tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post1027967273584642546..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: दर्शन और विज्ञान का अन्तर्सम्बन्ध और एक अनाम रचनाकार की रचना 'काशः दुनिया कम्प्यूटर होती'दिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-56272146870124381942009-08-08T23:48:52.547+05:302009-08-08T23:48:52.547+05:30दर्शन और विज्ञान पर बहुत ही सही बात...
और साथ ही ...दर्शन और विज्ञान पर बहुत ही सही बात...<br /><br />और साथ ही यह चिंता भी सही जाहिर की है, पिछले काफ़ी समय से इनके तालमेल में कमी आई है.....<br /><br />शुक्रिया...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-27030595556572482602009-08-08T23:39:00.261+05:302009-08-08T23:39:00.261+05:30बहुत ही उत्तम समाहार करता आलेख।
और एक मासूम सी प्...बहुत ही उत्तम समाहार करता आलेख।<br /><br />और एक मासूम सी प्राकल्पना अंत में।<br /><br />मज़ा आ गया।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-27710367187878290012009-08-08T21:56:21.387+05:302009-08-08T21:56:21.387+05:30शायद भौतिकी और दर्शन विषय को एक दूसरे का विरोधाभास...शायद भौतिकी और दर्शन विषय को एक दूसरे का विरोधाभासी माना जाता है.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-72034804506474442752009-08-08T13:18:56.672+05:302009-08-08T13:18:56.672+05:30वाह अति सुंदर आलेख. शुभकामनाएं.
रामराम.वाह अति सुंदर आलेख. शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-59644154088078531612009-08-08T13:06:23.564+05:302009-08-08T13:06:23.564+05:30कहते है वकील साहब विज्ञान भी अपने श्रेष्ट पर पहुंच...कहते है वकील साहब विज्ञान भी अपने श्रेष्ट पर पहुंचकर कुछ कुछ दर्शन ही हो जाता है.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-56103085486960250682009-08-08T11:49:37.720+05:302009-08-08T11:49:37.720+05:30dwij ji namaskar,
aapka ye aalekh padha , bahut h...dwij ji namaskar,<br /><br />aapka ye aalekh padha , bahut hi informative hai ...there is allways a great relationship between philophy and science.. aapki is post ne to mujhe bahut kuch seekhaya hai .. badhai ..<br /><br />vijay <br /><br />pls read my new poem "झील" on my poem blog " http://poemsofvijay.blogspot.comvijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-25905106392699960822009-08-08T10:21:41.472+05:302009-08-08T10:21:41.472+05:30यदि दुख डिलिट कर दें तो सुख कहां से रहेगा। दुख है ...यदि दुख डिलिट कर दें तो सुख कहां से रहेगा। दुख है तो ही सुख है, रावण है तो ही राम है:)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-31482460246505922902009-08-08T09:43:34.422+05:302009-08-08T09:43:34.422+05:30साँख्य पर आपकी श्रंखला को अब ध्यान से पढ़ना चाहूँग...साँख्य पर आपकी श्रंखला को अब ध्यान से पढ़ना चाहूँगा<br /><br />कविता तो किसी टेक्नोकवि की लगती हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-77224412357955968722009-08-08T08:51:48.634+05:302009-08-08T08:51:48.634+05:30यह आलेख उस श्रेष्ठ श्रृखला का प्रारब्ध है या उपसंह...यह आलेख उस श्रेष्ठ श्रृखला का प्रारब्ध है या उपसंहार ? कविता बहुत क्यूट है बोले तो विज्ञान कविता !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-67905643879158449082009-08-08T08:39:36.893+05:302009-08-08T08:39:36.893+05:30दर्शन विज्ञान का पथप्रदर्शन करता है, लेकिन विज्ञान...दर्शन विज्ञान का पथप्रदर्शन करता है, लेकिन विज्ञान दर्शन को खुद को दुरूस्त करने का अवसर देता है और दर्शन खुद को संशोधित करते हुए पुनः नयी अवधारणा प्रस्तुत कर विज्ञान का मार्गदर्शन कर सकता है।<br />आपके इस सुझाव से बहुत से अन्सु्लझे सवालों के जवाब मिल सकते हैं बहुत सुन्दर आलेख है और अनाम लेखक की रचना ने तो मन मोह लिया बहुत सुन्दर रचना है बधाई और आभार ऐसे ही अगले आलेख की प्रतीक्षा रहेगीनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com