tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post7014067500357945514..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: समूह का जिम्मेदार हिस्सादिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-63849732188438332152009-12-16T21:23:27.432+05:302009-12-16T21:23:27.432+05:30आपकी यह पोस्ट विस्तृत विमर्श की मांग करती है। सम...आपकी यह पोस्ट विस्तृत विमर्श की मांग करती है। समूह में रहते हुए व्यक्तिगत समस्याओं का निदान पाना तनिक कठिन ही होता है। इसीलिए व्यक्ति, समूह की चिन्ताओं को परे धकेल कर व्यक्तिगत चिन्ताओं/समस्याओं के निदान की तलाश में लग जाता है। व्यक्तिगत समस्या का निदान, समूह की समस्या के निदान के रूप में पाने के लिए अत्यधिक धैर्य की आवश्यकता होती है।<br />आपने रोचकता से महत्वपूर्ण बात उठाई है। मैं एजेण्टों के संगठन से जुडा हूं। कभी-कभार ऐसा होता है कि एक की समस्या समूह की समस्या होती है। किन्तु समूह की समस्या सुलझाने के लिए लम्बी चौडी प्रक्रिया शुरु होती है जो समाप्त होने में लम्बा समय ले लेती है। उसके मुकाबले, व्यक्तिगत समस्या आसानी से और जल्दी निपट जाती है। यहीं आपकी बात पर विमर्श की सम्भावनाएं उपजती हैं।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-57161989063390962422009-12-16T16:47:33.477+05:302009-12-16T16:47:33.477+05:30आपका प्रत्याशी विजयी हुआ। बधाई॥
आपके कचहरी के चक्...आपका प्रत्याशी विजयी हुआ। बधाई॥<br /><br />आपके कचहरी के चक्कर में इकत्तीस वर्ष सफ़ल्ता से पूर्ण हुए, बधाई॥<br /><br />क्या ऐसा कोई उपाय है कि कोई केस इकत्तीस महिनों में निपट सके :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-14120663512558639082009-12-16T12:44:31.023+05:302009-12-16T12:44:31.023+05:30बधाई ! अक्सर ऐसे पद औपचारिकता मात्र रह गए हैं... य...बधाई ! अक्सर ऐसे पद औपचारिकता मात्र रह गए हैं... ये जानकर दुःख होता है.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-49465908610211330232009-12-16T08:36:33.358+05:302009-12-16T08:36:33.358+05:30"जब आप समूह में रहेंगे तो हमेशा किसी अंधेरी स..."जब आप समूह में रहेंगे तो हमेशा किसी अंधेरी सुरंग से दूर रहेंगे और किसी सुरंग में फँस भी गए तो अकेले नहीं होंगे। " - हाँ, यह बात महत्वपूर्ण है । <br /><br />३१ साल बहुत होते हैं - गहरा अनुभव ! <br />प्रविष्टि का आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-37660636111304899552009-12-16T08:01:35.281+05:302009-12-16T08:01:35.281+05:30मगर कभी कभी लगने लगता है की कुछ किया ही नहीं जा सक...मगर कभी कभी लगने लगता है की कुछ किया ही नहीं जा सकता ..खुद अपने परिवार में ही और दिनेश जी आप समूह की बात कर रहे हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-1806893717902770312009-12-16T06:47:32.444+05:302009-12-16T06:47:32.444+05:30आप इस वैयक्तिक मार्ग पर चल कर किसी सुरंग में अकेले...<b>आप इस वैयक्तिक मार्ग पर चल कर किसी सुरंग में अकेले फँसे रह जाएँ, उस से अच्छा है कि आप सामुहिक समस्याओं के हल के लिए आगे आएँ।</b><br /><br />बिलकुल सही बात है मगर अफ़सोस यही है कि लम्बे अंतराल से व्यक्तिगत स्वार्थ सामूहिक हितों से ऊपर आ गए हैं. निष्ठा रही भी है तो बहुत से बहुत परिवार, धर्म, जाति, अंचल, संस्था या वाद तक न कि सम्पूर्ण समाज या राष्ट्र तक.<br /><br />जब भी अभिभाषक शब्द पढता हूँ तो पहली नज़र में अभिभावक का भ्रम होता है क्योंकि इस अभिप्राय में हमेशा अधिवक्ता शब्द के प्रयोग से ही परिचित रहा हूँ. <br /><br />सालगिरह की बधाई!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-44302719222690394692009-12-16T01:58:51.338+05:302009-12-16T01:58:51.338+05:30द्विवेदी जी शानदार 31 वर्ष पूरे होने की बधाई आपके ...द्विवेदी जी शानदार 31 वर्ष पूरे होने की बधाई आपके विचारों के नायकत्व में नायक जैसे युवा सदैव समूह की ताकत का सही एवं उचित प्रदर्शन करेंगे यह उम्मीद है ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-23691506213666845622009-12-15T23:49:59.847+05:302009-12-15T23:49:59.847+05:30आप इस वैयक्तिक मार्ग पर चल कर किसी सुरंग में अकेले...आप इस वैयक्तिक मार्ग पर चल कर किसी सुरंग में अकेले फँसे रह जाएँ, उस से अच्छा है कि आप सामुहिक समस्याओं के हल के लिए आगे आएँ। <br /><br /><br /><br />--हाँ, शायद यही बेहतर मार्ग है..आपने इसी बहाने सोचने को मजबूर किया.<br /><br /><br />-नायक जी बधाई एवं शुभकामनाएँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-81941511452450966602009-12-15T23:48:44.640+05:302009-12-15T23:48:44.640+05:30चलिए मेहनत रंग लाई , श्री नायक को बधाईचलिए मेहनत रंग लाई , श्री नायक को बधाईउम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-24818800402159717432009-12-15T23:38:37.899+05:302009-12-15T23:38:37.899+05:30समूह मे रहकर सामूहिक जिम्मेदारी से बचना स्वार्थ है...समूह मे रहकर सामूहिक जिम्मेदारी से बचना स्वार्थ है। ऐसे लोगों की अधिकत उस समूह के पिछड़ते जाने का कारण होती है। <br />ज़रूरी है कि ऐसे लोगों को लगातार सचेत, सतर्क और कार्यशील बनाने के प्रयत्न भी समूह की ओर से होते रहें। <br /><br />भारत के राजनीतिक परिदृष्य के मद्देनजर इसे व्यापक रूप में समझा जाना चाहिए। नेताओं के लिए राजनीति आज समूह का काम नहीं, वैयक्तिक ज्यादा है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.com