger.com/profile/14754898614595529685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-23704754223025549032008-08-29T11:40:00.000+05:302008-08-29T11:40:00.000+05:30यहां के स्थानीय अखबारों में कभी-कभार खबरें पढ़ता ...यहां के स्थानीय अखबारों में कभी-कभार खबरें पढ़ता हूं कि इतने बच्चों की मां अपने अलां-फलां प्रेमी के साथ भागी. ज्यादातर उनमें ऐसे घरों की महिलाएं होती हैं जो गरीब हैं, साक्षरता का अभाव है, पति शराबी है<BR/><BR/>मेरा स्वयं का निष्कर्ष है कि ऐसी महिला या लड़की जिसका कोई हमदम नहीं है या जो अकेलापन महसूस करती है, समाज-परिवार में अलग-थलग होकर कोई तवज्जो नहीं पाती, वह भावनात्मक रूप से इतनी कमजोर हो जाती है कि उसे कोई भी पुरूष जो उससे कुछ बात कर ले, उसके दर्द को सुने, उससे सहानुभूति दिखाए तो वह उसके प्रति सहजता से आकर्षित हो जाती है. हालांकि कुछ लोग इस प्रकार से महिला या लड़की के आकर्षित होने का गलत फायदा उठा लेते हैं. <BR/>उक्त मामले में जो हो रहा है उसके बारे में पूरी तरह जानकर ही टिप्पणी करना उचित होगाbhuvnesh sharmahttps://www.blogger.com/profile/01870958874140680020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-48722897126287128552008-08-29T09:04:00.000+05:302008-08-29T09:04:00.000+05:30वैसे इस स्थिति को उलट दिया जाए तो सवाल ही खारिज हो...वैसे इस स्थिति को उलट दिया जाए तो सवाल ही खारिज हो जाएगा-जैसे कि -<BR/>विधुर अपनी नौकरानी से विवाह करना चाहता है , आपकी क्या राय है?<BR/>यह प्रश्न ही नही रह जाएगा। यही हमारे समाज का सच है।उपरोक्त पंक्ति जितनी भी भोंडी हो यह कड़वा सच वह बयान कर गयी है।एक पुरुष के विधुर होने के बाद कभी कोई प्रश्न की जगह बचती ही नही है।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-87605842302813452242008-08-29T08:57:00.000+05:302008-08-29T08:57:00.000+05:30पति ने नौकरानी को अपने घर में ड़ाल लिया होता--इस प...पति ने नौकरानी को अपने घर में ड़ाल लिया होता<BR/>--<BR/>इस पंक्ति पर अनूप जी की आपत्ति न उठने की आपत्ति उचित है यदि यह केवल कटाक्ष नही है तो ।यह पंक्ति भोंडी सोच का परिणाम है ।<BR/><BR/>अभिषेक ओझा की बात सही है।बिना सभी तथ्य जाने हम कैसे किसी के लिए एक राय भी देने काबिल हैं।समाचार मे उस स्त्री को बोलते देख महसूस हो रहा था कि वह किसी ज़िद के चलते,किसी खुन्दक में या सनक में है।मीडिया,पुलिस सब ने उसे घेर रखा है और "कैसी माँ है" के तानों की बौछार उस पर है।अपने जीवन काल में पति उसके साथ कैसा रहा होगा कि वह यह वाक्य कह पा रही है कि - मरा हो या ज़िन्दा मुझे कोई फर्क नही पड़ता।पति के परिवार के अन्य लोग कहाँ हैं?ऐसी कौन सी सम्पत्ति है जिसे छोड़कर वह व्यक्ति स्वर्गवासी हुआ है ?<BR/>बहुत सी बातें हैं जिन्हें हम इतनी दूर बैठे बैठे अज़्यूम करके यह कहें कि उसे विवाह करना चाहिये या नही --तो यह गलत होगा।<BR/><BR/>मुख्य कंसर्न है - बच्चे।<BR/>माँ का उन्हें डिस ओन करना एक खतरनाक बात है।इसके जो भी कारण हैं उन्हें कानून की नज़र तो क्या ही समझ पाएगी।पर जो भी कारण हों बच्चों की सुरक्षा और पालन पोषण का दायित्व सुनिश्चित करने के बाद ही कानून का कर्तव्य खत्म होगा।वह स्त्री शादी करे या न करे,पर बच्चों का हित सुनिश्चित हो सबसे पहले।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-46410380008937541162008-08-29T07:03:00.000+05:302008-08-29T07:03:00.000+05:30.इसमें का करेगा काज़ी....चाहे तो पड़ोसी के नौकर से....<BR/><BR/><I>इसमें का करेगा काज़ी....