@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: Punishment
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मंगलवार, 29 जून 2010

ऐसे चिकित्सक को क्या दंड मिलना चाहिए?

आज अखबार में समाचार था-
क महिला रोगी के पैर में ऑपरेशन कर रॉड डालनी थी, जिस से कि टूटी हुई हड्डी को जोड़ा जा सके। रोगी ऑपरेशन टेबल पर थी। डाक्टर ने उस के पैर का एक्स-रे देखा और पैर में ऑपरेशन कर रॉड डाल दी। बाद में पता लगा कि रॉड जिस पैर में डाली जानी थी उस के स्थान पर दूसरे पैर में डाल दी गई। 
डॉक्टर का बयान भी अखबार में था कि एक्स-रे देखने के लिए स्टैंड पर लगा हुआ था। किसी ने उसे उलट दिया जिस के कारण उस से यह गलती हो गई। 
मुझे यह समाचार ही समझ नहीं आया। आखिर एक चिकित्सक कैसे ऐसी गलती कर सकता है कि वह जिस पैर में हड्ड़ी टूटी हो उस के स्थान पर दूसरे पैर में रॉड डाल दे। क्या चिकित्सक ने एक्स-रे देखने के उपरांत पैर को देखा ही नहीं? क्या ऑपरेशन करने के पहले उस ने भौतिक रूप से यह जानना भी उचित नहीं समझा कि वास्तव में किस पैर की हड्डी टूटी है? क्या एक स्वस्थ पैर और हड्डी टूट जाने वाले पैर को एक चिकित्सक पहचान भी नहीं सकता? या चिकित्सक इतने हृदयहीन और यांत्रिक हो गए हैं कि वे यह भी नहीं जानते कि वे एक मनुष्य की चिकित्सा कर रहे हैं किसी आम के पेड़ पर कलम नहीं बांध रहे  हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्णय में कहा है कि चिकित्सकों के विरुद्ध अपराधिक लापरवाही के लिए कार्यवाही करने के पहले यह आवश्यक है कि उस मामले में किसी चिकित्सक की साक्ष्य उपलब्ध होनी चाहिए कि लापरवाही हुई है। क्या ऐसे मामले में भी किसी चिकित्सक की इस तरह की साक्ष्य की आवश्यकता है? मैं जानता हूँ कि नहीं। इस तरह के मामले में किसी चिकित्सक की इस तरह की साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है। इस समाचार को पढ़ने के बाद मेरे सामने अनेक प्रश्न एकत्र हो गए हैं। मसलन....
1. क्या इलाके का पुलिस थाना जिसे समाचार पत्र से इस तथ्य की जानकारी हो गई है उस चिकित्सक के विरुद्ध बिना मरीज से शिकायत प्राप्त किए कोई अपराधिक मुकदमा दर्ज करेगा? 
2. मरीज स्वयं उस चिकित्सक के विरुद्ध पुलिस थाने में रपट लिखाए तब भी क्या पुलिस इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कर अन्वेषण आरंभ करेगा? 
3. क्या अस्पताल का मुखिया ऐसे चिकित्सक के विरुद्ध कोई अनुशासनिक कार्यवाही करेगा?
मुझे इन सभी प्रश्नों के उत्तर की तलाश है जो शायद आने वाले कुछ दिनों या महिनों में मिल ही जाएँगे। लेकिन दो प्रश्न और है जिस का उत्तर मैं आप पाठकों से चाहता हूँ;
हला यह कि यदि पुलिस ऐसे चिकित्सक के विरुद्ध कार्यवाही करे, न्यायालय में उस के विरुद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत कर दे और यह साबित हो जाए कि चिकित्सक ने अपराधिक लापरवाही की है तो न्यायालय को उस चिकित्सक को सजा देना चाहिए या नहीं? यदि हाँ तो कितनी?
दूसरा यह कि यदि अस्पताल का मुखिया चिकित्सक के विरुद्ध अनुशासनिक कार्यवाही करे तो चिकित्सक को क्या दंड मिलना चाहिए?

