tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post1377151220941441491..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: अनिल पुसदकर जी, संजीत त्रिपाठी और पाबला जी के साथ दोपहर का भोजनदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-32521934713562291302009-03-04T01:39:00.000+05:302009-03-04T01:39:00.000+05:30लाल भाजी मेरे विचार से लाल चौलाई है। इसे अंग्रेजी ...लाल भाजी मेरे विचार से लाल चौलाई है। इसे अंग्रेजी में amaranthus कहा जाता है। amaranthus के ही बीजों को ही फुलाकर चौलाई(शायद रामदाना भी कहा जाता है) के लड्डू बनते हैं,जो उपवास में खाए जाते हैं। हरी चौलाई भी इसी की एक प्रजाति है।लाल amaranthus के फूल रानी रंग के होते हैं। हरी भाजी के हल्के हरे से रंग के। एक सजावटी किस्म के रानी रंग के जो सूखने पर भी वैसे ही बने रहते हैं।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-17998152018401491832009-03-04T01:01:00.000+05:302009-03-04T01:01:00.000+05:30संजीत के बारे में और अधिक जानने की चाह भी मुझे आपक...संजीत के बारे में और अधिक जानने की चाह भी मुझे आपके पीछे की पोस्ट्स की ओर खींच लाई थी। जहाँ तक मैं उन्हें जानती हूँ वे बहुत से लोगों को हिन्दी ब्लॉगिंग में लाए। मेरी व न जाने कितने ब्लॉगरों की सहायता को सदा तत्पर रहे हैं। उनसे बात करके सदा खुशी होती है।<BR/>धन्यवाद।ghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-86793771451613453962009-03-02T14:49:00.000+05:302009-03-02T14:49:00.000+05:30यात्रा वृतान्त अच्छा लगा। खासतौर पर भ्राता लक्ष्मण...यात्रा वृतान्त अच्छा लगा। खासतौर पर भ्राता लक्ष्मण का उल्लेख। अन्तर्जाल पर संजीत की शख्सियत एक मददगार की है जो हर समय मदद करने को तत्पर रहता है। अपने इस खास स्वभाव के कारण कई लोग उन्हें जानते हैं।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-27534194943952265022009-03-02T14:15:00.000+05:302009-03-02T14:15:00.000+05:30वाह...रायपुर प्रवास की यह कड़ी कुछ विशिष्ट सी लगी।...वाह...रायपुर प्रवास की यह कड़ी कुछ विशिष्ट सी लगी। लालभाजी हमें बहुत प्रिय है। यहां खूब मिलती है...इसे चावल के साथ भी खाया जाता है...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-62310679703251429922009-03-02T11:35:00.000+05:302009-03-02T11:35:00.000+05:30बहुत ही बढ़िया लगा आपका यह यात्रा वर्णन बहुत से ल...बहुत ही बढ़िया लगा आपका यह यात्रा वर्णन बहुत से लोगों से मिल लिए आप तो ..लाल भाजी मैंने भी पहली बार सुनी ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-38928376292306413762009-03-01T23:36:00.000+05:302009-03-01T23:36:00.000+05:30वाह! यह वृतान्त पढ़कर ब्लॉगरिया-अपनत्व का भाव और मज...वाह! यह वृतान्त पढ़कर ब्लॉगरिया-अपनत्व का भाव और मजबूत हो उठा। धन्यवाद।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-44449673078221508222009-03-01T23:10:00.000+05:302009-03-01T23:10:00.000+05:30@ डा० अमर कुमार डाक्टर साहब! मुझे अवध का पता नहीं ...@ डा० अमर कुमार <BR/>डाक्टर साहब! मुझे अवध का पता नहीं था। क्यों कि अवध के जो लोग इधर रहते हैं वे इस से परिचित नहीं। पर जिस तरह उस के स्वाद का वर्णन किया है, लगता है वही है। <BR/>मैं ने लाल भाजी के बारे में पूछा था लेकिन वहाँ इसे लाल भाजी ही कहा जाता है। पत्ते की सब्जी बनती है और चुकन्दर से बिलकुल भिन्न है। हाँ वैज्ञानिक नाम के बारे में तो रायपुर के डॉ. अवधिया जरूर बता देंगे। उन से पूछ देखते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-29994707880731850002009-03-01T23:03:00.000+05:302009-03-01T23:03:00.000+05:30आदरणीय पंडित जी, कृपया पुसदकर जी तक यह संदेश पहुँच...