tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post8481906239393566887..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: सांख्य का सारदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-3085396463930019872011-10-09T23:11:14.929+05:302011-10-09T23:11:14.929+05:30सांख्य का अंग्रेजी में अनुवाद क्या होगा?
कृपया इ...सांख्य का अंग्रेजी में अनुवाद क्या होगा? <br /><br />कृपया इतनी शुद्ध हिंदी की बजाये आसान हिंदी इस्तेमाल करें तो मुझ जैसे अज्ञानियों को समझने में आसानी रहेगी <br /><br />आभारYogihttps://www.blogger.com/profile/15382350910254695035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-11330401854400361382009-08-07T19:34:30.550+05:302009-08-07T19:34:30.550+05:30सांख्य का सारांश बहुत कुछ समझा गया । जरूरी था यह ह...सांख्य का सारांश बहुत कुछ समझा गया । जरूरी था यह हमारी त्वरित बुद्धि के लिये । आपके सभी आलेखों का प्रिंट आउट ले रहा हूँ - मेरी समझ बनाने के लिये यह आवश्यक है कि कम्प्यूटर के पर्दे से अलग इन्हें पढ़ूँ । <br /><br />इस ब्लॉग पर इनलाइन कमेंटिंग की सुविधा लाइनबज़ (Linebuzz) क्यों नहीं ?Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-73587923065304171592009-08-07T17:34:10.248+05:302009-08-07T17:34:10.248+05:30Aabhaar.
{ Treasurer-T & S }Aabhaar.<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">{ Treasurer-T </a><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">& S }</a>Arshia Alihttps://www.blogger.com/profile/14818017885986099482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-3370334399329921312009-08-07T13:02:13.845+05:302009-08-07T13:02:13.845+05:30ध्यान से पढ़कर समझा, बहुत अच्छा लिखा है आपने!
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...ध्यान से पढ़कर समझा, बहुत अच्छा लिखा है आपने!<br />---<br /><b>विज्ञान</b> पर पढ़िए: <a href="http://vijnaan.charchaa.org/2009/general/algae-fuel-of-the-future.html" rel="follow" rel="nofollow">शैवाल ही भविष्य का ईंधन है!</a>Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-57804541402573671812009-08-07T11:29:50.204+05:302009-08-07T11:29:50.204+05:30"प्रथमतः सत्व की प्रधानता वाले तत्व महत् की उ..."प्रथमतः सत्व की प्रधानता वाले तत्व महत् की उत्पति होती है, जिसे बुद्धि भी कहा गया है। यह साँख्य का दूसरा तत्व है।" <br /><br />प्रथम तत्व महत् को ही यदि दूसरा तत्व बुद्धि कहा गया है तो पहला तत्त्व क्या है? <br /><br />गीता में योगेश्वर कृष्ण अपने को सांख्य का प्रवर्तक 'कपिल' कहते हैं। अर्थ यह है कि उसे मान देते हैं। लेकिन <br />"..ब्रह्म या ईश्वर से मूल प्रकृति और पुरुष उत्पन्न होते हैं और फिर पुरुष की मुक्ति के लिए प्रकृति उसी भांति विकास करती है, जिस भांति दर्शकों के मनोरंजन के लिए एक नर्तकी नृत्य करती है। " के अनुसार योग पुरुष को जबरी महत्त्वपूर्ण बना देता है। <br />प्रकृति है लेकिन पुरुष के विकास के लिए! वह भी मनोरंजन हेतु नर्तकी समान। गड़बड़झाला है। लोचा है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-31400453795029163112009-08-07T10:56:41.401+05:302009-08-07T10:56:41.401+05:30आपने पिछली पोस्ट में यह कोशिश बखूबी की थी।
पर वह ...आपने पिछली पोस्ट में यह कोशिश बखूबी की थी।<br /><br />पर वह इस सार के साथ ज्यादा ठीक रहती।<br /><br />अपनी जल्दबाजी़ के लिए मुआफ़ी की दरकार है। टिप्पणी के बाद पिछली पोस्ट पर गया।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-37766504062171010842009-08-07T10:52:54.555+05:302009-08-07T10:52:54.555+05:30सांख्य के सार को इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विकास ...सांख्य के सार को इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विकास के साथ दिया जाता तो और बेहतर हो जाता...<br /><br />वरना पाठक को यह भ्रम होने लगता है, कि यही वह गूढ सत्य है जिसे जाना जाना है, और अभी यह समझ में नहीं आ रहा है।<br /><br />वह अपनी सामान्य चेतना में, तत्काल समझ में आए जुमलों या निष्कर्षों को बैठा लेता है।<br /><br />और भी श्रृंखलाओं का इंतज़ार रहेगा।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06584814007064648359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-73684977643223067622009-08-07T10:36:05.166+05:302009-08-07T10:36:05.166+05:30पिछली पोस्टों का सुंदर सारांश। लय-विलय ही तो प्रकृ...पिछली पोस्टों का सुंदर सारांश। लय-विलय ही तो प्रकृति का नियम है।आभार।चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-8503997235735787062009-08-07T09:07:56.042+05:302009-08-07T09:07:56.042+05:30साँख्य सार इतना रोचक और सरल हुआ कि आनन्द आ गया बहु...साँख्य सार इतना रोचक और सरल हुआ कि आनन्द आ गया बहुत बहुत धन्यवाद आगे भी इसी तरह हमारे ग्यान को बढाते रहें शुभकामनायंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-22888155093317115242009-08-07T08:29:59.449+05:302009-08-07T08:29:59.449+05:30बहुत सुंदर विवेचना है. शुभकामनाएं.
रामराम.बहुत सुंदर विवेचना है. शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-13493633173904477652009-08-07T06:17:21.690+05:302009-08-07T06:17:21.690+05:30शीर्षक के अनुरूप आपने सचमुच सांख्य का सार ही प्रस्...शीर्षक के अनुरूप आपने सचमुच सांख्य का सार ही प्रस्तुत किया है जो बहुत ही सटीक और ज्ञानवर्धक है दिनेश भाई। अच्छा आलेख।<br /><br />सादर <br />श्यामल सुमन <br />09955373288 <br />www.manoramsuman.blogspot.com<br />shyamalsuman@gmail.comश्यामल सुमनhttps://www.blogger.com/profile/15174931983584019082noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-2824492258125152732009-08-07T06:05:26.411+05:302009-08-07T06:05:26.411+05:30प्रकृति सत्य है, और उस का परिणाम यह जगत भी सत्य है...प्रकृति सत्य है, और उस का परिणाम यह जगत भी सत्य है। <br /><br />........तो यही निष्पत्ति रही सांख्य दर्शन की --बहुत ज्ञान वर्धक और रोचक भी !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-69106526319425581552009-08-07T05:58:08.056+05:302009-08-07T05:58:08.056+05:30लगा कि कहीं गंभीर प्रवचनमयी माहौल में चला आया हूँ....लगा कि कहीं गंभीर प्रवचनमयी माहौल में चला आया हूँ. लगा साथ बहुत कुछ ले जा रहा हूँ. घर पहुँचे तो वो ही ठन ठन गोपाल.<br /><br />आभार-जारी रहिये.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com