tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post5646792026063835151..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: कैसी होगी, नई आजादी?दिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-2005838811777742652011-06-25T08:59:24.725+05:302011-06-25T08:59:24.725+05:30मानव सभ्यता के इतिहास में जब से व्यक्तिगत संपत्ति ...मानव सभ्यता के इतिहास में जब से व्यक्तिगत संपत्ति आई है तभी से इन दुखों का अस्तित्व भी आरंभ हो गया है।'<br /><br />घोटालों की जड़, पारिवारिक विषमताओं की जड़ यही सम्पत्ति मोह ही तो हैM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-69654455465760700992011-06-24T16:46:04.866+05:302011-06-24T16:46:04.866+05:30बड़ी हैरानी और दुख हो रहा है ये देख कर कि बेटी की न...बड़ी हैरानी और दुख हो रहा है ये देख कर कि बेटी की नियत पर शक करने वाली सभी टिप्पणियां महिलाओं से आयी हैं। <br />मैं ऐसे किस्से भी जानती हूँ जहां भाई भाभी इस डर से कहीं बहन संपत्ति में हिस्सा न मांग ले बहन से सब नाते तोड़ लेते हैं और मां को भी ले जाने नहीं देते या मां खुद बेटी के घर रहना मंजूर नहीं करती। ऐसे में बेटी को कैसे पता होता कि मां के साथ क्या हो रहा है जब तक वो अखबार की खबर न बनी।<br />अगर मान भी लिया जाए कि बेटी की भी नजर संपत्ति पर ही है तो भी जब तक वो मां की अच्छी देख भाल कर रही है मां का तो बुढ़ापा सुधर ही जायेगा। <br />अगर जरूरत है तो बदलते समाज के साथ खुद अपनी सोच को बदलने की। मेरी एक सहकर्मी आजकल बहुत परेशान है। उसकी मां अस्सी साल की हो गयी हैं और अकेले रहना उनके लिए मुनासिब नहीं और संभव भी नहीं। मेरी सहकर्मी का कोई भाई नहीं एक छोटी बहन है जो अमेरिका में है। मेरी सहेली (और उसका पति भी) पिछले दो साल से अपनी मां की मनुहार कर रही है कि मेरे पास रहने बंबई आ जाओ लेकिन वो टस से मस नहीं हो रहीं, सिर्फ़ इस लिए कि बेटी के घर रहना समाजिक नियमों के खिलाफ़ है। मेरी सहेली उनको जबरदस्ती ले भी आती है तो वो एक महीने में ही वापस जाने की जिद्द पकड़ लेती हैं।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-63197129919096053082011-06-24T16:33:25.589+05:302011-06-24T16:33:25.589+05:30धनलोलुपता व्यक्ति को असंवेदनशीलता की पराकास्ठा को...धनलोलुपता व्यक्ति को असंवेदनशीलता की पराकास्ठा को पहुंचा देता है...नाता रिश्ता निति नियम करणीय अकरणीय का भान ही कहाँ बचता है फिर...<br /><br />घोर दुर्भाग्यपूर्ण !!!!रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-1826113722012924552011-06-24T14:52:58.315+05:302011-06-24T14:52:58.315+05:30प्रेमलता जी की बेटी की सदाशयता भी संदेह से परे नही...प्रेमलता जी की बेटी की सदाशयता भी संदेह से परे नहीं हो सकती ! माँ के साथ कैसा व्यवहार हो रहा है अगर वह इससे सर्वथा अनभिज्ञ<br /> हैं तो भी उन्हें माफ़ नहीं किया जा सकता ! भाई भाभी की बदनामी का फ़ायदा इस समय आदर्श बेटी बन कर वह उठाना चाहती हैं ऐसा प्रतीत होता है ! वरना माँ का दशा कंकाल जैसी हो रही हो और बेटी देखने भी ना आये उसे अखबारों की खबरों से पता चले माँ के बारे में यह बात विश्वसनीय नहीं लगती ! असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है यह !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-58750154773188896202011-06-24T13:34:57.859+05:302011-06-24T13:34:57.859+05:30दुनिया ही धन की पुजारी है। आज जब साधू संतों का भी ...दुनिया ही धन की पुजारी है। आज जब साधू संतों का भी एक ही मंतव है अकूत दौलत तो आम आदमी एक कदम आगे ही जायेगा। बहुत शोचनीय स्थिती है। पता नही समाज से संवेदनायें कहाँ खो गयी खून क्यों सफेद हो गया। विशाद से मन भर गया। