tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post4407974527009289690..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: पानी जुटाएँ, केवल महिलाएँ और लड़कियाँ?दिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-61082015439862030382011-06-03T10:16:57.946+05:302011-06-03T10:16:57.946+05:30पहले एक बार इस पोस्ट को पढ़कर लौट गई थी..आज अचानक ...पहले एक बार इस पोस्ट को पढ़कर लौट गई थी..आज अचानक 'ओपराह' की कही बात को दर्ज करने आ गई...उसने जबसे भारतीय महिलाओं और बच्चियों को दूर दराज से पानी भर कर लाते देखा तब से दांत साफ करने दौरान नल बन्द करना शुरु कर दिया...जाने हममें से कितने हैं जो ऐसा सोचते हों...घर में पानी की सुविधा होते हुए भी कम से कम इस्तेमाल करते हों...मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-51052589695324239492011-06-01T00:27:09.220+05:302011-06-01T00:27:09.220+05:30बचपन में हमारा परिवार जब शाहजहाँपुर/बरेली से मथुरा...बचपन में हमारा परिवार जब शाहजहाँपुर/बरेली से मथुरा गर्मियों की छुट्टियों मे आता था तो शाहजहाँपुर के मीठे पानी के विपरीत जब मथुरा के खारे पानी का सामना होता था तो प्यास ही नहीं बुझती थी। हर से तकरीबन ४०० मीटर पर एक सरकारी हैंडपंप था जिसका पानी मीठा होता था। पूरे दो महीने घर पर पीने का पानी सप्लाई करने की जिम्मेवारी हमारी होती थी।<br /><br />समाज की अलग अलग परतों के चलते अलग अलग नजारे देखने को मिलते हैं। मथुरा में पानी की किल्लत है और इसके चलते कभी तंगी होने पर तथाकथित सभ्रान्त परिवारों के पुरूष बाल्टी उठाकर पानी ले जाते दिख जाते हैं। अब इसका कारण घर के काम में हाथ बंटाना हो कि घर की महिला पानी भरने निकले तो इज्जत क्या रहेगी हो, महिलाओं को कुछ आराम तो मिल ही जाता है। <br /><br />अक्सर निम्न/निम्नमध्यमवर्गीय परिवार की स्त्रियों को पानी ले जाते देखा है। पता नहीं कि इसका कारण पुरूषों की आरामखोरी है या फ़िर परिवार में रोजी/रोटी के द्वंद के चलते जिम्मेदारियों का बंटवारा।<br /><br />http://www.google.com/search?tbm=isch&hl=en&source=hp&biw=1280&bih=806&q=hippo+roller&gbv=2&aq=f&aqi=g2g-m1&aql=&oq=<br /><br />बिल गेट्स फ़ाउंडेशन ने इस डिवाईस को अफ़्रीका में प्रमोट किया। कई गांवो में हुआ ये कि इस डिवाईस द्वारा पानी ढोने की आसानी के चलते पुरूषों को पानी लाने में मजा आने लगा और इसी बहाने पुरूषों ने इस काम को अपनी जिम्मेवारी मानना शुरू कर दिया।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-12449955437910045832011-05-31T21:03:52.548+05:302011-05-31T21:03:52.548+05:30ओह !ओह !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-82989339613731579712011-05-31T13:04:24.539+05:302011-05-31T13:04:24.539+05:30जहॉं पानी जैसी चीज के लिये ही इतनी मारामारी हो, वह...जहॉं पानी जैसी चीज के लिये ही इतनी मारामारी हो, वहॉं बाकी चीजें पीछे छूट जाती हैं। आने वाला समय पूरे देश में भीषण जलसंकट का है। अभी 'परिकथा' पत्रिका के मार्च-अप्रैल,2011 के युवा कहानी विशेषांक में भी पाया कि उनमें दो कहानियों की विषयवस्तु तो जलसंकट ही है। दूसरी बात, हम मर्दों को तो घर के काम करने में शर्म आती है या फिर इसे अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। ठीक है कि हम रोजी कमाने घर से बाहर जाते हैं, पर कुछ घर में भी हाथ बंटा दें तो क्या बुरा है। कभी-कभी इस विषय पर मैं खुद को भी कटघरे में खड़ा पाता हूँ।जीवन और जगत https://www.blogger.com/profile/05033157360221509496noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-33570923348563413092011-05-31T05:53:07.129+05:302011-05-31T05:53:07.129+05:30(ज्यादातर चित्रों में) फिर भी खुश.(ज्यादातर चित्रों में) फिर भी खुश.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-12246350629602730832011-05-30T21:56:43.921+05:302011-05-30T21:56:43.921+05:30मै तो सोचता था कि बज्ज की टिपण्णी यहां भी दिखाई दे...मै तो सोचता था कि बज्ज की टिपण्णी यहां भी दिखाई देगी,आज पता चल गया बज्ज की टिपण्णी यहां नही दिखाई देती, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-33592492140524459282011-05-30T18:34:16.791+05:302011-05-30T18:34:16.791+05:30इसीलिए तो अच्छे अच्छों को पानी पिला देती हैं महिला...इसीलिए तो अच्छे अच्छों को पानी पिला देती हैं महिलाएं ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-25666347124684031642011-05-30T18:32:54.531+05:302011-05-30T18:32:54.531+05:30इसीलिए तो अच्छे अच्छों को पानी पिला देती हैं महिला...इसीलिए तो अच्छे अच्छों को पानी पिला देती हैं महिलाएं ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-42717172010083942832011-05-30T18:12:58.535+05:302011-05-30T18:12:58.535+05:30बहुत संवेदनशील|बहुत संवेदनशील|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-70657108422165374722011-05-30T14:58:10.156+05:302011-05-30T14:58:10.156+05:30हां जी, कन्हैया लोग तो केवल गगरी फोड़ने के लिए ही ...हां जी, कन्हैया लोग तो केवल गगरी फोड़ने के लिए ही है ना :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-53777434028720415112011-05-30T14:13:01.427+05:302011-05-30T14:13:01.427+05:30@राज भाटिय़ा
