tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post7151226434786650947..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: जन्माष्टमी दो दिन क्यों? जानें, चंद्रकलाएँ , तिथि, दिनमान और रात्रिमान .........दिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-36472289658773616352010-09-06T08:20:54.724+05:302010-09-06T08:20:54.724+05:30लगता है, हमारे प्रशासकीय तन्त्र (और विशेषकर आय कर...लगता है, हमारे प्रशासकीय तन्त्र (और विशेषकर आय कर विभाग) ने प्रक्रियाओं को जटिल बनाए रखने का मूल मन्त्र हमारे धर्म से ही लिया है - सहजता से किसी बात को समझ में मत आने दो। 'विशेषज्ञों' का अस्तित्व इस जटिलता के कारण ही बना हुआ है।<br /><br />आपकी यह पोस्ट पढने के बाद ही समझ आया कि त्यौहारों और उत्सवों का आनन्द लेने के लिए अल्प ज्ञानी होना जरूरी क्यों है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-48133716170058857602010-09-03T11:29:57.332+05:302010-09-03T11:29:57.332+05:30इतनी व्याख्या पूर्ण जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत ...इतनी व्याख्या पूर्ण जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद .सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-10535296207746132452010-09-03T08:33:25.701+05:302010-09-03T08:33:25.701+05:30धरती पर समय को लेकर अच्छा आलेख ! कभी इसके बाहर भी ...धरती पर समय को लेकर अच्छा आलेख ! कभी इसके बाहर भी चिंतन करियेगा !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-11392558352965431052010-09-03T05:43:53.178+05:302010-09-03T05:43:53.178+05:30आज की आपकी जानकारी खाफी विस्त़त और सचित्र होने से ...आज की आपकी जानकारी खाफी विस्त़त और सचित्र होने से समझने में आसानी रही । हमने तो आज ही मनायी जन्माष्टमी । आप का धन्यवाद ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-85561356975513258282010-09-03T01:22:16.989+05:302010-09-03T01:22:16.989+05:30बडा कठिन है धर्म के हिसाब से सही सही त्योहार मनाना...बडा कठिन है धर्म के हिसाब से सही सही त्योहार मनाना, हम तो जेसा पंडित जी बताते थे हर त्योहार मना लेते थे, ओर अब यहां इंट्रनेट महाराज बताते थे, ओर अब दो तीन सालो से ब्लांग जगत जगमगा रहा है, लेकिन हम तो सिर्फ़ थोडी सी पुजा कर लेते है, कुछ घरेलू मिठाई बना ली बस हो गै होली दिवाली,<br />आज की आप दुवारा दी जान्कारी तो हमारे लिये बिलकुल नयी है, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-54218602817654591012010-09-03T01:06:09.363+05:302010-09-03T01:06:09.363+05:30इस बार तो लगभग मिस ही हो गया, एक दिन पहले ध्यान रख...इस बार तो लगभग मिस ही हो गया, एक दिन पहले ध्यान रखना पड़ेगा. सूर्योदय वाली तारीख मान कर चलना आसान तरीका लग रहा है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.com