tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post648686006465959322..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: होमोसेपियन बराक और तकिए पर पैरदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-76837614197372981702008-11-09T23:17:00.000+05:302008-11-09T23:17:00.000+05:30इतनी अच्छी रचना से अब तक वंचित था...शुक्र है ताऊ क...इतनी अच्छी रचना से अब तक वंचित था...शुक्र है ताऊ का कि उनक्र ब्लौग ने ये रस्ता इधर का दिखायागौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-40399927880687233722008-11-08T08:55:00.000+05:302008-11-08T08:55:00.000+05:30ओबामा की जीत की कडवी हकीकत कहें या आगत की आहट - आप...ओबामा की जीत की कडवी हकीकत कहें या आगत की आहट - आपने सपनों की दुनिया से ठोस धरती पर ले आने का प्रशंसनीय काम किया है । तेल देखो, तेल की धार देखो । ओबामा को देखो, आने वाले दिनों में ओबामा का काया पलट देखने के लिए हम सबको तैयार रहना चाहिए ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-35837172124326699042008-11-08T06:43:00.000+05:302008-11-08T06:43:00.000+05:30बहुत ही गंभीर मुद्दे सहज-सरल अंदाज़ में उठाना आपकी ...बहुत ही गंभीर मुद्दे सहज-सरल अंदाज़ में उठाना आपकी विशेषता है। महेन्द्र नेह की कविता सोने में सुहागा है। बधाई और आभार।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-66350949004384325282008-11-08T06:17:00.000+05:302008-11-08T06:17:00.000+05:30जिस टुकड़े पर गिरता है खूँ अपनालाखों नीग्रो पैदा ह...जिस टुकड़े पर गिरता है खूँ अपना<BR/>लाखों नीग्रो पैदा हो जाते हैं।<BR/>यह कुछ खटकने वाला अंश है क्योंकि एक पौराणिक कहानी के अनुसार रक्त की एक बूँद से कई प्राणियों का जन्म एक राक्षसी कृत्य/वृत्ति है जबकि कविता सकारात्मक संदेश के लिए उद्येषित है .Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-23076283076845975502008-11-08T05:57:00.000+05:302008-11-08T05:57:00.000+05:30"हम सब नीग्रो हैं, हम सब काले हैं।।" सुंदर कविता"हम सब नीग्रो हैं, हम सब काले हैं।।" सुंदर कविताVivek Guptahttps://www.blogger.com/profile/14118755009679786624noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-72433993769971186922008-11-08T01:53:00.000+05:302008-11-08T01:53:00.000+05:30धन्यवादधन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-54526348980240831932008-11-07T23:22:00.000+05:302008-11-07T23:22:00.000+05:30लूट की सभ्यता लंगड़ी संस्कृति कोक्षय कर हम आगे बढ़...लूट की सभ्यता लंगड़ी संस्कृति को<BR/>क्षय कर हम आगे बढ़ते जाते हैं<BR/>जिस टुकड़े पर गिरता है खूँ अपना<BR/>लाखों नीग्रो पैदा हो जाते हैं।<BR/>बहुत सत्य कहा आपने ! कविता भी बड़ी सटीक है यहाँ ! बहुत धन्यवाद !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-60467033174425488332008-11-07T22:56:00.000+05:302008-11-07T22:56:00.000+05:30महेंद्र नेह जी की कविता सशक्त है अच्छा किया इसे दे...महेंद्र नेह जी की कविता सशक्त है <BR/>अच्छा किया इसे देकर ...लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-4459466199865521602008-11-07T20:36:00.000+05:302008-11-07T20:36:00.000+05:30हम अपने ताजे टटके लहू से इस दुनियां की तस्वीर बनात...हम अपने ताजे टटके लहू से <BR/>इस दुनियां की तस्वीर बनाते हैं<BR/>शीशे-पत्थर-गारे-अंगारों से <BR/>मानव सपने साकार बनाते हैं।<BR/><BR/>बहुत ही अच्छा लिखा है।PREETI BARTHWALhttps://www.blogger.com/profile/07147371640692507101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-83818817730503003652008-11-07T19:38:00.000+05:302008-11-07T19:38:00.000+05:30बहुत बढिया लिखा है आपने.. मगर मुझे यहां भी कबीले व...बहुत बढिया लिखा है आपने.. मगर मुझे यहां भी कबीले वाली ही बात जैसा कुछ दिख रहा है..<BR/>महेन्द्र 'नेह' जी कि कविता भी शानदार है..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-50362580869109709142008-11-07T19:26:00.000+05:302008-11-07T19:26:00.000+05:30शुक्रिया वकील साहब ......आपने जीत के गीत नही गाये ...शुक्रिया वकील साहब ......आपने जीत के गीत नही गाये कुछ तथ्यों पर भी नजर है आपकी....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.com