tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post875375044076967552..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: चर्चा या ब्लाग-पोस्ट सूचीदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-27761493856183826902011-01-08T09:14:19.166+05:302011-01-08T09:14:19.166+05:30@अनूप शुक्ल
पोस्ट पर मेरी आपत्ति नहीं है, लोग कहत...@अनूप शुक्ल <br />पोस्ट पर मेरी आपत्ति नहीं है, लोग कहते रहे हैं और कहते रहेंगे। हम भी कहते रहेंगे लेकिन किसी एक पोस्ट को एकतर्फा घोषित कर जो बात कहना चाहा है और चिट्ठाचर्चा चर्चा से जो अपेक्षा की गई है वह क्या अघोषित सेंसर की वकालत नहीं करती?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-63303996098744678522011-01-08T08:51:28.761+05:302011-01-08T08:51:28.761+05:30@ दिनेशजी, अपनी बात कहने पर अगला भी कुछ कहेगा अपनी...@ दिनेशजी, अपनी बात कहने पर अगला भी कुछ कहेगा अपनी समझ के अनुसार। उसको अघोषित सेंसर क्यों माना जाये।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-84909670541749579482011-01-05T23:09:44.758+05:302011-01-05T23:09:44.758+05:30@अनूप शुक्ल
अनूप जी, आप ने जितनी सहज रीति से संक्...@अनूप शुक्ल <br />अनूप जी, आप ने जितनी सहज रीति से संक्षेप में बात कह दी, शायद उतनी सहज नहीं है। आप ने गलत कुछ भी नहीं कहा। यदि चिट्ठा-चर्चा के लेखक पर भी अघोषित सेंसर बिठा दिया जाए तो उस का क्या अर्थ रह जाएगा? ब्लागीरी की कोई सीमाएँ हैं क्या? आप ज्ञान जी को चिट्ठा चर्चा के लिए आमंत्रित क्यों नहीं करते?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-29200037296925027312011-01-05T22:11:02.664+05:302011-01-05T22:11:02.664+05:30मेरी समझ में डा.अनुराग ने अपने विचार रखे। उनके विच...मेरी समझ में डा.अनुराग ने अपने विचार रखे। उनके विचारों से ज्ञानजी असहमत थे। उन्होंने अपने धर दिये। कहने का अंदाज उनका अलग है। उन्होंने अपने विचारों के साथ चिट्ठाचर्चा और अनुराग को भी नाप दिया। :)<br /><br />आपकी पोस्ट भी ज्ञानजी की पोस्ट का विस्तार है। जैसे ज्ञानजी को चिट्ठाचर्चा की एकतर्फ़ियत नहीं भाई वैसे ही आपको उनका ऐसा कहना नहीं भाया। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-36959460857027734492011-01-04T22:05:22.779+05:302011-01-04T22:05:22.779+05:30vaah bhaayi divivdi ji aapne to sari smsya ka chit...vaah bhaayi divivdi ji aapne to sari smsya ka chitrn kaarn or nivaarn sbhi is post men kr daalaa he bhut khub likha he . akhtar khan akela kota rajsthanआपका अख्तर खान अकेलाhttps://www.blogger.com/profile/13961090452499115999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-19493147331060583412011-01-04T16:50:14.777+05:302011-01-04T16:50:14.777+05:30पटरी से उतर रहे विमर्श को दिशा देने का अत्यन्त म...पटरी से उतर रहे विमर्श को दिशा देने का अत्यन्त महत्वपूर्ण काम आपने किया है। अन्तर्मन ेस आपको धन्यवाद और अभिनन्दन।<br /><br />भावुकता और पूर्वाग्रहों के चलते दो अलग-अलग मुद्दों का घालमेल कितनी खटास और भ्रम पैदा कर देता है-यह आपकी इस पोस्ट से मालूम होता है।<br /><br />फिर से अभिनन्दन और धन्यवाद।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-12195667566172249772011-01-04T16:06:26.876+05:302011-01-04T16:06:26.876+05:30बेहतरीन आलेख। दरअसल गरीबों और वंचितों को अधिकार दे...