@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: बालिका वधू
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शुक्रवार, 11 जुलाई 2008

'बाल, बच्चे वाला'

जी हाँ, 'बाल बच्चे वाला' तो सुन ही रखा होगा। मगर यह बाल, बच्चे वाला है। बात है मेरे गृह राज्य बाड़मेर की यहां का एक 15 साल का किशोर खीया राम जाट सरकारी स्कूल में आठवीं क्लास का छात्र है। बिरादरी के रिवाजों के मुताबिक उस का विवाह ग्यारह साल की उम्र में ही देवी नाम की लड़की से हो चुका है, और उस की यह अर्धांगिनी उस से उम्र में दो बरस बड़ी है।
आम तौर पर बाल विवाह करने वाली लड़कियों का गौना बालिग होने पर किया जाता है। लेकिन खर्चे की बचत के लिए शादी के वक्त ही उस का गौना भी पत्नी के पीहर वालों ने कर दिया। इस से देवी को ससुराल आ कर रहने की छूट मिल गई। नतीजा यह हुआ कि देवी के सत्रहवें साल में और उस के पिया 'खिया" के पन्द्रहवें वर्ष में ही एक सन्तान पैदा हो गई।


सनावड़ा गांव के रहने वाले खीया की शादी में खीया के क्लास के बाकी बच्चे भी शामिल हुए थे। लेकिन जब छह महीने पहले खीया बाप बना तो उसने इसका जिक्र कहीं नहीं किया। उसे लोगों की टांग खिंचाई का डर था। इस रिवाज के कारण कि लड़की का पहली जचगी पीहर में हो खीया को इस खबर को छुपाने में कुछ हद तक कामयाबी भी मिली। उसकी पत्नी देवी ने अपने मायके यानी नजदीकी गांव खारी में जाकर बच्चे को जन्म दिया। मगर यह खबर छुप नहीं सकी जल्द ही खीया के स्कूल के लड़कों को इस बारे में पता चल गया कि उन का सहपाठी खीया बाप बन चुका है

इससे पहले बाढ़मेर जिले के ही निवासी भीमाराम जाट 88 साल की उम्र में पिता बनने का श्रेय प्राप्त कर सुर्खियां बटोर चुका है। जिस का पूरा श्रेय उस ने ऊंटनी के दूध को दिया था, लेकिन खीया के मामले में श्रेय उस की माँ के दूध को दिया जाए या फिर राजस्थान में अब तक पनप रही बाल विवाह की प्रथा को इस का निर्णय आप खुद करें।

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा ने इसी साल अपने सभी अधिकारियों और मंत्रियों को निर्देश दिया है कि उनके इलाके में किसी भी तरह की बाल विवाह की घटना न हो, जबकि बीजेपी के 50 और कांग्रेस के 26 विधायकों की शादी 16 साल से पहले ही हो गई थी।