tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post3342545461635562573..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: दुष्यंत और शंकुन्तला के बीच कौन सा संबंध था?दिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-33300780640899317462010-04-03T18:39:00.842+05:302010-04-03T18:39:00.842+05:30इस चर्चा मे बहुत देरी से आया हू लेकिन कुछ बातो पर ...इस चर्चा मे बहुत देरी से आया हू लेकिन कुछ बातो पर अपन मत रखना जरूरी समझता हू.<br /><br />१. निश्चित रूप से शकुन्तला दुष्यन्त के बीच जो कुछ हुआ वो गंधर्व विवाह का अनुपम उदाहरण है - अभिभावक की अनुमति नही ली गयी थी और आकर्षण जनित प्रेम सहवास तक गया.<br /><br />२. समाज शास्त्रियो ने गंधर्व विवाह का नामकरण उपहास स्वरूप गंधर्व से जोडकर किया लेकिन पहले प्रेम और फिर विवाह की सोच मे कुछ भी गलत नही है.<br /><br />३. उपरोक्त उदाहरण लिव इन से बिल्कुल उल्टा लगता है. दुष्यन्त ने प्रेम किया और साथ नही रहे जबकि लिव इन मे साथ रहते है और प्रेम की तलाश करते है. लिव इन मे रहने वालो के लिये कोई जरूरी नही है कि वो सहवास करे ही. मोरारजी भाई ने ३० साल की उमर के बाद सहवास बन्द कर दिया और महत्मा गान्धी ने ४० की उमर के बाद. लेकिन वो अपनी पत्नि के साथ रहते रहे.<br /><br />४. लिव इन की आलोचना का कारण सिर्फ़ एक वजह बनती है कि ये आम प्रचलन मै नही है और लिव इन को अपनाने वाले अपने सम्बन्ध के प्रति कम गम्भीर नज़र आते है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-90730289849868141082010-03-29T23:45:14.145+05:302010-03-29T23:45:14.145+05:30बैरागी जी,
नमस्कार!
ऐसा नहीं है कि चिन्दी को थान ...बैरागी जी,<br /> नमस्कार!<br />ऐसा नहीं है कि चिन्दी को थान बनाया जा रहा हो। निश्चित ही समाज ऐसे संबंध को मान्यता नहीं देगा। यह एक अराजकता है। लेकिन यह समय का यथार्थ भी है कि ऐसे संबंधों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे संबंध बच्चों को भी जन्म देते हैं। निश्चित ही उन बच्चों के अधिकारों और उन के प्रति दायित्वों का निर्धारण होना चाहिए। यह तभी हो सकता है कि हम इस तरह के संबंधों को कहीं न कहीँ कानून के दायरे में लाएँ और ऐसे संबंधों में रहने वाले लोगों के दायित्व निर्धारित करें। आँख मूंद कर या आलोचना करने से तो काम नहीं चलेगा। हमें इस पर बहस चलानी होगी कि इस तरह के संबंधों में रहने वालों के दायित्व क्या हों और उन के लिए समुचित कानून बनाया जाए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-35709717652481593902010-03-29T23:28:23.828+05:302010-03-29T23:28:23.828+05:30मुझे लगता है कि दो अलग-अलग बातों का घालमेल किया जा...मुझे लगता है कि दो अलग-अलग बातों का घालमेल किया जा रहा है।<br />न्यायालय ने, दो वयस्कों को, परस्पर सहमति से साथ रहने को अपराध नहीं माना है। न्यायालय ने यह आग्रह भी नहीं किया है कि समाज ऐसे 'सहआवास' को मान्यता और स्वीक़ती दे। जहॉं तक मैं समझ पा रहा हूँ, न्यायालय ने इस स्थिति का विवेचन केवल 'आपराधिक दण्ड संहिता' के सन्दर्भ में किया है।<br />जहॉं तक समाज का सम्बन्ध है, समाज ऐसे सहआवास को कभी भी मान्यता और स्वीकारोक्ति नहीं देगा। <br />लगता है, हम लोग चिन्दी को थान बना रहे हैं।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-2271018065548007712010-03-29T20:32:20.288+05:302010-03-29T20:32:20.288+05:30हमारा प्राचीन संस्कृत साहित्य संबंधों के वैविध्य क...हमारा प्राचीन संस्कृत साहित्य संबंधों के वैविध्य का खजाना है। ऐसा वैविध्य अन्यत्र नहीं मिलता। यहां रिश्ता नहीं भाव पर जोर है। इसे किसी भी आधुनिक अवधारणा में रुपान्तरित करना ज्यादती है।