tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post522571979833238463..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: शून्य से नीचे के तापमान पर 39000 बेघर रात बिताने को मजबर लोगों के शहर में कंपनियों ने जानबूझ कर कपड़े नष्ट किएदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-74881239767892361242010-01-14T11:26:50.590+05:302010-01-14T11:26:50.590+05:30यह तो गलत है ही, इसमें कोई दो राय नहीं. पर केंद्री...यह तो गलत है ही, इसमें कोई दो राय नहीं. पर केंद्रीकृत अर्थव्यस्था के और भी ज्यादा नुकसान हैं, माओ के शासनकाल के दौरान चीन में माओ की अदूरदर्शी नीतियों के कारण बिना अकाल के ही भुखमरी के हालात पैदा हो गए थे. स्टालिन के कार्यकाल में सोवियत संघ और उसके उपनिवेशों में करोड़ों भूख से मरे जबकि गोदाम भरे हुए थे. यानि की कोई भी व्यवस्था इंसान की नियत के आगे नहीं टिक सकती. एडम स्मिथ के मतानुसार, विकेंद्रीकृत या खुली अर्थव्यस्था 'अदृश्य हाथ' की तरह काम करती है. और यह इसीलिए संभव होता है क्योंकि बाज़ार में सूचनाओं का खुला आदान प्रदान होता है. खुद अर्थव्यस्था और समाज यह तय करता है की उसके लिए क्या सही है, उनकी मांगे और ज़रूरतें बाज़ार और अर्थ के समीकरण को सीधे प्रभावित करते हैं.<br /><br />पर केंद्रीकृत अर्थव्यस्था में करोड़ों की आबादी वाले बड़े देश को कुछ सरकारी कर्मचारी नियंत्रित करते हैं. जिनका लोगों, उपभोक्ताओं और आम इंसान की ज़रूरतों से कोई सीधा वास्ता नहीं होता. न ही उनके पास सही सूचनाएं पहुँच पाती हैं, अगर सूचनाएं किसी तरह पहुंचा भी दी जाएँ तब भी सूचनाओं के पहाड़ तले दबे कुछ सौ कर्मचारी करोडो अरबों लोगों की अर्थव्यस्था के सभी मुख्य पहलुओं को कैसे नियंत्रित करेंगे? और यह भी तब, जब आज की अर्थव्यस्था इतनी जटिल है की अगर हिमाचल के सेबों की फसल अच्छी नहीं होती, तो इसका असर दक्षिण भारत के रबर मंडियों तक पहुँचता है, ऐसे में सरकारी मशीनरी भी कुछ समझ न आने के कारण मशीन की तरह तुगलकी हो जाती है.ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-30065791753799747692010-01-14T07:52:49.383+05:302010-01-14T07:52:49.383+05:30आशंका है कि अमेरीका का वर्तमान कहीं हमारा भविष्य...आशंका है कि अमेरीका का वर्तमान कहीं हमारा भविष्य न बन जाए।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-68648947652097909102010-01-13T22:05:51.811+05:302010-01-13T22:05:51.811+05:30रोड्रिक्स का कहना है कि इस तरह उत्पादन को नष्ट करन...रोड्रिक्स का कहना है कि इस तरह उत्पादन को नष्ट करना मौजूदा व्यवस्था का मानवता के प्रति गंभीर अपराध है।भगीरथhttps://www.blogger.com/profile/11868778846196729769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-44918807162307910732010-01-13T22:04:58.162+05:302010-01-13T22:04:58.162+05:30रोड्रिक्स का कहना है कि इस तरह उत्पादन को नष्ट करन...रोड्रिक्स का कहना है कि इस तरह उत्पादन को नष्ट करना मौजूदा व्यवस्था का मानवता के प्रति गंभीर अपराध है।भगीरथhttps://www.blogger.com/profile/11868778846196729769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-18806926233407777402010-01-13T20:47:50.547+05:302010-01-13T20:47:50.547+05:30यह निर्मम आर्थिकी मानवता का कलंक है !यह निर्मम आर्थिकी मानवता का कलंक है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-66897639691863193052010-01-13T20:04:29.897+05:302010-01-13T20:04:29.897+05:30एच एण्ड एम और वालमार्ट की यह तो जघन्य निर्ममता है!...एच एण्ड एम और वालमार्ट की यह तो जघन्य निर्ममता है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-9626442653593665012010-01-13T17:03:51.328+05:302010-01-13T17:03:51.328+05:30दिनेश जी, यह इन महान कंपनियों का असली और विकृत चेह...दिनेश जी, यह इन महान कंपनियों का असली और विकृत चेहरा है। अभी मैने भी वालमार्ट पर ज़ारी एक विस्तृत रिपोर्ट डाउनलोड की है। इरादा कुछ ठोस काम करने का है।Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-81857683328614756262010-01-13T16:43:09.012+05:302010-01-13T16:43:09.012+05:30ापकी बात सही है। मगर इस मल्टीनेशनल कंपनियों की आँध...ापकी बात सही है। मगर इस मल्टीनेशनल कंपनियों की आँधी मे इन गरीबों की कौन सुनेगा। धन्यबाद और शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-58353583859872756642010-01-13T16:30:42.080+05:302010-01-13T16:30:42.080+05:30आप की बात से सहमत है, हमारे यहां कई दिनो से-१५ -२०...