@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: उरुग्वे
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शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

खुद को साबित करने का अंतिम अवसर

उरुग्वे की मंत्रणा
हले दो बार विश्वकप  विजेता का खिताब प्राप्त कर चुकी उरुग्वे की टीम ने पिछले चालीस सालों का सबसे बेहतर प्रदर्शन कर सेमीफाइनल में प्रवेश पाया था। सेमीफाईनल में भी उन का प्रदर्शन कमजोर नहीं था। यदि नीदरलैंड के खिलाड़ी दो चमत्कारी गोल कर पाने में सफल न होते तो उरुग्वे फाइनल में होता और हो सकता था कि वह 2010 का विश्वकप विजेता होता। उरुग्वे के सितारा खिलाड़ी  डिएगो फॉरलान ने खुद कहा, 'हम वर्ल्ड कप के इतने करीब थे। हमने सुनहरा मौका गंवा दिया।' अब उसी टीमं को आज कुछ घंटों के बाद जर्मनी से मुकाबला कर एक बार अपने कौशल और ताकत का एक बार फिर से प्रदर्शन करते हुए अपने आप को साबित कर दिखाना है कि वे भी इस बार विश्वकप की मजबूत दावेदार थे।
जर्मन टीम
धर जर्मनी तो आरंभ से ही बहुत मजबूत नजर आ रही थी। अधिकांश पर्यवेक्षक और फुटबॉल के दीवानों का यही ख्याल था कि जर्मनी ही इस बार विश्वकप ले जाएगा। उस के खिलाड़ी सब से अधिक दमखम दिखा रहे थे। उन की गति और लय शानदार थी। ऐसा प्रतीत होता था कि लक्ष्य हासिल करने के पहले कोई उन्हें रोक नहीं सकता। लेकिन स्पेन के साथ खेलते हुए वे वैसे ही निस्तेज हुए जैसे सूरज उगते ही चंद्रमा की रोशनी और चमक फीकी पड़ जाती है।  निश्चय ही कभी भी फाइनल का चेहरा न देख पाने वाली जर्मन टीम के मंसूबों को सेमीफाइनल की हार कम न साली होगी। लेकिन आज का मैच उन्हें हार की इस  सालन से बाहर निकल कर खेलना होगा। वर्ना यह भी हो सकता है कि उरुग्वे उन्हें अपने कलात्मक प्रदर्शन से हरा दे और जर्मन खिलाड़ियों को शर्मिंदा होना पड़े।
स विश्वकप में अपने आप को साबित करने का यह अंतिम अवसर दोनों ही टीमें नहीं चूकना चाहेंगी। हम भी चाहते हैं कि तीसरे स्थान के लिए होने वाला यह मैच उतना ही आकर्षक हो जितना कि फाइनल संभावित हो सकता है। दर्शक इस मैच को अवश्य ही देखना चाहेंगे। वैसे भी इस विश्वकप में दक्षिण अमरीकी कलात्मकता इसी मैच में अंतिम बार देखने को मिलेगी। तो देखना न भूलें इस मैच को कल रात अर्थात 10 जुलाई को रात बारह बजे के उपरांत 11 जुलाई की सुबह 0.00 बजे से ईएसपीएन पर।

बुधवार, 7 जुलाई 2010

शानदार, साफ सुथरी फुटबॉल देखने को मिली विश्वकप 2010 के पहले सेमीफाइनल में

हुत दिनों बाद ऐसी सुंदर फुटबॉल देखने को मिली। कहीं किसी तरह का फालतू टकराव नहीं। नतीजा ये हुआ कि फ्री-किक बहुत कम देखने को मिली। आखिर नीदरलेंड ने विजय पायी। पहला गोल नीदरलेंड ने शानदार फील्ड किक से किया तो पहले हाफ के उत्तरार्ध में यही कारनामा उरुग्वे के फोरलेन ने कर दिखाया। दूसरे हाफ के आरंभ में खेल 1-1 की बराबरी पर था।
दूसरे हाफ में जो दो चमत्कारी गोल नीदरलेंड की ओर से हुए उन्हों ने नीदरलेंड को 1974 और 1978 के बाद तीसरी बार फाइनल की राह दिखा दी। लेकिन उरुग्वे ने आखिर तक अपना खेल खेला और अंतिम क्षणों में एक गोल दाग कर नीदरलेंड की जीत के अंतर को 3-2 तक सीमित कर दिया। अब उरुग्वे को तीसरे स्थान के लिए आज दूसरे सेमीफाइनल में हारने वाली टीम से खेलना होगा।
नीदरलैंड के लिए कप्तान जियोवानी वान ब्रोर्कोस्ट ( 18वें मिनट ), वेस्ले श्नाइडर ( 70वें ) और अर्जेन रोबेन ( 73वें मिनट ) ने गोल किए।
उरुग्वे ने अपनी ओर से कोशिश कम नहीं की लेकिन उसकी ओर से कप्तान डियगो फोरलैन (40वें मिनट)और मैक्सिमिलियानो परेरा (90 मिनट, इंजुरी टाइम) केवल दो ही गोल कर पाए। 
दोनों ही टीमों ने शानदार और साफ सुथरी फुटबॉल खेली। मैच की सांख्यिकी इस बात की गवाह है ....