आप ने टिप्पणी बज्ज पर की थी, वहाँ मौज...@राज भाटिय़ा<br />आप ने टिप्पणी बज्ज पर की थी, वहाँ मौजूद है। देखिए यही थी ना?<br />Raj Bhatia - इस जंग में चार साल की लड़कियों से ले कर 60 वर्ष तक की वृद्धाएँ दिखाई पड़ीं। कहीं भी पुरुष पानी भरता, ढोता दिखाई नहीं दिया। क्यों सब के लिए पानी जुटाना महिलाओं के ही जिम्मे है?.... अजी ऎसी बात नही यह काम मर्द के बच्चे भी करते हे, यानि जब हम छोटे थे, ओर जब हमारा मकान नयी जगह बन रहा था तो घर मे पीने का पानी हमीं के जिम्मे था, यानि यह मर्द का बच्चा( उस समय तो बच्चे थे) ही भरता था:)1:45 amदिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-78144130728359614272011-05-30T13:52:19.223+05:302011-05-30T13:52:19.223+05:30बहुत सुंदर चित्र, ्बहुत सी यादे याद दिला दी, मेरी ...बहुत सुंदर चित्र, ्बहुत सी यादे याद दिला दी, मेरी टिपण्णी कहां गई? जो कल रात लिखी थी?राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-1130360075907903482011-05-30T11:46:04.154+05:302011-05-30T11:46:04.154+05:30इस पोस्ट लेखन के लिये आप को और चित्रों के लिये इण्...इस पोस्ट लेखन के लिये आप को और चित्रों के लिये इण्टर्नेट को धन्यवाद!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-36061889166869986542011-05-30T10:10:24.834+05:302011-05-30T10:10:24.834+05:30इसी को दाना पानी की दौड़ कहते हैं... परिवार में को...इसी को दाना पानी की दौड़ कहते हैं... परिवार में कोई दाने की दौड़ लगा रहा है और कोई पानी की...<br /><br /><a href="http://www.premras.com/2011/05/blogwood-and-bollywood.html" rel="nofollow">प्रेमरस.कॉम</a>Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-79957479258704367422011-05-30T09:49:56.951+05:302011-05-30T09:49:56.951+05:30सबसे ऊपर के चित्र में महिलाओं ने जो सफेद छल्ले अपन...सबसे ऊपर के चित्र में महिलाओं ने जो सफेद छल्ले अपने बाजुओं में पहने हुए हैं, वो क्या है. कभी उन पर भी अलग से लेख लिखिए. इस आभूषण के बारे में जानना दिलचस्प होगा. यह भी मुझे बुरके की तरह महिलाओं पर दमन का प्रतीक पारंपरिक आभूषण लगता है.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-84633238416189014152011-05-30T08:40:59.451+05:302011-05-30T08:40:59.451+05:30और हम अब भी नहीं चेत रहे हैं...और हम अब भी नहीं चेत रहे हैं...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-80410402639901812742011-05-30T08:38:19.968+05:302011-05-30T08:38:19.968+05:30haan yah bilkul sahi kaha aapne ... yun kahi kahi ...haan yah bilkul sahi kaha aapne ... yun kahi kahi purush bhi pani bhar late hain , per - kam !रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-63833870843627759322011-05-30T08:18:13.525+05:302011-05-30T08:18:13.525+05:30जहां जैसी स्थिति हो..पुरूष दाने के जुगाड़ में जाते...जहां जैसी स्थिति हो..पुरूष दाने के जुगाड़ में जाते होंगे महिलाएँ पानी..<br />..गरीबी का दंश भयावह है। पानी ने सबको बेपानी कर दिया है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-39630213315600336062011-05-30T08:14:11.164+05:302011-05-30T08:14:11.164+05:30चित्र अपने आप में सब व्यक्त कर रहे हैं।चित्र अपने आप में सब व्यक्त कर रहे हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-13666781800218306302011-05-30T07:40:03.517+05:302011-05-30T07:40:03.517+05:30पाणी भरण री जिम्मेवारी तो इण री ही है होकम।
ओ ही स...पाणी भरण री जिम्मेवारी तो इण री ही है होकम।<br />ओ ही समझे लोग।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-69088079315061748032011-05-30T07:18:19.806+05:302011-05-30T07:18:19.806+05:30ग्रीष्म चित्रावलीग्रीष्म चित्रावलीArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-20794379470376305392011-05-30T00:08:50.471+05:302011-05-30T00:08:50.471+05:30बहुत संवेदनशीलबहुत संवेदनशीलअरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com