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रविवार, 31 जुलाई 2011

रेलवे ने 90वें दिन के बाद के भी आरक्षित टिकट जारी किए

भारतीय रेलवे भारत में यात्रा का उपयुक्त साधन है। हर तरह के यात्री इस में यात्रा करते हैं। लंबी दूरियों की यात्रा करने वाले सभी यात्री रेल में यात्रा करना चाहते हैं। भारतीय रेलवे की अधिकांश गाड़ियों में पूर्व आरक्षण सुविधा है। रेलवे ने आरक्षण के लिए अनेक व्यवस्थाएँ की हैं। आरक्षण कार्यालयों की खिड़की से आरक्षण प्राप्त किया जा सकता है, यदि आप ने रेलवे आरक्षण की साइट https://www.irctc.co.in/ पर पंजीकरण किया हुआ है तो आप वहाँ से ई-टिकट और आई-टिकट प्राप्त कर सकते हैं, किसी अधिकृत एजेंट से टिकट बुक करवा सकते हैं, आदि आदि।  मैं स्वयं बहुत कम यात्राएँ करता हूँ।  इस कारण आरक्षण-तंत्र से बहुत अधिक परिचित भी नहीं हूँ। लेकिन बेटा और बेटी दोनों अपने अपने नियोजनों के कारण बाहर रहते हैं और उन्हें घर आने के लिए रेलवे का ही सहारा होता है। दोनों के पास इंटरनेट पर जाने के लिए अपने-अपने साधन हैं। फिर भी कभी जब उन्हें आना-जाना होता है और त्योहारों के कारण टिकिट की मांग बहुत अधिक होती है तो वे मुझे टिकट प्राप्त करने के लिए कहते हैं। बेटे को दीवाली पर घर आना है। उस ने मुझे टिकट के लिए कहा तो मैं ने एक एजेंट को टिकट बनाने के लिए बोल दिया। जिस दिन का हम चाहते थे टिकट नहीं मिला, एक दिन पहले का मिला। अब उसे एक दिन पहले आने के लिए एक दिन का अवकाश अधिक लेना होगा।

र आने का टिकट प्राप्त हो जाने के बाद वापसी का टिकट भी तो चाहिए। उस के लिए हमें कुछ दिन प्रतीक्षा करनी थी। रेलवे किसी भी दिन का आरक्षित टिकट प्राप्त करने की सुविधा उस दिन से 90 दिन पहले सुबह 8:00 बजे आरंभ करती है। उस से पहले कोई टिकट रेलवे जारी नहीं करती। बेटे को 30 अक्टूबर का टिकट चाहिए था। लेकिन मैं ने टिकटों की मारा-मारी के कारण यह उचित समझा कि 29 अक्टूबर का टिकट ले लिया जाए। यदि 30 का भी मिल जाएगा तो हम 29 अक्टूबर का निरस्त करवा लेंगे। 29 अक्टूबर के टिकट के लिए आरक्षण आज खुलना था। इस लिए सुबह सुबह ही एजेंट को फोन कर के बताया कि वह टिकट बना ले। मैं ने सोचा कि मैं स्वयं क्यों न कोशिश करूं? मैं ने सुबह आठ बजे irctc पर लोग-इन किया। लेकिन वहाँ पता लगा कि 'क्विक बुक' की सुविधा सुबह 8 से 9 बजे तक बंद रहती है। फिर 'प्लान माई ट्रेवल' में गए तो सब  औपचारिकताएँ पूरी कर देने के उपरांत स्टेशन सूची के लिए चटका लगाया तो साइट ने स्टेशन सूची खोलने से इन्कार कर दिया। सुबह 8 बजे से प्रयत्न करता रहा,  9 बजने तक स्टेशन सूची खुल ही नहीं रही थी। 