जगदीश्वर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/06417945584062444110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-36695775226878902412010-03-29T18:41:10.847+05:302010-03-29T18:41:10.847+05:30लिव-इन-रिलेशनशिप को गान्धर्व विवाह कहना उचित नहीं....लिव-इन-रिलेशनशिप को गान्धर्व विवाह कहना उचित नहीं.<br />ऐसे रिश्ते बगैर नाम दिए भी चल रहे हैं. लेकिन विवाह तो परिवार(घर-निर्माण) का प्रवेश द्वार है. बाद में कानून के तहत सम्बन्ध विच्छेद हो ही सकता है.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-62502684587775726642010-03-29T17:12:43.832+05:302010-03-29T17:12:43.832+05:30"लिव-इन-रिलेशनशिप" हमें एक अस्थाई सम्बन्..."लिव-इन-रिलेशनशिप" हमें एक अस्थाई सम्बन्ध सा प्रतीत होता है.MANVINDER BHIMBERhttps://www.blogger.com/profile/16503946466318772446noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-21731467065605187912010-03-29T10:56:39.061+05:302010-03-29T10:56:39.061+05:30वाह, लिव-इन की बहस पढ़ते वक्त सोच ही रहा था कि अब त...वाह, लिव-इन की बहस पढ़ते वक्त सोच ही रहा था कि अब तक धार्मिक और पौराणिक आख्यान और उदाहरण कैसे नहीं आये। अब आ गये… <br />नासमझ हूं ना, इसलिये फ़िर भी समझ नहीं पा रहा कि दुष्यन्त-शकुन्तला के किस्से से "लिव-इन" का सम्बन्ध कैसे साबित हो गया? क्या दोनों लम्बे समय साथ-साथ रहे थे? या दुष्यन्त जानबूझकर शकुन्तला को भूल गये थे? <br />सुप्रीम कोर्ट ने राधा-कृष्ण का उदाहरण दे दिया और आपने दुष्यन्त शकुन्तला का… बढ़िया है… <br /><br />धीरे-धीरे सभी पौराणिक पात्रों की उस काल की मान्यताओं-परम्पराओं को आज के सन्दर्भ और समाज से जोड़कर प्रकारान्तर से दुष्यन्त, कृष्ण आदि को "छिछोरा" "रंगीला" साबित करें। फ़िर हिन्दुओं में बहु-विवाह को भी कानूनी मान्यता प्रदान की जाये (क्योंकि दशरथ ने 4 शादियां की), फ़िर सौ बच्चों को भी मान्य किया जाये (क्योंकि धृतराष्ट्र ने भी 100 पैदा किये थे), ऐसे ही उदाहरण दे-देकर हम आगे बढ़ते रहें… कभी न कभी तो महाशक्ति बन ही जायेंगे… :) :) <br /><br />(नोट - इस टिप्पणी से किसी कानूनी प्रक्रिया की अवमानना होती हो तो अग्रिम क्षमायाचना। क्योंकि आजकल "अवमानना", कुंआरी लड़की के शील से भी ज्यादा नाजुक हो चली है)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-55315445042239439832010-03-29T06:08:56.289+05:302010-03-29T06:08:56.289+05:30शकुंतला तुम कोसी जाओगी
क्योकि तुम नारी थीशकुंतला तुम कोसी जाओगी <br />क्योकि तुम नारी थीM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-31368814175226927682010-03-29T05:20:34.213+05:302010-03-29T05:20:34.213+05:30Sir isme vivah shabd juda hi hua hai to live-in-re...Sir isme vivah shabd juda hi hua hai to live-in-relation kaise ho gaya aur jabki ye pahle hee sahmati thi ki rishi ke aane par Shakuntala ko mahal me le jaya jayega. live-in-relationship me to aisa kuchh nahin hota.. jab tak marjee ho sath rahen jab chahe chhod den. dono me kafi fark hai.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-35932774595261900162010-03-29T03:15:14.958+05:302010-03-29T03:15:14.958+05:30गन्धर्व विवाह में एक 'ceremony ' तो किया ह...गन्धर्व विवाह में एक 'ceremony ' तो किया ही जाता है बेशक उसके कोई गवाह हों कि नहीं...फिर चाहे वो मंदिर में माला की अदली बदली हो या फिर अग्नि के चारों तरफ ३ फेरे...लेकिन लिव इन रिलेशन में ऐसा कुछ नहीं होता, बस युगल एक दिन फैसला कर लेते हैं कि हम साथ में रहेंगे और रहने लगते हैं....कनाडा में लिव इन रिलेशन में भी ३ साल से पहले किसी तरह का बंधन नहीं होता जब तक की ३ साल एक साथ नहीं बिता लेते हैं...उसके पहले जोड़े अलग हो सकते हैं और एक दूसरे की संपत्ति में एक दूसरे का कोई हक नहीं होता...