tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post726902061254767817..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: शाजापुर टू आगर वाया 'धूपाड़ा' सिटीदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-87228498757956674462009-12-25T21:38:47.132+05:302009-12-25T21:38:47.132+05:30" तीन सवारी के 105 रुपए हुए। मैं ने कहा -भैया..." तीन सवारी के 105 रुपए हुए। मैं ने कहा -भैया तीन में पांच का कंसेशन नहीं करोगे? उस ने कहा -पाँच रुपया कौन बड़ी बात है? आप सौ ही दे दीजिए। "<br /><br />बस में भी मोल-तोल? नई जानकारी मिली :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-24412147118651487552009-12-25T20:51:41.451+05:302009-12-25T20:51:41.451+05:30ऐसे औज़ार अब चार दिन की बात रह गए हैं...पता नहीं क...ऐसे औज़ार अब चार दिन की बात रह गए हैं...पता नहीं कल मिलें मिलें न भी मिलें...कौन जाने.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-61775951916233976532009-12-25T19:52:44.204+05:302009-12-25T19:52:44.204+05:30एक नई सिटी की जानकारी मिली, उसकी खासियत के साथ
आभ...एक नई सिटी की जानकारी मिली, उसकी खासियत के साथ<br /><br />आभार<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-43909807339676928632009-12-25T17:44:26.363+05:302009-12-25T17:44:26.363+05:30अपनी परम्परा को कायम रखनेवाले ऐसे गांव (क्षमा करे...अपनी परम्परा को कायम रखनेवाले ऐसे गांव (क्षमा करे, ऐसे 'नगर') दिनोंदिन कम होते जा रहे हैं।<br />यौनिक गालियॉं का 'तकिया कलाम' की तरह उपयोग अब कम होता जा रहा है, यह मैंने भी अनुभव किया।<br /><br />यात्रा वर्णन रोचक और आनन्ददायक।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-36719869229836161322009-12-25T17:12:00.166+05:302009-12-25T17:12:00.166+05:30@ताऊ रामपुरिया,
इन्दौर का तो पता नहीं पर उज्जैन मे...@ताऊ रामपुरिया,<br />इन्दौर का तो पता नहीं पर उज्जैन में आप लोहे का कोई भी औजार खरीदने जाएंगे खास तौर पर सरौती तो धूपाड़ा की सरौती सब में खास दिखाई देगी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-79832992357293790312009-12-25T17:09:58.565+05:302009-12-25T17:09:58.565+05:30धूपाडा शहर की जानकारी पहली बार मिली. यात्रा वृतांत...धूपाडा शहर की जानकारी पहली बार मिली. यात्रा वृतांत अति रोचकता पुर्ण रहा. क्रिशमश की रामराम.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-28244588548573247292009-12-25T09:43:11.834+05:302009-12-25T09:43:11.834+05:30इस पोस्ट के प्रकाशन के बाद इस के शीर्षक में रह गई ...इस पोस्ट के प्रकाशन के बाद इस के शीर्षक में रह गई वर्तनी की अशुद्धि दूर करने में एक टिप्पणी गायब हो गई थी। उसे यहाँ अंकित कर रहा हूँ।<br />विनोद कुमार पांडेय has left a new comment on your post "शाजापूर टू आगर वाया 'धूपेड़ा'":<br /><br />एक पंथ दो काज हो गये जा रहे थे किसी और काम के लिए एक बढ़िया काम और जुड़ गया और हमें एक नई जानकारी भी मिल गयी..बढ़िया प्रस्तुति..बधाईदिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-33176189654047887442009-12-25T09:41:38.080+05:302009-12-25T09:41:38.080+05:30समीर जी, आप ने फिर धूपाड़ा को गाँव कह दिया। जब कि ...समीर जी, आप ने फिर धूपाड़ा को गाँव कह दिया। जब कि वह नगर ही है, पुराने जमाने का। कल्पना करें कि मुम्बई में प्रेसिडेंसी कायम हुई तब वहाँ की जनसंख्या दस हजार रही होगी। धूपाड़ा की बसावट भी नगर जैसी ही है। बाजार, चौराहे आदि सब कुछ। परकोटा है तीन द्वारों वाला, नगर उसी के अंदर बसा है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-21820223727712679362009-12-25T07:12:56.170+05:302009-12-25T07:12:56.170+05:30नगरीय और ग्रामीण परिवेश में ठिठोलियों का अंतर ...नगरीय और ग्रामीण परिवेश में ठिठोलियों का अंतर आप महसूस करते हैं ,बड़ी बात है !<br /><br /><br />धुपाडा सिटी मजेदार , उसके औद्योगिक संस्थान अदभुत !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-87775739678720570742009-12-25T05:39:51.197+05:302009-12-25T05:39:51.197+05:30आपके मार्फत धूपाड़ा गांव और उसकी खासियत का पता चला...आपके मार्फत धूपाड़ा गांव और उसकी खासियत का पता चला. बढ़िया यात्रा संस्मरण.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-13227126630079766862009-12-25T03:04:09.137+05:302009-12-25T03:04:09.137+05:30आप की यह यात्रा वाक्या ही बहुत सुंदर ओर रोचक लगी, ...आप की यह यात्रा वाक्या ही बहुत सुंदर ओर रोचक लगी, ओर आप के लिखने का ढंग भी मन मोहक है, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-92018376472052554722009-12-24T23:35:55.106+05:302009-12-24T23:35:55.106+05:30bahut saal baad, saroteeyaan dekheen ...mere paas ...bahut saal baad, saroteeyaan dekheen ...mere paas bhee hai ... ye nayee sarotee , sunder lagee ..<br /><br /> bharat ke bheetar bhraman karna, kafi dilchasp rehta hoga. aap ka yatra vivran, aankhon ke samne , ho raha ho aisa likha hai .लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.com