tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post828964021765913957..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: राजा-रानी छू-मंतर, किसान को बनाया नायक मुंशी प्रेमचंद नेदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-82943459284106812332010-08-30T22:36:46.126+05:302010-08-30T22:36:46.126+05:30बहुत सही रपट है द्विवेदी जीबहुत सही रपट है द्विवेदी जीशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-67177447330973968782010-08-04T13:30:45.363+05:302010-08-04T13:30:45.363+05:30भाई जी !
लोकगीत का यह लिंक दे रहा हूँ...
http://...भाई जी !<br />लोकगीत का यह लिंक दे रहा हूँ... <br />http://www.youtube.com/watch?v=nt3QdGXhti0Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-18702070264130625912010-08-04T12:25:38.714+05:302010-08-04T12:25:38.714+05:30आप कोई क्षेत्र छोड़ोगे भी वकील साहब !
आपके कई लेख...आप कोई क्षेत्र छोड़ोगे भी वकील साहब ! <br />आपके कई लेख पढ़ कर आश्चर्य होता है की आप वकालत में क्या कर रहे हैं भाई जी ! अनवरत और तीसरा खम्बा हिंदी जगत के महत्वपूर्ण स्तम्भ हैं ! शुभकामनायें !!Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-90794037096328090392010-08-02T08:21:21.629+05:302010-08-02T08:21:21.629+05:30यही कारण रहा हो कि प्रेमचन्द की कहानियों में अधिक ...यही कारण रहा हो कि प्रेमचन्द की कहानियों में अधिक अपनापन मिलता था।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-64835444798739003742010-08-01T21:46:48.790+05:302010-08-01T21:46:48.790+05:30हम भी वहीं थे...
अम्बिका दत्त ने कई महत्वपूर्ण बात...हम भी वहीं थे...<br />अम्बिका दत्त ने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं...<br />अभी तो ठीक से लौटे भी नहीं...और यहां रपट हाज़िर...रवि कुमार, रावतभाटाhttps://www.blogger.com/profile/10339245213219197980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-18057500569557983902010-08-01T19:12:09.766+05:302010-08-01T19:12:09.766+05:30प्रेमचंद अपने समय के एक विलक्षण प्रेक्षक थे....यु...प्रेमचंद अपने समय के एक विलक्षण प्रेक्षक थे....युग द्रष्टा थे -महान शब्द शिल्पी थे कहानी सम्राट (उपन्यास सम्राट तो शरतचंद्र !) यथार्थवादी साहित्य के मसीहा थे ! <br />समय पर आई यह रिपोर्टArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-18196899498653117872010-08-01T17:21:15.700+05:302010-08-01T17:21:15.700+05:30अच्छी रिपोर्टअच्छी रिपोर्टउम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-51724312454095539352010-08-01T17:06:28.116+05:302010-08-01T17:06:28.116+05:30हम सब हर साल मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म दिन, जयन्...हम सब हर साल मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म दिन, जयन्ती ओर पता नही क्या क्या मनाते है, लेकिन सिर्फ़ एक दिन मै भी कुछ पल ही इन्हे दे देते है , फ़िर हमारा काम तमाम, तालियां हम खुश लोग खुश.... अगर हम मुंशी प्रेमचंद जी की कहानियो को अपने जीवन मै भी उतार ले... तो जीवन कितना सुखी हो जायेगा हम सब का, मुझे आज भी याद है मुंशी प्रेमचंद जी की कहानी का डा० चड्डा, ओर आज तो चारो ओर ही ऎसे चड्डे ही चड्डॆ है...<br />चित्र बहुत सुंदर लगे, साथ मै सब क परिचय भी अच्छा लगा, धन्यवाद इस सुंदर पोस्ट के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com