<I><BR/>आदरणीय पंडित जी, कृपया पुसदकर जी तक यह संदेश पहुँचा दें, कि इस सब्जी का नाम भी दें.. कहीं यह चुकंदर प्रजाति की कोई सब्जी तो नहीं,<BR/>क्योंकि यह बंगाल में एक प्रचलित सब्जी है, और देशी पालक पर आपका ही एकाधिकार नहीं, यह अवध में भी होती है.. पसंद की जाती है.. और देशी कहलाने के बावज़ूद भी सामन्य पालक से मँहगी होती है.. और खुशबू ?<BR/>अय..हय, आपका टिप्पणी बक्सा लार से भी ग जायेगा :)<BR/></I>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-57169190685165802212009-03-01T22:36:00.000+05:302009-03-01T22:36:00.000+05:30रायपुर यात्रा वृदांत पढ़कर अच्छा लगा. धन्यवाद.रायपुर यात्रा वृदांत पढ़कर अच्छा लगा. धन्यवाद.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-49957618058867079182009-03-01T20:52:00.000+05:302009-03-01T20:52:00.000+05:30वकील साब आपका बडप्पन है जो आपने हम जैसे छोटे भाईयो...वकील साब आपका बडप्पन है जो आपने हम जैसे छोटे भाईयो की इतनी तारीफ़ कर दी जिसका हक़दार कम-से-कम मैं तो नही हूं।वैसे आपके जाने के बाद हमको भी लगा की मुलाक़ात क़ाफ़ी छोटी थी।उसे कई गुना ज्यादा बडी होना था।खैर उम्मीद है आप अगली बार आएंगे तो उस कमी को दूर ज़रूर कर देंगे।आपका हमेशा स्वागत है छत्तीसगढ मे,और हम लोगो को इंतज़ार रहेगा आपके आने का।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-64405601040821340302009-03-01T15:28:00.000+05:302009-03-01T15:28:00.000+05:30badhiya varnan..laal bhaaji hamarey ..jharkhand me...badhiya varnan..laal bhaaji hamarey ..jharkhand me shayad laal saag ke naam se milti hai..पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-88466627809736537002009-03-01T15:07:00.000+05:302009-03-01T15:07:00.000+05:30प्रभो प्रभो, पिछली पोस्ट में अजीत भैया ने शिकायत क...प्रभो प्रभो, पिछली पोस्ट में अजीत भैया ने शिकायत की कि संजीत की चर्चा कम की पर इस पोस्ट में मुझे लग रहा है किस संजीत की चर्चा ज्यादा हो गई।<BR/> Shy nature का होने के कारण बड़ा अजीब सा लगने लगता है अगर ऐसी किसी चर्चा मुझे पर ही केंद्रित हो जाए।<BR/><BR/>बस आप सबका आशीर्वाद है जो स्नेह के रूप में मुझे मिल रहा है और मिलता रहेगा ऐसी आशा है। <BR/><BR/>सूचना, जिन-जिन को लाल भाजी चखनी हो फौरन छत्तीसगढ़/रायपुर आने का कार्यक्रम बनाएं।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-58804453308850815252009-03-01T13:33:00.000+05:302009-03-01T13:33:00.000+05:30अपनत्व लिए, आनन्ददायक विवरण। ऐसी प्रस्तुतियों म...अपनत्व लिए, आनन्ददायक विवरण। ऐसी प्रस्तुतियों में व्यावहारिक कठिनाई यही होती है कि किसी न किसी के साथ अत्याचार हो ही जाता है।<BR/><BR/>लाल भाजी केवल उसी अंचल में होती है। मैंने बरसों तक इसका भरपूर सेवन किया है। 'सितारा' होटलो के बारे में तो मालूम नहीं किन्तु 'ढाबा' किस्त की सभी होटलों में यह सहजता और प्रचुरता से आगे बढकर 'अनिवार्यत:' मिलती ही मिलती है।<BR/><BR/>आपने उसी का स्वाद याद दिला दिया।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-45232557286513126682009-03-01T11:52:00.000+05:302009-03-01T11:52:00.000+05:30संजीत भाई (जिन्हें मैं सुनील कहता हूँ) की दो तस्वी...संजीत भाई (जिन्हें मैं सुनील कहता हूँ) की दो तस्वीरें लगा रखी हैं आपने… असली वाली कौन सी है? बालों वाली या विग वाली? :) :) :) पुसदकर जी एक रायपुर में ब्लॉगर सम्मेलन करवाकर ही रहेंगे… और मध्यप्रदेश में रहने वाले ब्लॉगरों को आने-जाने का किराया और मध्यप्रदेश के बाहर से उस सम्मेलन में आने वालों को "लाल भाजी" प्रदान की जायेगी… यह घोषणा भी की गई है…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-57916538900270986212009-03-01T11:25:00.000+05:302009-03-01T11:25:00.000+05:30sanjeet sabse pahale mere pass 2002 me tab aaye