tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post9118819127417510334..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: मेरा सिर शर्म से झुका हुआ हैदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger51125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-75360659764823671652011-06-25T00:52:24.299+05:302011-06-25T00:52:24.299+05:30पहली बात तो यह है कि यदि कोई गम्भीर रोग न हो तो ६५...पहली बात तो यह है कि यदि कोई गम्भीर रोग न हो तो ६५ वर्ष कोई असहाय उम्र नहीं है जिसमें कोई रसोई में खाना न बना सके।<br />दूसरी बातः बहुत सी संतान ६५ या ६८ या ७० कि उम्र में भी अपने माता पिता के साथ रहती हैं। कौन किसका ध्यान रखे? कौन वृद्ध कौन युवा?<br />तीसरी बातः मेरे अपने एक भाई ६८ के हैं और भाभी ६५ की! यदि माँ उनके साथ रह रही होती तो? कौन बुढ़िया होतीं मेरी भाभी या मेरी माँ? कौन किसका ध्यान रखती? भाई व भाभी दोनो अवकाश के बाद भी नौकरी कर रहे हैं।<br />यह माता पिता का ध्यान न रखने की ब्लाह ब्लाह प्रायः वे ही करते हैं जो स्वयं माता पिता की सेवा से मुक्त होते हैं। जो मेरे ५९ की उम्र के भाई की तरह पिछले ३५ वर्ष से सेवा कर रहे होते हैं वे ब्लाह ब्लाह नहीं करते, अपने बुढ़ापे व अपने बच्चों को उससे बचाने की चिन्ता में लगे होते हैं।<br />कटु किन्तु सत्य यही है.<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-65122928842568344562011-06-24T13:59:35.738+05:302011-06-24T13:59:35.738+05:30बहुत ह्रदय विदारक समाचार है ! ऐसे हैवान भी हमारे स...बहुत ह्रदय विदारक समाचार है ! ऐसे हैवान भी हमारे साथ और हमारे आस पास ही इस समाज में रहते हैं और हम असहाय हो सिर्फ देख ही सकते हैं कुछ कर नहीं पाते क्योंकि किसी दूसरे व्यक्ति के परिवार के मामलों में दखल देने का अधिकार किसीको नहीं है ! ऐसे में समाज के सभी लोगों को एक जुट होकर सामूहिक रूप से कोई संगठन बनाना चाहिये जहां ऐसे उपेक्षित बुजुर्गों की देखभाल सबके सम्मिलित प्रयासों से की जा सके !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-24903289884381242002011-06-24T02:59:34.653+05:302011-06-24T02:59:34.653+05:30वाकई में बहुत अफसोसजनक वारदात है. इस तरह का व्यवहा...वाकई में बहुत अफसोसजनक वारदात है. इस तरह का व्यवहार अपने माता-पिता के प्रति बहुत शर्मनाक है. किन्तु उस मजबूर माँ के पास भी तो अपने बेटे के पास रहने के अलावा और चारा भी क्या है. समाज तो केवल सहानुभूति ही प्रकट करता है...हर किसी की माँ को पनाह तो नहीं देता अपने घर में.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-31835482620439028702011-06-23T22:44:32.940+05:302011-06-23T22:44:32.940+05:30मैं तो श्राप भी नहीं दे सकता...मैं तो श्राप भी नहीं दे सकता...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-1712187571548322712011-06-23T22:21:09.325+05:302011-06-23T22:21:09.325+05:30ऐसी न जाने कितनी घटनाएँ घटी होंगी जो समाचार नहीं ब...ऐसी न जाने कितनी घटनाएँ घटी होंगी जो समाचार नहीं बन पाई .किस दिशा में बढ़ रहा है आधुनिक समाज ? ह्रदय विदारक और शर्मनाक घटना है.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-35458582476531685092011-06-23T20:27:15.727+05:302011-06-23T20:27:15.727+05:30wastav main bade dukh aur afsos ki baat hai.khoon ...wastav main bade dukh aur afsos ki baat hai.khoon bhi paani ho raha hai aajkal.bachchon ko apne swaarth ke alawaa kuch nahi dikhataa.kalyug isi ko kahate hain.prerna argalhttps://www.blogger.com/profile/11905363361845183539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-56243053990555031112011-06-23T19:35:20.657+05:302011-06-23T19:35:20.657+05:30वास्तव में शर्म और अफसोस की बात है। उन कुपात्र संत...वास्तव में शर्म और अफसोस की बात है। उन कुपात्र संतानों और कुपात्र प्रशासन को क्या दंड मिलना चाहिए?…Saleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-31778374145075777122011-06-23T15:54:34.933+05:302011-06-23T15:54:34.933+05:30कम से कम गाँवों में तो वृद्धाश्रम नहीं खोले गए हैं...कम से कम गाँवों में तो वृद्धाश्रम नहीं खोले गए हैं।