<BR/>चाहे तो पड़ोसी के नौकर से कर ले, भाई<BR/>बस हमको बख़्स दे,<BR/>जब लागी दिल की लगन,<BR/>और का जाने का में अगन<BR/>तो नैतिकता का पहाड़ा बैठ कर आपही पढ़ो..</I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-8232673186059144272008-08-29T06:35:00.000+05:302008-08-29T06:35:00.000+05:30जीवन अमूल्य है। महिला को अपनी जिंदगी जीने का हक है...जीवन अमूल्य है। महिला को अपनी जिंदगी जीने का हक है। बच्चे उसकी जिम्मेदारी है। बहस का विषय नहीं ये उसके चुनाव का विषय है। <B>पति ने नौकरानी को अपने घर में ड़ाल लिया होता</B><BR/>जैसे वाक्य पर कोई आपत्ति नहीं हुई! आश्चर्य!!!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-20213484000780413972008-08-29T05:23:00.000+05:302008-08-29T05:23:00.000+05:30भारतीय माहौल मेँ ये नई और अजीब बात लगेगी यहाँ ( in...भारतीय माहौल मेँ ये नई और अजीब बात लगेगी यहाँ ( in USA ) तो किसी को कोई चिँता नहीँ - <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-13776403525671834712008-08-29T04:15:00.000+05:302008-08-29T04:15:00.000+05:30जो भी इस विवाह के विरोध में हैं वो सलमान-गोविंदा क...जो भी इस विवाह के विरोध में हैं वो सलमान-गोविंदा की "पार्टनर" फ़िल्म देखें! <BR/>अभी पार्टनर पिक्चर में गोविंदा कैटरीना कैफ़ के मुलाजिम थे - बाकायदा ठुमके लगे और शादी हुई ना फ़िल्म के अंत में? सलमान भी फ़िल्म में सहनायिका को पटाते हैं जो सिंगल-मदर होती है.<BR/>मुझे दु:ख होता है जब लोग ऐसी शिक्षाप्रद फ़िल्मों से कोई पाठ नहीं सीखते!Ramanhttps://www.blogger.com/profile/05763575964037343901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-14663322460747955562008-08-29T00:50:00.000+05:302008-08-29T00:50:00.000+05:30यह एक सब्जेक्टिव मामला है। इसपर जितने मुँह उतनी बा...यह एक सब्जेक्टिव मामला है। इसपर जितने मुँह उतनी बात हो सकती है। कोई पुलिस वाला इस महिला के पति की मृत्यु की पड़ताल भी करने लगे तो आश्चर्य नहीं। नौकर के साथ किस प्रकार का और कबसे भावनात्मक सम्बन्ध है, यह भी महत्वपूर्ण है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-83917663773636162722008-08-28T22:37:00.000+05:302008-08-28T22:37:00.000+05:30naukar insaan nahi kya?...yadi unhey uchit lagta h...naukar insaan nahi kya?...yadi unhey uchit lagta hai to apni zindagi apney anusaar bitaney ka poora haq hai unhey...haan bacchon ka koi nuksaan na ho iska pehley dhyaan den...पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-41056031074490382992008-08-28T21:31:00.000+05:302008-08-28T21:31:00.000+05:30हो सकता है कि उस महिला की कुछ व्यक्तिगत परेशानी रह...हो सकता है कि उस महिला की कुछ व्यक्तिगत परेशानी रही हो. वैसे परिस्तियाँ आदमी को विपरीत कदम उठाने के लिए बाध्य कर देता हो . खैर मीडिया हर ख़बर को बढ़ा चदा कर महिमामंडित करता है . वैसे भारतीय नारी को पति की मृत्यु के पश्चात दूसरा विवाह नही करना चाहिए . बाल बच्चेदार महिला का दायित्व है कि वह अपने अभिभावक होने के दायित्व का निर्वहन करे.<BR/>अपने बहुत विचारणीय मुद्दा उठाया है . धन्यवाद्समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-24648513982812582942008-08-28T21:11:00.000+05:302008-08-28T21:11:00.000+05:30बच्चों को छत नसीब रहे उनके हक की, फिर वो महिला का ...बच्चों को छत नसीब रहे उनके हक की, फिर वो महिला का निजी मामला है कि वो किससे शादी करती है. वो चाहें नौकर हो या मालिक. दोनों बालिग हैं-अपना अच्छा बुरा समझते हैं. हम बाहर से बैठकर उनका क्या मनत्व्य है कैसे जान सकते हैं.