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मंगलवार, 27 जुलाई 2010

पूछा था अच्छा ऑर्थोपेडिस्ट, मुझे कसाई याद आता रहा .....

ट्रेक्टर दुर्घटना में वह घायल हुआ है। उस की छाती स्टेयरिंग के नीचे दब गई थी।  उस की सारी पसलियाँ टूटी हुई हैं और नीचे का जबड़ा अलग हो कर लटक गया है। फिर जब क्रेन ट्रेक्टर को निकालने आई तो उस ने ट्रेक्टर को गड्ढे से बाहर निकालने के लिए उठाया और ट्रेक्टर छिटक गया। वह भी ट्रेक्टर के साथ ही नीचे गिरा, उस के साथ ही फिर से उछला, फिर गिरा। उसे फिर से क्रेन ने उठा कर बाहर निकाला। उसे जिले के सरकारी अस्पताल लाया गया। यह मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल है। 
से प्राथमिक चिकित्सा दी गई। डाक्टर ने देखा तो बताया कि जबड़ा यदि तुरंत बांधा नहीं गया तो हमेशा के लिए ऐसा ही रह जाएगा। जबड़ा बांधने की राशि दस हजार मांगी गई। उस के पिता के पास पैसा कहाँ था। उस ने डाक्टर से अनुनय-विनय की, गिड़गिड़ाया। डाक्टर ने रकम पाँच हजार कर दी। पर पिता के पास तो देने को वे भी नहीं थे। उस ने कहा सरकारी अस्पताल में तो मुफ्त में इलाज होना चाहिए। डाक्टर ने कहा करते हैं मुफ्त में इलाज। डाक्टर ने जबड़े को सुन्न कर उस के एक सिरे पर सुए से तार डाला  सुआ वापस निकाल कर उसे प्लास जैसे किसी औजार से पकड़ा। तार का दूसरा सिरा लड़के के पिता को पकड़ा दिया। कहा इसे कस कर पकड़े रहना। डाक्टर ने तार को जोर से खींचा। इतना जोर से कि तार जबड़े को चीरता हुआ बाहर आ गया। खून बहने लगा। डाक्टर झल्ला गया था। एक तो उसे मजदूरी नहीं मिली थी, दूसरे उस से जोर ज्यादा लग गया था।
उस ने दुबारा पास ही एक और स्थान पर यही क्रिया दोहराई। इस बार तार बाहर तो न आया। लेकिन कहीं दांत में अटक गया और उस ने एक दाँत को जबड़े से अलग कर दिया। तब तक डाक्टर की झल्लाहट कम हो चुकी थी। लेकिन लड़का खून से तरबतर था और पिता का खून सूख चुका था।
खैर डॉक्टर ने तीसरे प्रयास में जैसे-तैसे जबड़े को बांध दिया। लड़के को ले कर उस का पिता वापस वार्ड में आ गया। दूसरे दिन उसे डिस्चार्ज कर दिया। पिता कहने लगा। अभी तो इस की सारी पसलियाँ टूटी पड़ी हैं। इसे कैसे घर ले जाऊँ? कम्पाउंडर ने कहा-भाई वे तो ठीक होते ही होंगी, हम तो जितना कर सकते थे कर चुके।
..... असल में आज मैं ने अपने एक सहायक वकील से पूछा था कि कोई अच्छा ऑर्थोपेडिस्ट बताओ। तो उस ने यह किस्सा सुनाया। फिर बोला -अब अच्छा कैसे बताऊँ, लड़के का पिता दस हजार दे देता तो वही अच्छा ऑर्थोपेडिस्ट हो जाता। मुझे उस डाक्टर के साथ कसाई याद आता रहा। हालांकि मैं ने कभी कोई कसाई देखा नहीं है। उस के बारे में सुनता और पढ़ता ही रहा हूँ।