बेहतरीन आलेख। दरअसल गरीबों और वंचितों को अधिकार देने का विरोध करने की एक मानसिकता होती है। वह कभी कभी परतों में ढकी होती है और कभी उग्र होकर मुखर भी हो जाती है। वही ब्लॉगचर्चा वाले मामले में भी हुआ। <br /><br />बहरहाल- मुझे तो यही नहीं समझ में आया कि विनायक सेन अचानक माओवादी कैसे हो गए? पहले वह अजित जोगी सरकार में स्वास्थ्य सलाहकार रहे। वर्तमान में वे पीयूसीएल के उपाध्यक्ष, जिसकी स्थापना समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण ने की थी। <br /><br />सेन की स्थिति तो सरकार और बुद्धिजीवियों (जो दूसरे का दिमाग खाकर जीते हैं) ने धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का वाली कर दी है। माओवादी उन्हें अपना भाई बंधु मान नहीं रहे हैं, छत्तीसगढ़ सरकार की तिकड़म ने उन्हें माओवादी बना दिया है। उनके समर्थन में आजाद कश्मीर का समर्थन करने वाली अरुंधती राय और गुजरात में फर्जीवाड़ा करने वाली तीस्ता जैसे लोग आते हैं, जिससे जनता भ्रमित है (और सेन को इसी जमात का मान रही है, जो सुर्खियां बटोरने के लिए मसले उठाते हैं)। सेन के २५ साल की त्याग तपस्या पर पानी फिर गया। <br /><br />दरअसल सेन ही सरकार के लिए खतरनाक हैं, जो वंचितों को उनके अधिकार के प्रति जागरूक कर रहे थे। फर्जी मानवाधिकारवादियों से सरकार को कोई खतरा नहीं है। अगर जनता जागरूक हो जाए तो वह लोकतांत्रिक या अलोकतांत्रिक (जैसा वह उचित समझे) तरीके से अपने अधिकार ले ही लेगी। भ्रष्ट सत्ताधारियों की लुटिया डूब जाएगी। सरकार ने यह बेहतर तरीके से सूंघा है।Satyendra PShttps://www.blogger.com/profile/06700215658741890531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-68185021886728077602011-01-04T16:05:29.973+05:302011-01-04T16:05:29.973+05:30हमे इस बारे कुछ नही पता, शहमे इस बारे कुछ नही पता, शराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-55445963410478203422011-01-04T13:19:59.425+05:302011-01-04T13:19:59.425+05:30मेरा मानना है टेक्नोलोजी ने एक आम नागरिक को कंप्...मेरा मानना है टेक्नोलोजी ने एक आम नागरिक को कंप्यूटर ओर नेट के जरिये परस्पर संवाद का जो टूल दिया है ...उससे बिहार के एक कोने में बैठा नौजवान ..अमेरिका के सदूर प्रान्त में बैठे किसी व्यक्ति से देश -विदेश में घटित किसी भी बात पर संवाद कर सकता है .....भले ही उन संवादों में असहमति हो..... एक स्वस्थ ओर लोकतान्त्रिक समाज में असहमतियो के भी अपने मायने होते है .....कभी कभी वे व्यवस्था को ओर बेहतर बनाने में मदद करती है .......<br />उस चिटठा चर्चा का उद्देश्य भी एक स्वस्थ बहस का आगे रखना था जैसा पूर्व में कई विषयों पर हुई है .....इस विषय पर पूर्व में भी एक लम्बी वार्ता इसी मंच पर हुई थी जिसमे लगभग विषय के सभी पक्षों को रखने की कोशिश की गयी थी .तभी लगा उन्हें न दोहरा कर उसका लिंक दिया जाए ..<br />ओर आखिर में ये अनुरोध भी किया गया था के अपने विचार पूर्व में की गयी उस चर्चा को पढ़कर ही दे .....तात्कालिक निर्णय पर न पहुंचे ....<br />जाहिर है ..पूरे परिपेक्ष्य को एक विस्तार दृष्टि से देखने का अनुरोध था ..जिसमे नक्सलवाद का महिमा मंडन नहीं है .....हिंसा का महिमा मंडन नहीं है ...समस्या के उस पहलु को भी देखने का अनुरोध भी है जिसे हम किनारे पर बैठकर नहीं देख पा रहे है .......दुर्भाग्य से लोग इस गिरफ़्तारी पर उठे सवालों को नक्सलवाद की प्रशंसा से सीधे जोड़ कर देख रहे है ....लोकतान्त्रिक ढांचे में जहाँ तमाम किस्म के सच मौजूद है ..प्रायोजित यथार्थ ओर प्रायोजित सच के मुलम्मे में जिस तरह माओवादी "शोषण" का इस्तेमाल सरकार के खिलाफ कर इस लोकतंत्र के खिलाफ करते है ....सत्ता तंत्र" देशभक्ति" का इस्तेमाल कर .बुनियादी सवालों को पीछे छोड़ने में करता है ......"पोलिस ओर सेना के जवान' ओर "आदिवासी" टूल की तरह फिर इस्तेमाल होते है .......होते रहेगेडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-11915015564399635032011-01-04T11:43:03.940+05:302011-01-04T11:43:03.940+05:30बेहतर...