नीदरलैंड की ओर से दूसरा गोल करने वाला माथा दिखाते खिलाड़ी
  • गोल की तरफ उरुग्वे ने 12 निशाने लगाए तो नीदरलेंड उस से एक कम केवल 11
  • लक्ष्य से बाहर उरुग्वे ने 6 निशाने लगाए तो नीदरलेंड ने उस से दो कम केवल 4
  • लक्ष्य पर उरुग्वे ने 6 निशाने साधे तो नीदरलेंड ने उस से एक अधिक 7 निशाने
  • उरुग्वे ने 15 फाउल खेले तो नीदरलेंड ने उस से एक अधिक  कुल 16
  • उरुग्वे ने 47 % समय गेंद को अपने कब्जे में रखा तो 53% समय में नीदरलेंड ने
  • उरुग्वे के खिलाड़ी 4 बार ऑफसाइड हुए तो नीदरलेंड के खिलाड़ी 5 बार
  • उरुग्वे को कॉर्नर मिले 4 तो नीदरलेंड को कॉर्नर मिले 5
  • पीले कार्ड उरग्वे को 2 बार दिखाए गए तो नीदरलेंड को तीन बार
  • लाल कार्ड दिखाने की नौबत नहीं आई
गोल की ओर हैडर मारते नीदरलैंड का खिलाड़ी
कुल मिला कर खेलने के मामले में उरुग्वे ने भी निराश नहीं किया। लेकिन इस के साथ ही अंतिम दक्षिण अमरीकी टीम फाइनल की दौड़ से बाहर हो गई। फुटबॉल विश्वकप 2010 यूरोप में जाना तय हो गया। 
ज रात भारतीय समय के अनुसार फिर एक शानदार मुकाबला देखने को मिलेगा, जर्मनी और स्पेन के बीच। लेकिन जैसी संभावना है वह इतना साफ सुथरा शायद ही रहे जितना कल का मुकाबला था। हाँ खेल में आज की अपेक्षा अधिक तेजी देखने को मिलेगी। 


मंगलवार, 6 जुलाई 2010

देखते हैं, कौन सा शेर कितना भूखा है ......

स घंटा भर और शेष है फिर फुटबॉल विश्वकप 2010 का पहला सेमी फाइनल मैच आरंभ हो जाएगा। वैसे  एक पाठक ने यह आपत्ति की है कि इसे फुटबॉल कहना गलत है। यह सॉसर है, ना कि फुटबॉल। क्यों कि फुटबॉल तो गोल न हो कर कुछ लंबी हुआ करती थी। खैर हम तो इसे फुटबॉल ही कहेंगे। क्यों कि फीफा इसे फुटबॉल ही कहता है।

ब लोग मान कर चल रहे हैं कि पहले सेमीफाइनल में तो नीदरलैंड की जीत पक्की है। पर यह पक्का भी नहीं है। जहाँ नीदरलैंड को फीफा विश्वकप का फाइनल खेले 32 वर्ष हो चुके हैं वहीं उरुग्वे साठ वर्ष पहले फाइनल खेलने के बाद फिर से फाइनल  प्रवेश की तैयारी में है। अब यह तो मैच ही तय करेगा कि कौन सा शेर कितना भूखा है? और कौन किस का शिकार करता है? 
हाँ नीदरलैंड के विंगर डिर्क कुट का कहना है कि हम खुशी से सराबोर हैं कि हम फाइनल के कितने नजदीक हैं। यह वो चीज है जिस के लिए हम पूरे जीवन सपना देखते रहे हैं। लेकिन हमें सावधान भी रहना होगा, क्यों कि सेमीफाइनल विश्वकप में हमारा सब से मुश्किल मैच होगा।

धर उरुग्वे के सितारा खिलाड़ी डियेगो फोरलेन का कह रहे हैं कि उरुग्वे के लोग हमें सेमीफाइनल में देख कर कितने खुश हैं इस का अनुमान हम नहीं कर सकते। वर्षों से उन्होंने अपनी टीम को इतना आगे तक आते नहीं देखा। लेकिन हम चाहते हैं कि हम उन्हें और अधिक खुशी दे सकें। 
मैं जानता हूँ कि उरुग्वे के लिए नीदरलैंड को हरा पाना मुश्किल ही नहीं असंभव जैसा है, लेकिन असंभव नहीं। वे फीफा विश्वकप के पहले विजेता हैं, और अब फिर से कप के इतने नजदीक पहुँच कर अपने विरोधियों पर टूट पड़ सकते हैं। निश्चय ही नीदरलैंड के लिए यह मुकाबला आसान नहीं होगा। आज के इस खेल में हम दक्षिण अमरीकी फुटबॉल का कलात्मक खेल और यूरोप की ताकत और तेजी को देखेंगे।

मैं खुद चाहता हूँ कि उरुग्वे की सेमी फाइनल में पहुँची अकेली  दक्षिण अमरीकी टीम जीते और फाईनल खेले। जिस से फाईनल में हमें दो भिन्न महाद्वीपों की टीमों के बीच टक्कर दिखाई दे।