सोमवार, 7 जून 2010

आखिर किस से मापें? तेरा माप

आखिर किस  से मापें
तेरा माप
सारे पैमाने देख लिए
माप कर

भोपाल दुखांतिका के
अपराधियों को दंड
आज वह भी देख लिया
सरकारी आँकड़ों में
सिर्फ साढ़े तीन हजार
बचाव करने वालों के मुताबिक
पच्चीस हजार जानें लील लेने
हजारों और को
सदा के लिये बीमार
कर देने वालों को
दो वर्ष की कैद, 
जुर्माना सिर्फ एक-
एक लाख रुपया,
अपील करने का हक,
उस के फैसले तक के लिए
फौरन जमानत
अपील में लोगे
और कितना वक्त?
क्या कम थे?
तेईस बरस
क्या किया था?
सुखिया ने

खाली कटोरदान
ही तो उठा कर फेंका था
तीन दिन की
भूख से बिलखते
बेटे के सिर पर
कमबख्त!
अपनी माँ का प्यार और 
जमाने पर गुस्सा
नहीं झेल पाया
मर गया

सुखिया ने मान लिया
खुद ही, अपराध अपना
कोई काम शेष न था
जजों के पास
उसे सजा देने के पहले का

अब जेल में बंद है
पिछले पाँच बरस से, कि
कब खत्म हो
मुकदमे की सुनवाई?

वह तो मान चुकी है
इसे ही अपनी सजा

बाहर होती?
तो कब की मर जाती
छूट चुकी होती
जमाने के नर्क से

आखिर किस  से मापें
तेरा माप
सारे पैमाने देख लिए
माप कर
  • दिनेशराय द्विवेदी

शनिवार, 27 मार्च 2010

इस हत्या के हत्यारे को सजा कैसे हो? और क्या हो?

कोटा में जिला अदालत नयापुरा क्षेत्र में स्थित है। यहाँ नीचे पीली रेखाओं के बीच जिला अदालत कोटा का परिसर दिखाई दे रहा है। किसी को भी इस क्षेत्र की हरियाली देख कर ईर्ष्या हो सकती है। लेकिन अब यह परिसर आवश्यकता से बहुत अधिक छोटा पड़ रहा है। इतना अधिक कि अब तक या तो निकट के किसी परिसर को इस में सम्मिलित कर के इस का विस्तार कर दिया जाना चाहिए था। या फिर जिला अदालत के लिए किसी रिक्त भूमि पर नया परिसर बना दिया जाना चाहिए था। लेकिन अभी सरकार इस पर कोई विचार नहीं कर रही है। शायद वह यह निर्णय तब ले जब इस परिसर में अदालतें संचालित करना बिलकुल ही असंभव हो जाए।   

