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रविवार, 11 जुलाई 2010

जीत की क्षमता में विश्वास और जीतने की सामान्य इच्छा के ग्राफ को ऊपर बनाए रखने वाला बनेगा सरताज

स कुछ ही घंटे बाकी हैं, फिर विश्वकप फुटबॉल 2010 का खिताबी मुकाबला आरंभ होगा जो तय करेगा कि इस खिताब को पाने वाला आठवाँ देश कौन सा होगा। नीदरलैंड और स्पेन की टीमों के बीच होने वाला यह मुकाबला दिलचस्प होगा। दोनों ही देशों टीमें  कभी इस खिताब को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकी हैं। इस बार भी दोनों में से एक को यह अवसर खोना पड़ेगा।

र्षों बाद दमखम और कला-कुशलता दिखाने वाली उरुग्वे को जर्मनी के मुकाबले चौथे स्थान पर रहना पड़ा। जर्मनी जो विश्वकप की मजबूत दावेदार दिखाई पड़ रही थी, उस ने यह मैच जीत कर अपने सम्मान को बचाया। इस जीत के लिए भी जर्मनी को अपनी पूरी ताकत और कुशलता झोंकनी पड़ी। कल के मैच को देख कर यह कहा जा सकता है कि चौथे स्थान पर रहने वाली उरुग्वे की टीम कहीं भी जर्मनी से उन्नीस नहीं थी। यदि उस में कहीं कमी दिखाई दे रही थी तो वह थी जीतने की सामान्य इच्छा और अपनी जीत  सकने की क्षमता में प्रबल विश्वास। यदि किसी टीम के सभी खिलाड़ियों के बीच जीत की सामान्य इच्छा की कमी हो  और अपनी जीत सकने की क्षमता के प्रति प्रबल विश्वास न हो तो वह कितनी ही श्रेष्ठ टीम क्यों न हो लेकिन सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकती। यदि उरुग्वे को उठ कर निकलना है तो उसे ये दोनों चीजें हासिल करनी होंगी। 

ज के फाइनल मैच में मुकाबले में उतरने वाली दोनों टीमें अपनी जीत सकने की क्षमता के प्रति आश्वस्त दिखाई पड़ती हैं। उन में इच्छा की कमी भी नहीं दिखाई देती। यही कारण है कि हम एक शानदार मुकाबले की आशा कर सकते हैं। लेकिन मैच आरंभ होने के पहले और मैच के दौरान हर पल इस विश्वास और इच्छा के ग्राफ में लगातार परिवर्तन होता रहता है। आज जो भी टीम इस ग्राफ में उच्चता बनाए रखेगी वही खिताब पर कब्जा कर सकेगी।
तो आज रात 12.00 बजे भारतीय समयानुसार ईएसपीएन पर विश्व फुटबाल का यह सरताज मुकाबला देखना न भूलें। यदि आप अपने टीवी को चालीस मिनट पहले चालू करेंगे तो शकीरा के गायन और नृत्य का प्रदर्शन भी फुटबॉल मैदान में देख सकेंगे।




शनिवार, 10 जुलाई 2010

बहुत कुछ सीखा जा सकता है स्पेनी फुटबॉल टीम की रणनीति से

स्पेन ने जिस तरह से शानदार फुटबॉल का प्रदर्शन कर जर्मनी को हराते हुए विश्वकप के फाइनल में प्रवेश किया है वह सारे विश्व को एक गरिमामय खेल सीखने को आमंत्रित करता है। खेल के पहले लगता था कि जर्मनी ही जीत का हकदार है और वह किसी भी तरह से स्पेन को परास्त कर देगा। लेकिन यह हो नहीं सका। जर्मनी के मंसूबों को स्पेन ने पानी पिला दिया। 
टीम स्पेन
स्पेन के खेल में शालीनता थी। उन्होंने पूरे मैच में गेंद पर अपना कब्जा बनाए रखा। जर्मन टीम को स्पेन के कब्जे से गेंद छीनने के अवसर कम ही मिले। यह अच्छी रणनीति साबित हुई। क्यों कि जितना आप का कब्जा गेंद पर रहेगा उतने ही गोल खाने के अवसर कम होंगे और गोल करने के अधिक। गेंद पर कब्जा बनाए रख कर जर्मनी द्वारा अपने गोल पर प्रहार करने के अवसरों को न्यूनतम कर देना स्पेन की पहली रणनीति थी। 
दूसरी नीति स्पेन की यह थी कि जब भी अवसर मिले गेंद को गोल पर मारा जाए। इस से गोल पर प्रहार के अवसर बढ़ेंगे। जर्मनी की रक्षा कितनी ही मजबूत क्यों नहीं रही हो। लेकिन जब स्पेन ने प्रहार पर प्रहार किए तो यह निश्चित ही था कि कभी तो रक्षा पंक्ति से कोई चूक होती और गोल हो जाता। यही हुआ भी स्पेन ने खुद को मिले कॉर्नर पर एक ऐसा अवसर खोज ही लिया तब जर्मनी की रक्षा पंक्ति कुछ भी नहीं कर सकी। इसी ने स्पेन को फाइनल की राह दिखाई। 
गोल करने के बाद जश्न मनाते नीदरलेंड खिलाड़ी
फाइनल में स्पेन की विपक्षी टीम भी गेंद पर कब्जा बनाए रखने में कमजोर नहीं है। लेकिन मेरी राय में स्पेन से उन्नीस ही है। नीदरलैंड के खिलाड़ियों ने स्पेन के खेल से सीखा ही होगा और उन के कोच ने स्थितियों को नियंत्रित रखने के गुर भी बताए होंगे। स्पेन ने भी नीदरलैंड की संभावित तैयारियों को ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी अवश्य ही की होगी। निश्चित ही यह मैच कमजोर न होगा। आप तैयार रहें भारतीय समयानुसार रविवार की रात 12 बजे बाद अर्थात सोमवार की सुबह 0.00 बजे से विश्व के सर्वाधिक ख्यात खेल के विश्वकप का अंतिम खिताबी मैच देखने के लिए।