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-59686568842393610942011-06-23T15:02:56.948+05:302011-06-23T15:02:56.948+05:30hamare samaj me aisee ghatnayen bhari padi hain au...hamare samaj me aisee ghatnayen bhari padi hain aur aise log bhi jo dukh sahkar bhi galat lam ke khilaf muhn nahi kholte kyonki o kam unke apno ne hi kiya hota hai.Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-51161496017795572622011-06-23T14:51:48.572+05:302011-06-23T14:51:48.572+05:30ये समाज की एकमात्र घटना नहीं है, ऐसे किस्से से समा...ये समाज की एकमात्र घटना नहीं है, ऐसे किस्से से समाज भरा पड़ा है. जो अपने बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में डाल देते हैं और तब आते हैं जब उनका पैसा निकलना होता है. वे भी खामोश रहते हैं. हम इतने संवेदनहीन कैसे होते जा रहे हैं. हमें शर्म आती है की हम सिर्फ और सिर्फ वर्तमानकी सोच रहे हैं और कल इतिहास अपने को ही दुहराता है.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-11841168856604285592011-06-23T12:41:24.316+05:302011-06-23T12:41:24.316+05:30aise na jaane kitne hi case maine bhi dekhe hain.....aise na jaane kitne hi case maine bhi dekhe hain... <br />na jaane manavta ko kis tarah apne mann se nikaal fekte hain log...Mahesh Barmate "Maahi"https://www.blogger.com/profile/13000510161576828440noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-14459649346236244892011-06-23T12:23:56.466+05:302011-06-23T12:23:56.466+05:30जिस देश में "मातृ देवो भव, पितृ देवो भव"...जिस देश में "मातृ देवो भव, पितृ देवो भव" का पाठ पढ़ाया जाता है, उसी देश में एक माँ की स्थिति ऐसी है! बहुत ही दुखद...आज जो जवान हैं उन्हें नहीं पता कि एक दिन वे भी इस अवस्था में आने वाले हैं...<br /><br />द्विवेदी जी, मैंने आपके इस आलेख को फेसबुक पर लिंक किया है..दिवाकर मणिhttps://www.blogger.com/profile/03148232864896422250noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-46512599839752178162011-06-23T11:55:38.705+05:302011-06-23T11:55:38.705+05:30बेहद दुखद और अफसोसजनक.बेहद दुखद और अफसोसजनक.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-32365690309517009712011-06-23T10:52:52.124+05:302011-06-23T10:52:52.124+05:30...................................
....................................................<br />...................................<br />...................................<br />............ आख़िर कहें भी क्याSharif Khanhttps://www.blogger.com/profile/03078524001055043871noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-76481516104256295322011-06-23T10:16:17.268+05:302011-06-23T10:16:17.268+05:30अत्यंत दुखद और शर्मनाक ...अत्यंत दुखद और शर्मनाक ...M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-10982931837779533702011-06-23T10:16:16.265+05:302011-06-23T10:16:16.265+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-62349324652712621222011-06-23T10:06:05.743+05:302011-06-23T10:06:05.743+05:30गैर जिम्मेदाराना बर्ताव है. अफ़सोस.गैर जिम्मेदाराना बर्ताव है. अफ़सोस.Bharat Bhushanhttps://www.blogger.com/profile/10407764714563263985noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-3600379457333838362011-06-23T09:56:39.519+05:302011-06-23T09:56:39.519+05:30Kya kahun... mujhe to apne hi mata pita ki dayniye...Kya kahun... mujhe to apne hi mata pita ki dayniye stithi yaad aa gayi..aur aankhon mai beshumaar ansu..<br />pata nahi kyun betiyaan maa bapka sath dene main sankoch karti hain, kyu aisi paristithton se unhe bahar nikalne main madad nahi kartin...<br />kyun fir bhi aurat putr ki chaah rakhti hai.? manti hoon sbhi bete ek se nahi hote.. lekin aaj ke samaaj main ladkiyaan bh apne mata pita ke sath larko jaisai bartaav karnelagi hain kahin maadad karke aur kahun unhe paareshan karke.