कोटा जिला अदालत परिसर का उपग्रह चित्र
धिक अदालतों के लिए अधिक इमारतों की आवश्यकता के चलते इस परिसर में अब कोई स्थान ऐसा नहीं बचा है जिस में और इमारतें बनाई जाएँ। यही कारण है कि कुछ अदालतें सड़क पार पश्चिम में कलेक्टरी परिसर में चल रही हैं तो कुछ अदालतों के लिए निकट ही किराए के भवन लिए जा चुके हैं। परिसर में वाहन पार्किंग के लिए बहुत कम स्थान है, जिस का नतीजा यह है कि अदालत आने वाले आधे से अधिक वाहन बाहर सड़क पर पार्क करने पड़ते हैं। मुझे स्वयं को अपनी कार सड़क के किनारे पार्क करनी पड़ती है। इस परिसर में पहले एक इमारत से दूसरी तक जाने के लिए सड़कें थीं और शेष खुली भूमि। लेकिन बरसात के समय यह खुली कच्ची भूमि में पानी भर जाया करता था और मिट्टी पैरों पर चिपकने लगती थी। इस कारण से परिसर में जितनी भी खुली भूमि थी उस में कंक्रीट बिछा दिया गया। केवल जिला जज की इमारत के सामने और सड़क के बीच एक पार्क में कच्ची भूंमि शेष रह गई। लोगों को चलने फिरने में आराम हो गया। 
सूखा हुआ नीम वृक्ष
कंक्रीट बिछाने पर हुआ यह कि जहाँ जहाँ वृक्ष थे उन के तने कंक्रीट से घिर गए। इस वर्ष देखने को मिला कि अचानक एक जवान नीम का वृक्ष खड़ा खड़ा पूरा सूख गया। सभी को आश्रर्य हुआ कि एक जवान हरा भरा वृक्ष कैसे सूख गया। मै ने कल पास जा कर उस का अवलोकन किया तो देखा कि वृक्ष के तने को अपनी मोटाई बढ़ाने के लिए कोई स्थान ही शेष नहीं रहा है। होता यह है कि वृक्षों को जड़ों से पोषण पहुँचाने वाला तने पुराना क्षेत्र जो वलय के रूप में होता  है वह अवरुद्ध हो जाता है और हर वर्ष एक नया वलय तने की बाहरी सतह की ओर बनता है जो पुराने वलय के स्थान पर वृक्ष को जड़ों से पोषण पहुँचाता है। लेकिन इस नीम के वृक्ष का तना सीमेंट कंक्रीट बिछा दिए जाने के कारण अपने नए वलय का निर्माण नहीं कर पाया और वृक्ष को मिलने वाला पोषण मिलना बंद हो गया। वृक्ष को भूमि से जल व पोषण नहीं मिलने से वह सूख गया। असमय ही एक वृक्ष मृत्यु के मुख में चला गया। 
कंक्रीट से घिरा तना
 इस .युग में जब धरती पर से वृक्ष वैसे ही कम हो रहे हैं। इस तरह की लापरवाही से वृक्ष की जो असमय मृत्यु हुई है वह किसी मनुष्य की हत्या से भी बड़ा अपराध है। यदि कंक्रीट बिछाने वाले मजदूरों, मिस्त्रियों और इंजिनियरों ने जरा भी ध्यान रखा होता और वृक्ष के तने के आस-पास चार-छह इंच का स्थान खाली छोड़ दिया जाता तो यह वृक्ष अभी अनेक वर्ष जीवित रह सकता था। जीवित रहते वह सब को छाया प्रदान करता, ऑक्सीजन देता रहता। कंक्रीट बिछाने का काम राज्य के पीडब्लूडी विभाग ने किया था। कागजों में खोजने से यह भी पता लग जाएगा कि यहाँ कंक्रीट बिछाने का काम किस इंजिनियर की देख-रेख मे हुआ था। लेकिन इतना होने पर भी किसी को इस वृक्ष की हत्या के लिए दोषी न ठहराया जाएगा। यदि ठहरा भी दिया जाए तो उसे कोई दंड भले ही दे दिया जाए, लेकिन इस बात को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से कोई वृक्ष नहीं मरेगा। इस के लिए तो मनुष्यों में वृक्षों के लिए प्रेम जागृत करना होगा। जिस से लोग अपने आस पास वृक्षों के लिए उत्पन्न  होने वाले खतरों पर निगाह रखें और कोई वृक्ष मृत्यु को प्राप्त हो उस से पहले ही उस विपत्ति को दूर कर दिया जाए।
मेरे घर के सामने भी मेरे लगाए हुए दो वृक्ष हैं एक नीम का और एक कचनार का। यहाँ भी कंक्रीट बिछाया गया था। लेकिन मोहल्ले में रहने वाले और स्वैच्छा से सामने के पार्क की देखभाल रखने वाले रामधन मीणा जी ने मुझे बताया कि इन वृक्षों के आस पास के कंक्रीट के तोड़ कर स्थान बनाना चाहिए अन्यथा यह सूख जाएंगे। हमने ऐसा ही किया और वे वृक्ष बच गए। अदालत में भी वृक्षों पर किसी का ध्यान रहा होता तो मरने वाला वृक्ष बचाया जा सकता था।