tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post8588637920641156029..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: नारकीय जीवन का जुआ उतार फेंकने के संकल्प का दिनदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-80639569169814652882008-05-02T14:23:00.000+05:302008-05-02T14:23:00.000+05:30मई दिवस पर आपके दुरुस्त विचारों के सम्मान में पेश ...मई दिवस पर <BR/>आपके दुरुस्त विचारों के <BR/>सम्मान में पेश है दुष्यंत का ये शेर<BR/><BR/>कौन कहता है आसमाँ में सुराख हो नहीं सकता <BR/>एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों <BR/>==============================<BR/>हालात को अपनी कमज़ोरी बना लेने के खिलाफ<BR/>बुलंद समझाइश दी है आपने.Dr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-39706457202903821492008-05-02T06:30:00.000+05:302008-05-02T06:30:00.000+05:30बेहतरीन पोस्ट! एक ओर दुनियाँ भर में बेरोजगारी है, ...बेहतरीन पोस्ट! <B>एक ओर दुनियाँ भर में बेरोजगारी है, और दूसरी ओर लोग अपने जीवन यापन और जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए 20-20 घंटो तक काम करना पड़ रहा है। कुछ एक देशों को छोड़ दें तो सारी दुनियाँ में यही व्यवस्था जारी है। जिस का अर्थ है कि विकास का मूल्य अपने श्रम को बेचकर जीवनयापन कर रहे आम श्रमजीवी ही चुका रहे हैं।</B> दुखद सच!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-79080906216255957142008-05-02T00:38:00.000+05:302008-05-02T00:38:00.000+05:30मजदूरोँ के श्रम से ही इस विश्व को गति मिली है अच्छ...मजदूरोँ के श्रम से ही इस विश्व को गति मिली है <BR/>अच्छा आलेख - सामयिक -<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-49505972218153512802008-05-01T20:03:00.000+05:302008-05-01T20:03:00.000+05:30दिनेश जी कई लोग अपने बास को खुश करने के लिये भी २०...दिनेश जी कई लोग अपने बास को खुश करने के लिये भी २० २० घण्टे काम करते हे, अब इन का कया करे, ओर यह लोग बहुत ऊची पोस्ट पर काम करने वाले ही हे,<BR/>आप का लेख बहुत अच्छा लगा आप एक गलती सुधार ले **पहली मई 1986 को अमरीका के श्रमजीवी शिकागो,मुझे लगता हे **1886 होगा.राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-17902482928462596822008-05-01T19:32:00.000+05:302008-05-01T19:32:00.000+05:30ज्ञान जी से पूरी सहमति है। मजदूर आंदोलन की हवा इन ...ज्ञान जी से पूरी सहमति है। मजदूर आंदोलन की हवा इन मछलियों ने ही निकाली है। यहाँ कोटा में एक ग्रुप है जिसे मैं 1980 से ही इन मछलियों के खिलाफ लड़ते देख रहा हूँ। कल के दिन भी वे एक महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने जा रहे हैं और मछलिय़ाँ यहाँ भी घात में हैं। कभी इसे अनवरत पर ले कर आउँगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-43280123241261842002008-05-01T19:26:00.000+05:302008-05-01T19:26:00.000+05:30मजदूरों के हितों की रक्षा होनी चाहिये और मजदूरों क...मजदूरों के हितों की रक्षा होनी चाहिये और मजदूरों के नाम पर केवल मौज करते, मात्र अधिकारों की बात करने वाले और कामचोरी वालों का भी कुछ होना चाहिये। ये कुछ मछलियां है जो पूरे ताल को गन्दा करती हैं और श्रम के महत्व को डीग्रेड करती हैं।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com