ja...sanjeet sabse pahale mere pass 2002 me tab aaye jab mai jansatta ke raipur edition ke sampadak ki jimmedari nibha raha tha .usase pahale tatkaleen mukhyamantri yani ajit jogi ke yeha se humare prabandhan ko sandesh bhi bheja gaya tha.yeh jankari milte hi maine tai kar liya tha ki 10-15 din bad unhe bahar jana hoga kyoki sifarish ka arth kam nahi aana hota hai.par sirf kaam ke chalte hi sanjeet haumari team ka hissa bane rahe .ab aur behatar likh rahe hai.lal bhaji sahi me swadist hoti hai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-61350644314763906562009-03-01T10:04:00.000+05:302009-03-01T10:04:00.000+05:30उस सब्जी में मेरी भी रूचि बढ़ रही है -पुसदकर जी पढ़ ...उस सब्जी में मेरी भी रूचि बढ़ रही है -पुसदकर जी पढ़ रहे हों तो अडवांस में यह मीनू नोट कर लें !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-70152394854233181712009-03-01T09:24:00.000+05:302009-03-01T09:24:00.000+05:30दिनेश भाई जी , आज सँजीत जी से मिलकरभी खुशी हुई -- ...दिनेश भाई जी , आज सँजीत जी से मिलकरभी खुशी हुई -- हमेँ आप सभी को सँग देख कर हुई !! :)<BR/>और मेम्हदी जैसी लाल भाजी तो कभी ना खाई ना उसके बारे मेँ सुना ही कभी - वाह !<BR/>अच्छा लिखा मिलन का वृताँत --लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-58559872194731186702009-03-01T07:49:00.000+05:302009-03-01T07:49:00.000+05:30आपके यात्रा वृतांत का मजा ले रहे हैं चटखारे ले लेक...आपके यात्रा वृतांत का मजा ले रहे हैं चटखारे ले लेकर.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-64711830393012922972009-03-01T07:38:00.000+05:302009-03-01T07:38:00.000+05:30संजीत को समझने के लिए तो छत्तीसगढ़ एक बार फिर जाना...<I>संजीत को समझने के लिए तो छत्तीसगढ़ एक बार फिर जाना ही होगा।</I><BR/><BR/>वाह! हमें एक और बहाना मिला, द्विवेदी जी को खींच लाने का :-)<BR/><BR/><I>पाबला जी के सौजन्य से जो चित्र मिले हैं उन में रायपुर में छाया की तरह हमारे साथ रहे, संजीत एक स्थान पर भी नहीं हैं।</I><BR/><BR/>भई, मेरे मनोमष्तिक के केंद्रबिंदु में तो द्विवेदी जी थे। इसलिए थोड़ी गफलत हो गयी :-)<BR/><BR/>यात्रा विवरण बहुत अच्छा लग रहा है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-30321054353857173992009-03-01T07:30:00.000+05:302009-03-01T07:30:00.000+05:30द्विवेदी जी बहुत बढ़िया वर्णन्। संजीत बहुत ही नेक, ...द्विवेदी जी बहुत बढ़िया वर्णन्। संजीत बहुत ही नेक, जहीन और दिल का अच्छा इंसान है।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-76787161791379324472009-03-01T01:36:00.000+05:302009-03-01T01:36:00.000+05:30अच्छा लगा आपकी यात्रा और मुलाकात का वर्णन! हाँ...ल...अच्छा लगा आपकी यात्रा और मुलाकात का वर्णन! हाँ...लाल भाजी मैंने भी खायी है पर मुझे ख़ास पसंद नहीं आई थी!हो सकता है तब अच्छी न बनी हो!pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-5040308202060557592009-03-01T01:13:00.000+05:302009-03-01T01:13:00.000+05:30वनवास के समय राम, लक्ष्मण से मिल कर लौटने पर राम क...वनवास के समय राम, लक्ष्मण से मिल कर लौटने पर राम का बखान कर रहा होता और जिस से लक्ष्मण के बारे में पूछ लिया जाता। मिलने वाले का सारा ध्यान तो राम पर ही लगा रहता लक्ष्मण को देखने, परखने का समय कब मिलता?<BR/>दिनेश जी बहुत ही सुंदर शव्दो मे आप नेसंजीत जी के बारे बताया,आप की यह यात्रा बहुत प्यारी लगी, ओर लाल सब्जी सुन कर मुंह मे पानी आ गया, मुझे भी नयी नयी चीजे खाने का शोक है, अनिल जी की मेहमान नवाजी भी उन जेसी अच्छी लगी,<BR/>आप का धन्यवाद इस सुंदर लेख के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com