<br />shayad ye paristithiyaan kabhi khatm nahi hongi ..isi baat ka behadd afsos hai..:(<br />sharm aati hai khud par ki hum aisa hote hue dekh bhi kaise lete hain...:((<br />http://neelamkashaas.blogspot.comNeelamhttps://www.blogger.com/profile/10803510119159268464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-80936828107968017602011-06-23T09:35:40.032+05:302011-06-23T09:35:40.032+05:30Samaj Main Kupatro ki kami nahi hai, unke bachhe b...Samaj Main Kupatro ki kami nahi hai, unke bachhe bhi unke sath aisa hi karenge.Taarkeshwar Girihttps://www.blogger.com/profile/06692811488153405861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-52150569532022154162011-06-23T08:56:53.857+05:302011-06-23T08:56:53.857+05:30यही तोविडम्बना है कि माँ-बाप अपनी बहुत सी सन्तानों...यही तोविडम्बना है कि माँ-बाप अपनी बहुत सी सन्तानों को पाल सकते हैं मगर सन्तान माँ-बाप को पालना तो दूर उनका कदम-कदम पर अपमान करते हैं!<br />--<br />बहुत दुःख हुआ यह वाकया पढ़कर!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-80779223594643385192011-06-23T07:56:29.409+05:302011-06-23T07:56:29.409+05:30बीते वर्षों में माता पिता की दुर्दशा के ऐसे अनगिनत...बीते वर्षों में माता पिता की दुर्दशा के ऐसे अनगिनत किस्से पढ़े ...<br />अफसोसजनक एवं दुखद ...<br />प्रबुद्ध नागरिकों और सरकारों को इस सामाजिक समस्या पर विचार करना ही होगा ...<br />http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2011/06/blog-post_23.htmlवाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-68669909951186690802011-06-23T01:16:27.567+05:302011-06-23T01:16:27.567+05:30परम आदरणीय जमाल साहब,
अब हर जगह से तो मैं ही गलत ...परम आदरणीय जमाल साहब,<br /><br />अब हर जगह से तो मैं ही गलत हूँ। अपने चिट्ठे पर ही लिखूंगा अब। मेरा टिप्पणियाँ देना शायद किसी को रास नहीं आया। पहले किसी की लिखी चीजों को पढ़कर कुछ लिखता नहीं था, वापस उसी स्थिति में आना होगा क्योंकि मैं किसी को खुश रखने के लिए चापलूसी नहीं कर सकता। अब इस पर सवाल नहीं उठाइये क्योंकि अब जवाब देने के चक्कर में मेरा समय खराब हो जा रहा है।<br /><br />वैसे भी अब मेरी हालत लोग ही बताएंगे। चलिए कम से कम इस लायक तो लोगों ने समझा।<br /><br />अब इस घटना पर मैंने ही पहली टिप्पणी की है, आप देख रहे हैं।<br /><br />और एक बात तय है कि आप कैसा सोचते हैं और वह इससे कि आप इस पोस्ट पर (मेरी गलती तू थी लेकिन आप?) दुबारा आए क्यों? अब मत पूछिए कि मैं कौन होता हूँ पूछनेवाला। <br /><br />हाँ अगर मेरे कहे से आपको दु:ख पहुँचा हो तो माफी चाहूंगा और इससे काम न चले तो आगे भी हाजिर हूँ। <br /><br />आदाब।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-12763939745105780622011-06-22T23:39:33.472+05:302011-06-22T23:39:33.472+05:30जितना दुःखद उतना ही शर्मनाकजितना दुःखद उतना ही शर्मनाकSushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-71547822067545464942011-06-22T23:26:42.148+05:302011-06-22T23:26:42.148+05:30@ आदरणीय चंदन कुमार मिश्र जी ! हमने अपने विचार दिए...@ आदरणीय चंदन कुमार मिश्र जी ! हमने अपने विचार दिए हैं इस सामाजिक मुददे पर, आपको अपने विचार देने चाहिएं। आप पोस्ट पर विचार प्रकट करने के बजाय हमारी टिप्पणियों पर रोष क्यों जता रहे हैं ?<br />क्या आप टिप्पणीकारों को मजबूर करेंगे कि वे आपकी पसंद के मुताबिक़ टिप्पणी किया करें ?<br />पोस्ट लेखक को हमारी टिप्पणी अनुचित लगेगी तो वे हटाने को आज़ाद हैं। आप नाहक़ क्यों भिड़ रहे हैं भाई ?<br />यह एक मर्माहत कर देने वाली पोस्ट है। इस पर भी आप एक लिंक अपने शास्त्रार्थ का दे गए और दूसरी टिप्पणी में भी आपने कोई <b>हल नही सुझाया।</b> यह तो हालत है आपकी और इस पर भी आप नसीहत देने से बाज़ नहीं आ रहे हैं ?DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-69700401536393179142011-06-22T22:31:56.476+05:302011-06-22T22:31:56.476+05:30बहुत ज्यादा पश्चिम संस्कृति अपनाने का नतीजा है। आज...बहुत ज्यादा पश्चिम संस्कृति अपनाने का नतीजा है। आज शादी के बाद बच्चे मां बाप को भी अपने परिवार का हिस्सा नहीं समझते। बहुत ज्यादा व्यक्तिवाद, लोग क्या कहेगें इसका डर नहीं और समाज का भी चलता है नजरिया ऐसे शर्मनाक किस्सों को बढ़ावा देता है। कुछ दिन पहले अखबार में एक रिसर्च की रिपोर्ट आयी थी जिसमें पाया गया था कि अगर मां बाप गरीब हों तो बहुओं की बदसलूकी के शिकार होते हैं और अगर अमीर हों तो अपने ही बेटे प्रताड़ित करते हैं। बहुत बुरा लगा इस महिला के बारे में जान करAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.com