लेकिन ३ साल के बाद परिस्थिति बदल जाती है...एक दूसरे की संपत्ति में अधिकार जताया जा सकता है.... ऐसे रिश्तों से बच्चे होते हैं तो उनकी जिम्मेदारी में भी माता-पिता दोनों को हाथ देना पड़ता है...अगर संतान हो गयी और फिर वो अलग हो गए तब भी संतान के प्रति अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते...<br />कहने का अर्थ ये है की लिव इन रिलेशन में शादी शुदा ज़िन्दगी की सारी की सारी समस्याएं तो हैं लेकिन फायदा कुछ नहीं है....इस लिए सोच समझ कर इस तरह के फैसले लेने चाहिए...<br />इस तरह के रिश्ते में 'गैर जिम्मेदारी वाला माईंड सेट' होता है ..सिरिअसली जोड़े नहीं सोचते हैं...और समय बर्बाद होता है....जब तक होश में आते हैं...पता चलता है कोई दूसरा विकल्प रहा ही नहीं...और अब इसी के साथ रहना है जिसके साथ रह रहे थे...मुंह का स्वाद कड़वा होही जाएगा फिर....और फिर वही शादी शुदा वाली चिल्ल-पों ...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-12415168321690131682010-03-29T01:05:47.329+05:302010-03-29T01:05:47.329+05:30लिव इन रिलेशनशिप का औचित्य समझ से परे है। अलबत्ता ...लिव इन रिलेशनशिप का औचित्य समझ से परे है। अलबत्ता यहां सहमत हूं कि इसका किसी संस्कृति विशेष से नहीं बल्कि दुनियाभर के समाजों में कम-ज्यादा लिव इन रिलेशनशिप रही है। तथाकथित खुले समाजों में भी इसके आलोचक रहे हैं। <br />यह शुरू से ही हाहाकारी विचार रहा है, समाज के लिए। सो बवाल तो मचेगा ही। अलबत्ता नैतिकता कायम रहे और स्त्री के साथ धोखा न हो तो इसमें कोई बुराई नहीं है। हां, सात फेरे लेने में जिसे शर्म आती हो, उसे विवाह बंधन में बंधने के लिए और भी विकल्प हैं। <br />लिव इन रिलेशनशिप में यह अलिखित सी बात है कि दोनो पक्ष आपसी सहमति से अलग हो सकते हैं। फिर ऐसा क्यों होता है कि ऐसे संबंधों से अक्सर पुरुष जल्दी उकताता है और स्त्री हायतौबा मचाती है? नारीवादियों को मुद्दा मिलता है। बाद में इस लिव इन रिलेशनशिप को धोखा करार दिया जाता है। तो क्या इस संबंध की भी कानूनी अहमियत और नैतिकताएं हैं?<br />कुछ अजीब लगता है ये सब। <br />धोखेबाज कहलाने से तो तलाकशुदा कहलाना ज्यादा बेहतर। दोनों पक्षों के लिए। लिव इन रिलेशनशिप में परस्पर सहमति से अलहदगी के मामले दस फीसदी से भी कम होंगे। अधिकांश तो एकतरफा ही होंगे। ऐसा मैं सोचता हूं, ज्यादा वकील साब बता पाएंगे। <br />हां, कोर्ट वाले मामले में मैं आपके साथ हूं। अदालत ने कुछ गलत नहीं कहा था। फिल्मी तारिका ने भी नहीं।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-19851275839705225472010-03-28T23:06:11.811+05:302010-03-28T23:06:11.811+05:30"लिव-इन-रिलेशनशिप" का लाभ क्या है, इस से..."लिव-इन-रिलेशनशिप" का लाभ क्या है, इस से कितने लाभ होंगे ओर किसे होंगे???राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-76540248750193396972010-03-28T22:46:24.692+05:302010-03-28T22:46:24.692+05:30Bade bhai, kya kah rahe hain aap. Prem Vivah. Liv ...Bade bhai, kya kah rahe hain aap. Prem Vivah. Liv in Relationship kaise ho sakta hai. Liv in Relation ship to use kahenge. jaise ki......<br /><br /><br />Vivah ek jimedari hoti hai. aur Liv in Relationship aaj ki jaruratTaarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-29064750900486670002010-03-28T21:55:07.964+05:302010-03-28T21:55:07.964+05:30ऐसे विवाह आज अधिक प्रासंगिक हो सकते हैं ...ऐसे विवाह आज अधिक प्रासंगिक हो सकते हैं ...सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-22521103593297626122010-03-28T20:12:41.176+05:302010-03-28T20:12:41.176+05:30वृहत्तर समाज इसे नही स्वीकार करेगा द्विवेदी जी ,क...