आप की बात से सहमत है, हमारे यहां कई दिनो से-१५ -२० के आस पास चल रहा है, लेकिन सरकार की नीति के अनुसार कोई भी सडक पर नही सोता, सब को रेन बसेरे मै जगह मिलती है ओर खाना मिलता है, दवामिलती है, कई कम्पनिया अपना समान फ़ेंकने के वज्ये इन्हे दान कर देती है अनामी बन कर, ओर खाने का भी यही हाल है कई बडी कम्पनियां फ़ल फ़्रुट भी जो बिकने से बच जाता है इन रेन बसेरो मै छोड जाते है( वेसे इन रेन बसेरो मै शराबी कबाबी लोग ही होते है, जिन्होने कभी काम नही किया, बस सरकार के सहारे जिंदगी बिताते है)असल मै यह गरीब नही होते काम चोर होते हैराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-83512850616449879142010-01-13T12:08:36.991+05:302010-01-13T12:08:36.991+05:30मुझे तो लगता है कि इस लोकतंत्र नाम की चिड़िया
में...मुझे तो लगता है कि इस लोकतंत्र नाम की चिड़िया <br /> में ही कहीं कुछ बड़ी खामी रह गई है !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-86271657032958081362010-01-13T08:53:27.521+05:302010-01-13T08:53:27.521+05:30इस व्यवस्था के फ़ल दिखना शुरु होगये हैं और भी खतरन...इस व्यवस्था के फ़ल दिखना शुरु होगये हैं और भी खतरनाक हालात होने वाले हैं. देखते जाईये.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-66561273739441774652010-01-13T08:52:12.613+05:302010-01-13T08:52:12.613+05:30"इस तरह उत्पादन को नष्ट करना मौजूदा व्यवस्था ..."इस तरह उत्पादन को नष्ट करना मौजूदा व्यवस्था का मानवता के प्रति गंभीर अपराध है। अब वह समय आ गया है जब मौजूदा मनमानी और मुनाफे के लिए उत्पादन की अमानवीय व्यवस्था का अंत होना चाहिए और इस के स्थान पर नियोजित अर्थव्यवस्था स्थापित होनी चाहिए जिस में केवल कुछ लोगों के निजि हित बहुसंख्य जनता के हितों पर राज न कर सकें" <br /><br />सहमत !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-52165041104283580352010-01-13T08:46:37.735+05:302010-01-13T08:46:37.735+05:30Profit is the energy that drives the WHEEl of DOLL...Profit is the energy that drives the WHEEl of DOLLAR ........लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-65338511803089632962010-01-13T08:39:43.640+05:302010-01-13T08:39:43.640+05:30इस घटना की भी कोई संवेदन शीलता न होगी,यह भी केवल ए...इस घटना की भी कोई संवेदन शीलता न होगी,यह भी केवल एक खबर ही बन कर रह जायेगी.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-13649073744196973812010-01-13T08:38:29.629+05:302010-01-13T08:38:29.629+05:30मानवता को ध्यान मे रखकर ऐसा नही करना चाहिए, इन काम...मानवता को ध्यान मे रखकर ऐसा नही करना चाहिए, इन कामो पर वहां की सरकार को संज्ञान लेकर इनके लिए नीति बनानी चाहिए।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-35706466755771491002010-01-13T08:31:44.218+05:302010-01-13T08:31:44.218+05:30हमारे यहाँ शून्य से १२ डीग्री नीचे चल रहा है पिछले...हमारे यहाँ शून्य से १२ डीग्री नीचे चल रहा है पिछले ४ दिन से...Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-49058500433445283782010-01-13T08:13:15.380+05:302010-01-13T08:13:15.380+05:30बने-बनाए कपड़ों के अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय में out ...बने-बनाए कपड़ों के अंतर्राष्ट्रीय व्यवसाय में out of fashion व रिजेक्ट कपड़ों की खेपों को यूं जला देना/ invalidate करना आम बात है. यह कई कारणों से किया जाता है जैसे brand-sanctity के चलते, inventory pile-up से बचने के लिए, स्थान खाली करने के लिए, इनको बेचने की कीमत व समय, बेचने के काम में manpower लगाने के बजाय उत्पादन में इसके प्रयोग आदि को देखते हुए...इसी तरह के कई अन्य कारण हैं.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-69681493272853804102010-01-13T08:04:05.099+05:302010-01-13T08:04:05.099+05:30अरे उन कपड़ों को ब्लॉग जगत में भिजवा दिए रहते। कित...अरे उन कपड़ों को ब्लॉग जगत में भिजवा दिए रहते। कितने नंगे घूम रहे हैं !<br />________________<br /><br />पूँजीवादी व्यवस्था का यह 'साइड इफेक्ट' है - अनिवार्य दोष। ऐसी ही बेहूदगियों पर राज्य को लगाम लगाना होता है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-79948843463930150712010-01-13T07:30:23.633+05:302010-01-13T07:30:23.633+05:30द्विवेदी सर,
खुली अर्थव्यवस्था के नाम पर मल्टीनेशन...द्विवेदी सर,<br />खुली अर्थव्यवस्था के नाम पर मल्टीनेशनल कंपनियों को छूट देने वाली भारत सरकार को उनका मानवता विरोधी ये विकृत चेहरा नज़र नहीं आता या उसने जानबूझकर आंखों पर पट्टी बांधी हुई है...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.com