<BR/><BR/>-----------------------------------------<BR/><BR/>यूँ तो मजाक का विषय नहीं है, फिर भी ऑन द लाईटर साईड:<BR/><BR/>बाद में तो सभी ने नौकर बन जाना है, अच्छा है पहले से प्रेक्टिस है तो कोई कल्चरल शॉक नहीं लगेगा बंदे को. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-59258070789859017772008-08-28T20:59:00.000+05:302008-08-28T20:59:00.000+05:30mahila kya sochati kai ...je kaise adaaj lagaya sa...mahila kya sochati kai ...je kaise adaaj lagaya sakta hai suni sunaee baat par..Manvinderhttps://www.blogger.com/profile/11286649687914732408noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-83982070017077788992008-08-28T20:12:00.000+05:302008-08-28T20:12:00.000+05:30क्या करना चाहिए ये कोई और कैसे कह सकता है ! जैसे स...क्या करना चाहिए ये कोई और कैसे कह सकता है ! जैसे समाचार वाले हैं वैसे ही हम... केवल ख़बर पढ़कर क्या कहा जा सकता है. असलियत तो महिला ही जानती है... किसी के ऊपर क्या बात रही है ये बस वही जान सकता है.<BR/><BR/>मैं तो बस इतना ही जानता हूँ की एक माँ बच्चो को घर से नहीं निकाल सकती... बस !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-70641775921990261592008-08-28T19:27:00.000+05:302008-08-28T19:27:00.000+05:30उस महिला अथवा अन्य किसी भी व्यक्ति के नितांत निजी ...उस महिला अथवा अन्य किसी भी व्यक्ति के नितांत निजी मामलों<BR/>में पुलिस और मीडिया की दख़लँदाज़ी अनुचित है। कहाँ हैं तमाम<BR/>महिला संगठन और महिला आयोग? क्या वे सिर्फ़ तभी बोलेंगे जब<BR/>कोई रोता हुआ उनके पास आए? स्वाभिमान, लोकलाज, अथवा नाजानकारी के कारण यदि कोई स्वयम नहीं भी आता तो भी उनका<BR/>कुछ दायित्व बनता है अथवा नहीं?Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-12391623650755232722008-08-28T18:57:00.000+05:302008-08-28T18:57:00.000+05:30ये उस महिला की निजी जिंदगी है ,मीडिया को अपनी सीमा...ये उस महिला की निजी जिंदगी है ,मीडिया को अपनी सीमा लांघनी नही चाहियेडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-70552027698910612032008-08-28T18:35:00.000+05:302008-08-28T18:35:00.000+05:30महिला को चाहिये की वो अपने पति की चल अचल सम्पति का...महिला को चाहिये की वो अपने पति की चल अचल सम्पति का हिस्सा करे और जितना भी हिस्सा महिला का बनता हैं { क्योकि पति की चल अचल सम्पति पर पत्नी , माँ , बच्चे सबका बराबर का हिस्सा होगा } उस हिस्से को लेकर वो अपनी नाम से अलग करे और बाकी का हिस्सा जिनका हैं उनके नाम से अलग जमा करे . इस से बच्चो के अंदर का डर ख़तम हो जाएगा . फिर शादी के बाद वो बच्चो को अपनी साथ रखे और उनकी पढाई लिखाई के लिये स्वयम और जिस से वो विवाह कर रही उसके साथ जीविका के लिये धन कमाने का साधन करे .तब वो सही तरीके से एक अबिभावक का कर्तव्य निभा सकती हैं . <BR/>लेकिन मे इस प्रकार के विवाह के बिल्कुल ख़िलाफ़ हूँ जहाँ मालकिन नौकर से शादी करती हैं क्युकी इस मे नौकर का मंतव्य केवल उस मालकिन के अकेले पण का फायदा उठाना ही हैं और धीरे धीरे वो सारी सम्पति अपने लिये खर्चेगा . इस महिला को "ये विवाह" बिल्कुल नहीं करना चाहीये . हाँ इस महिला के विवाह करने मे कोई नुक्सान नहीं हैं जरुर करना चाहिये पर सोच समझ कर . अपनी जिन्दगी को जीना जरुरी हैं और अगर विवाह से उसकी जिंदगी आसान हो जाती हैं तो जरुर क्यों नहीं .Anonymousnoreply@blogger.com