वृहत्तर समाज इसे नही स्वीकार करेगा द्विवेदी जी ,कितना ही ......जोर लगा के हैसा !<br />और आप कब से अपीज्मेंट पर उतर आये ! कुछ लोगों को खुद अपना औचित्य सिद्ध करने दीजिये <br />ha haArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-12921372944026148502010-03-28T19:39:34.938+05:302010-03-28T19:39:34.938+05:30क्या यह विषय का इसका कोई पक्ष न्यायालय में विचाराध...क्या यह विषय का इसका कोई पक्ष न्यायालय में विचाराधीन है ? यदि हाँ तो बच गये टिप्पणी देने से । नहीं तो महाभारत तय था घर में ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-76305683794156929832010-03-28T18:53:48.233+05:302010-03-28T18:53:48.233+05:30"लिव-इन-रिलेशनशिप" हमें एक अस्थाई सम्बन्..."लिव-इन-रिलेशनशिप" हमें एक अस्थाई सम्बन्ध सा प्रतीत होता है.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-38655112081100476132010-03-28T18:15:42.618+05:302010-03-28T18:15:42.618+05:30जैसाकि श्री झा ने कहा गन्धर्व विवाह आधुनिक प्रेम ...जैसाकि श्री झा ने कहा गन्धर्व विवाह आधुनिक प्रेम विवाह का प्राचीन संस्करण कहा जा सकता है, लिव इन रिलेशनशिप नहीं.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-16893771876413484562010-03-28T17:37:41.229+05:302010-03-28T17:37:41.229+05:30@ अजय कुमार झा
विकिपीडिया यह भी कहता है .....
5. ...@ अजय कुमार झा<br />विकिपीडिया यह भी कहता है .....<br /><br />5. गंधर्व विवाह<br />परिवार वालों की सहमति के बिना वर और कन्या का बिना किसी रीति-रिवाज के आपस में विवाह कर लेना 'गंधर्व विवाह' कहलाता है। दुष्यंत ने शकुन्तला से 'गंधर्व विवाह' किया था. उनके पुत्र भरत के नाम से ही हमारे देश का नाम "भारतवर्ष" बना।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-58889686853082231872010-03-28T17:31:21.387+05:302010-03-28T17:31:21.387+05:30प्राचीन भारतीय स्मृतिकारों ने विवाह के जो आठ प्रका...प्राचीन भारतीय स्मृतिकारों ने विवाह के जो आठ प्रकार मान्य किए थे, गंधर्व विवाह उनमें से एक रूप है। इस विवाह में अभिभावकों की अनुमति की आवश्यकता न थी। युवक युवती के परस्पर राजी होने पर किसी श्रोत्रिय के घर से लाई अग्नि में हवन कर तीन फेरे कर लेने मात्र से इस प्रकार का विवाह संपन्न हो जाता था। इसे आधुनिक प्रेम विवाह का प्राचीन रूप कह सकते हैं। इस प्रकार का विवाह करने के पश्चात् वर-वधु दोनों अपने अभिभावकों को अपने विवाह की रिस्संकोच सूचना दे सकते थे क्योंकि अग्नि को साक्षी देकर किया गया विवाह भंग नहीं किया जा सकता था। अभिभावक भी इस विवाह को स्वीकार कर लेते थे। किंतु इस प्रकार का विवाह लोकभावना के विरुद्ध समझा जाता था, लोग इस प्रकार किए गए विवाह को उतावली में किया गया विवाह मानते थे। लोगों की धारणा थी कि इस प्रकार के विवाह का परिणाम अच्छा नहीं होता। शकुंतला-दुश्यंत, पुरुरवा-उर्वशी, वासवदत्ता-उदयन के विवाह गंधर्व-विवाह के प्रख्यात उदाहरण हैं।<br /><br /><br /><i> <b> सर विकिपीडिया ने उपरोक्त अर्थ बताया मुझे गंधर्व विवाह का , अब सवाल ये है कि कुछ तो रीति रिवाज इसमें भी माने ही गए ..दूसरा ये कि तब भी इसे समाज में एक सार्वभौमिक मान्यता तो नहीं ही मिली थी । शायद यही कारण रहा कि शंकुतला को खूब कोसा गया ....और एक बात और ये कि इस लिहाज़ से तो यदि उन दोनों का गंधर्व विवाह न होकर एक आम हिंदू विवाह होता तो ये समस्या ही न आती तब तो । यानि कुल मिलाकर ये मैं तो ये समझा कि यदि बेशक ये गैरकानूनी न हो .....मगर विवाह का विकल्प तो कतई न बन सके शायद ..आज मुझे भी लगता है इस विषय पर कुछ लिखना ही पडेगा </b> </i><br /><a href="http://www.google.com/profiles/ajaykumarjha1973#about" rel="nofollow"> अजय कुमार झा </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.com