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-88414586152651231812011-06-24T10:05:59.877+05:302011-06-24T10:05:59.877+05:30ये बात तो सही हे की अब तक बेटी कहाँ थी | चाहे जो भ...ये बात तो सही हे की अब तक बेटी कहाँ थी | चाहे जो भी झगडा रहा हो उसको अपनी माँ ली खबर तो रखनी ही चाहेये थी | अब जब इतना बवाल उठने पर आना उसकी भी नीयत पर सवाल खड़े कर सकता है | उसके आने की वजह अपनी इज्ज़त या फिर पैसा का लालच कुछ भी हो सकता है | हालांकि ये भी हो सकता है की वाकई मई उसको पता ना हो की उसकी माँ की साथ क्या हो रहा है पर फिर भी इसमें उसकी लापरवाही भी तो है |purvahttps://www.blogger.com/profile/12810148869442052071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-58012773591200955092011-06-24T08:11:38.990+05:302011-06-24T08:11:38.990+05:30बदलती सामाजिक परित्स्थितियों में बुजुर्गों की दुर्...बदलती सामाजिक परित्स्थितियों में बुजुर्गों की दुर्दशा दोनों ही प्रकार नजर आती है , पैसा हो तो भी , ना हो तो भी ...<br />शर्म आती है की हम इस समाज का हिस्सा हैं !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-83111624907733385322011-06-24T03:00:16.803+05:302011-06-24T03:00:16.803+05:30रुपया जो न करा दे....
बाबू जी ने गर इतनी जायदाद...रुपया जो न करा दे....<br /><br /><br /><br />बाबू जी ने गर इतनी जायदाद को छोड़ा नहीं होता<br />मेरे अपने भाई ने कभी,मुझसे मूँह मोड़ा नहीं होता..Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-45484334824029732172011-06-23T23:06:46.195+05:302011-06-23T23:06:46.195+05:30पहले तो याद आ रही है बिहारी की वह पंक्ति-
कनक कनक ...पहले तो याद आ रही है बिहारी की वह पंक्ति-<br />कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाइ।<br /><br /><br />बाद में धन का विकेन्द्रीकरण तो करना ही होगा नहीं तो वही होते रहेगा जो हो रहा है।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-19475460288869489632011-06-23T21:52:31.980+05:302011-06-23T21:52:31.980+05:30निर्धनता से बड़ा अभिशाप नहीं है, धन से बड़ा नशा नह...निर्धनता से बड़ा अभिशाप नहीं है, धन से बड़ा नशा नहीं है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-87394496216856396682011-06-23T21:45:07.611+05:302011-06-23T21:45:07.611+05:30.सो, द व्होल थिंग इज़ दैट.. सबसे बड़ा रुपइया ?
हद है....<i>सो, द व्होल थिंग इज़ दैट.. सबसे बड़ा रुपइया ?<br />हद है... भाई !</i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-27397983141089008532011-06-23T21:08:58.252+05:302011-06-23T21:08:58.252+05:30यह बेटी पहले कहाँ थीं?
माँ की सेवा का जायदाद और प...यह बेटी पहले कहाँ थीं? <br />माँ की सेवा का जायदाद और पैसे से क्या संबंध?<br />बेटी भी तो दोषी है?प्रेमलता पांडेhttps://www.blogger.com/profile/11901466646127537851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-57270492790367663132011-06-23T19:50:17.264+05:302011-06-23T19:50:17.264+05:30बेटी द्वारा सम्पत्ति में हिस्सा मांगना ही बेटे बहु...बेटी द्वारा सम्पत्ति में हिस्सा मांगना ही बेटे बहु के लिए सबक है ,लालची लोगों के साथ एसा ही होना चाहिए था | इनकी करनी का फल इन्हें जरुर मिलेगा |Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-61909603087691405592011-06-23T18:59:55.060+05:302011-06-23T18:59:55.060+05:30पूरी खबर पढ़ने के बाद मेरे विचार में तो यह पैसा ही...पूरी खबर पढ़ने के बाद मेरे विचार में तो यह पैसा ही फसाद की जड़ है लेकिन हमारी सोंच ऐसी हो जाएगी यह तो कभी सपने में भी नहीं सोंचा था | भगवान से प्रार्थना है की उन्हें सदवुद्धि दे|Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.com