tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post914765306955942767..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: घूंघट में दूरबीन और हेण्डपम्प का शीतल जल -एक ग्राम यात्रादिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-16869389184267525912010-06-27T18:37:34.473+05:302010-06-27T18:37:34.473+05:30हम भी आपके सहयात्री हैं इस ग्राम यात्रा में। आनन्...हम भी आपके सहयात्री हैं इस ग्राम यात्रा में। आनन्द आ रहा है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-7360185873514274092010-06-27T16:57:40.101+05:302010-06-27T16:57:40.101+05:30मज़ा आ गया, जी लिए आपके चमत्कारी वर्णन के सहारे ये ...मज़ा आ गया, जी लिए आपके चमत्कारी वर्णन के सहारे ये क्षण; इस जीवन के नैसर्गिक आनन्द के क्षण। काश कि सशरीर वहीं इहलीला कर पाते!Himanshu Mohanhttps://www.blogger.com/profile/16662169298950506955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-56366601140571650602010-06-27T16:53:47.244+05:302010-06-27T16:53:47.244+05:30घूंघट और बाइनाकुलर का साम्य खूब ढूंढा आपने :)घूंघट और बाइनाकुलर का साम्य खूब ढूंढा आपने :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-34419603444428615582010-06-27T13:51:09.082+05:302010-06-27T13:51:09.082+05:30इस श्रंखला की तीनो पोस्टे आज ही पढी . मेरा तो रोज़...इस श्रंखला की तीनो पोस्टे आज ही पढी . मेरा तो रोज़ ही गांव का सम्पर्क है . लेकिन गान्वो का शहरीकरण इन सब रितियो को निगल रहा है .<br />यह जो स्वत: पानी निकलने वाले बोरिंग होते है अगर उन्हे उपर से बन्द कर दिया जाये तो फ़िर कभी पानी नही देते . हमारे यहा तराई में ऎसे ही बोरिंग होते हैdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-83875083763608524822010-06-27T09:03:11.868+05:302010-06-27T09:03:11.868+05:30जय गणपति .....जय गणपति .....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-45549955548805764432010-06-27T06:31:15.688+05:302010-06-27T06:31:15.688+05:30बढ़िया लगी ग्राम्य श्रंखलाबढ़िया लगी ग्राम्य श्रंखलाGyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-28187130919507476962010-06-26T23:08:59.560+05:302010-06-26T23:08:59.560+05:30हम चूक गये...
श्रृंखला को सिरे से देखते हैं....हम चूक गये...<br />श्रृंखला को सिरे से देखते हैं....रवि कुमार, रावतभाटाhttps://www.blogger.com/profile/10339245213219197980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-90085019066258671042010-06-26T21:20:11.050+05:302010-06-26T21:20:11.050+05:30एक ही शर्त होती, रतन सेव वाले की कचौड़ियाँ खिलानी ...एक ही शर्त होती, रतन सेव वाले की कचौड़ियाँ खिलानी पड़ेंगी।<br /><br />Hamari bhi yahi shart hai ji.ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-68921182704992637252010-06-26T20:03:27.203+05:302010-06-26T20:03:27.203+05:30अहा ! ग्राम्यजीवन भी क्या है ।अहा ! ग्राम्यजीवन भी क्या है ।अरुणेश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14110290381536011014noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-37543976154572605552010-06-26T19:44:20.052+05:302010-06-26T19:44:20.052+05:30अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है ।अहा ग्राम्य जीवन भी क्या है ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-89248935235878930482010-06-26T19:34:11.425+05:302010-06-26T19:34:11.425+05:30बहुत आंन्द आ रहा है आप की यह कहानी पढ कर, लगता है ...बहुत आंन्द आ रहा है आप की यह कहानी पढ कर, लगता है जेसे हम ही यह सब कर रहे हो,<br />पटासो की याद आप ने जिंदा कर दी मुझे बहुत स्वाद लगते है. धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-39211346296191439412010-06-26T17:10:15.823+05:302010-06-26T17:10:15.823+05:30जय गणपति महाराज की
यह श्रंखला पढने में बहुत मजा आ...जय गणपति महाराज की<br /><br />यह श्रंखला पढने में बहुत मजा आ रहा है जी<br /><br />प्रणामअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.com