खिर 9 भी बजे। अब मैं 'क्विक बुक' सुविधा का उपयोग कर सकता था। रेलवे की सामान्य साइट पर आज 29 अक्टूबर तक के ही टिकट जारी होना बताया जा रहा था। लेकिन जब मैं टिकटों की उपलब्धता पर गया तो पता लगा कि 31 अक्टूबर तक के टिकट बुक हो चुके हैं। इस का अर्थ था कि आज 92वें दिन तक के टिकट भी बुक किए जा चुके थे। यह रेल नियमों का उल्लंघन है। क्यों कि नियमों में यह बताया गया है कि टिकट 90 दिन पहले ही जारी किया जा सकता है, उस से पहले नहीं। मैं ने इन नियमों को रेलवे की साइट पर जा कर जाँच भी लिया। वहाँ अंग्रेजी में दो स्थानों पर 90 दिन पूर्व की सूचना अंकित है, लेकिन हिन्दी साइट पर पहले 60 दिन और फिर 90 दिन अंकित है। शायद हिन्दी साइट पर यह त्रुटि दुरुस्त नहीं की गई है। किसी ने ध्यान भी नहीं दिलाया है कि उसे दुरुस्त किया जा सके। 

खैर, मुझे आशंका हो चली थी कि अब 29-30 अक्टूबर का शायद ही कोई टिकट मिल पाए। यही हुआ भी, जिस गाड़ी में मैं टिकट लेना चाहता था उस में कोई भी टिकट इन दो दिनों का उपलब्ध नहीं था। मैं गाड़ियाँ बदल बदल कर देखने लगा कि किसी अन्य गाड़ी में इन दिनों का टिकट मिल जाए। इसी बीच एजेंट का फोन आ गया कि 29-30 अक्टूबर को दोनों दिन प्रतीक्षा सूची 6 और 10 तक जा चुकी है क्या टिकट ले लिया जाए? मैंने उसे 30 अक्टूबर का प्रतीक्षा टिकट लेने को कहा और फिर से तलाश में जुट गया। एक अन्य ट्रेन में 30 अक्टूबर का पुष्ट टिकट मिल रहा था। मैं ने तुरंत उस के लिए कार्यवाही की और उसे पुष्ट कर लिया। अब मैं निश्चिंत था कि बेटे का दीवाली पर घर आने का ही नहीं वापसी की व्यवस्था भी हो गई है। 

रेलवे टिकट के लिए मारामारी आम बात है। अक्सर ही यह अनुभव हुआ है कि 90 दिन पहले आरक्षण खिड़की पर पंक्ति में सब से आगे खड़े व्यक्ति को भी पुष्ट टिकट नहीं मिल पाता है। कैसे एक मिनट से भी कम समय में ही पूरी गाड़ी की सारी आरक्षित शैयाओं के टिकट जारी हो जाते हैं? इस प्रश्न का उत्तर आज तक नहीं मिल पाया है। तुरंत यात्रा कार्यक्रम वालों के लिए दो दिन पहले कुछ अधिक धन खर्च कर के टिकट प्राप्त करने की सुविधा भी है लेकिन उस का भी अपना कड़वा अनुभव है। जब हम गाड़ी पर पहुँचते हैं तो वहाँ आरक्षित डब्बों के बाहर अक्सर कुछ लोग दिखाई दे जाते हैं जिन के हाथों में आरक्षण खिड़की से प्राप्त किए हुए दर्जनों टिकट होते हैं और वे अपने मुवक्किलों को प्लेटफार्म पर ही टिकट देते हैं और पैसे वसूल करते हैं। यह रेलवे की कौन सी सुविधा है यह आज तक पता नहीं है। हाँ इतना जरूर पता है कि टिकट ले कर खड़े रहने वाला यह व्यक्ति रेलवे का कर्मचारी या एजेंट नहीं होता है। मैं ने आज जो अनियमितता देखी है उस का तो कोई स्पष्टीकरण मुझे सूझ नहीं रहा है। इस का स्पष्टीकरण रेलवे को करना ही चाहिए कि जब आरक्षित टिकट केवल 90 दिन पहले तक के ही जारी किए जा सकते हैं, तब 90 वें दिन से पहले के टिकट कैसे जारी किए गए हैं?

पुनश्चः
2:33 अपरान्ह
क खबरिया चैनल बता रहा है कि आज सुबह 29 अक्टूबर के रेल टिकटों का आरक्षण जारी करना आरंभ हुआ और 10 मिनट में 100 गाडि़यों के सभी शायिकाएँ आरक्षित हो गईं।
ह प्रश्न अब भी बना हुआ है कि मुझे 30 अक्टूबर की टिकट का आरक्षण कैसे मिला?