कई सवालों पर तुरत जजमेंटल हो जाने वाले ह...बेहतर...<br /><br />कई सवालों पर तुरत जजमेंटल हो जाने वाले हम लोग कई सवालों पर जजमेंटल नहीं हो सकने के बौद्धिक स्खलन का अधिकार रखते हैं...<br /><br />भई इसमें क्या बुरा है...<br /><br />ज़िंदगी मज़े में गुजर रही है...काहे इस पर किसी की नज़र लगवाएं...रवि कुमार, रावतभाटाhttps://www.blogger.com/profile/10339245213219197980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-47709048795926093572011-01-04T08:15:26.451+05:302011-01-04T08:15:26.451+05:30निश्चित ही
सरकारें वहाँ जन सुरक्षा और अपराध नियंत...निश्चित ही<br /><br />सरकारें वहाँ जन सुरक्षा और अपराध नियंत्रण में असफल रही हैं और अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए विशेष जनसुरक्षा अधिनियम बनाती हैं और उस अमानवीय कानून का विरोध करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को राजद्रोही कह कर दंडित करने में जुट जाती हैं।लोकेश Lokeshhttps://www.blogger.com/profile/12218007406634430572noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-75770231590162881642011-01-04T07:28:02.902+05:302011-01-04T07:28:02.902+05:30बहुत संतुलित तरीके से आपने अपनी बात कही है !बहुत संतुलित तरीके से आपने अपनी बात कही है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-71864937229352904232011-01-04T07:23:55.475+05:302011-01-04T07:23:55.475+05:30चर्चा में दोनों पक्ष रखे जाते हैं, यह अच्छा लगा कि...चर्चा में दोनों पक्ष रखे जाते हैं, यह अच्छा लगा कि आपने नक्सली हिंसा का भी पक्ष रखा। आम धारणा मीडिया ही बनाता हैं, वही बिगाड़ता है। इस सत्य को समझने और परिभाषित करने का कार्य न्यायविद और समाजविद ही कर सकते हैं, बशर्ते निष्पक्ष हों।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-43578395318053461682011-01-04T02:52:03.813+05:302011-01-04T02:52:03.813+05:30एकतर्फ़ियत = वारी जाऊँ प्रयाग की अनोखी हिन्दी पर इस...<i><b>एकतर्फ़ियत = वारी जाऊँ प्रयाग की अनोखी हिन्दी पर <a href="http://kuchh.amarhindi.com/?p=862" rel="nofollow">इस पर अपुन ने भी कुछ लिखा है ।</a></b></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-35438527775180504912011-01-04T02:42:43.505+05:302011-01-04T02:42:43.505+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-9250094687356310002011-01-04T00:04:00.001+05:302011-01-04T00:04:00.001+05:30@भारतीय नागरिक - Indian Citizen
आप की बात से सहमति...@भारतीय नागरिक - Indian Citizen<br />आप की बात से सहमति है। लेकिन जब इस आरोप में बिना किसी सबूत के उस कानून का विरोध करने वाले को ही बुक कर लिया जाए, जो बिना वजह बताए किसी को भी गिरफ्तार करने की शक्ति पुलिस को देता हो, तो आप क्या कहेंगे?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-35004395530091543092011-01-03T23:56:44.792+05:302011-01-03T23:56:44.792+05:30अभी तो हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट बाकी है. यदि कोई ग...अभी तो हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट बाकी है. यदि कोई गलती रही होगी तो सुधर जायेगी. कोई गलती नहीं होगी तो फैसला कायम रहेगा. हम जजमेंटल नहीं हो सकते. लेकिन नक्सलियों ने हजारों को मारा है, उन्हें बढ़ावा देने वाला कोई भी हो, बुक होना ही चाहिये.भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.com