tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post4990661620408622342..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: आजाद भारत की बेटियाँ-2 ... ... ...ईश्वर कह रहा है ..... “मेरी रक्षा कीजिए"दिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-66338784504869946902008-08-20T04:04:00.000+05:302008-08-20T04:04:00.000+05:30एक सुंदर आलेख पर बड़ी-बड़ी टिपण्णी, बड़े-बड़े विचार....एक सुंदर आलेख पर बड़ी-बड़ी टिपण्णी, बड़े-बड़े विचार. मैं ऐसी जगह पर क्या कह सकता हूँ... बस इतना ही कहना है की दुनिया न बदल सके न सही... पड़ोस भी न सुधार सके तो कोई बात नहीं पर सब लोग अपना घर तो सुधार सकते हैं. और ये भी काफ़ी होगा... समस्या तब आती है जब बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग भी यही काम करते हैं... एक आलेख पढ़ रहा था की कैसे कनाडा में रह रहे पञ्जाबी परिवार... परिवार नियोजन बड़े जोरों से अपना रहे हैं एक छोटे से सुधार के साथ. एक ही हो और लड़का ही हो. <BR/><BR/>कुछ बातें बड़ी झकझोरने वाली हैं इस आलेख में... !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-91600198386440081042008-08-19T13:20:00.000+05:302008-08-19T13:20:00.000+05:30पूर्वा को बधाई इतने बढिया लेख के लिये.हमारे देश की...पूर्वा को बधाई इतने बढिया लेख के लिये.हमारे देश की कडवी हकीकत है है कि हम अपनी बेटियों को प्रेम , सुरक्षा और सम्मान नहीं दे रहे हैं,कारण चाहे कुछ भी हो.Ila's world, in and outhttps://www.blogger.com/profile/13648932193142137941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-12860403976001316602008-08-17T21:19:00.000+05:302008-08-17T21:19:00.000+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.पतिनुमा प्राणीhttps://www.blogger.com/profile/12163827035253439551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-59054061769024889042008-08-17T17:15:00.000+05:302008-08-17T17:15:00.000+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-71475822075548154742008-08-16T18:50:00.000+05:302008-08-16T18:50:00.000+05:30सुश्री पूर्वा द्विवेदी ने काफी परिश्रम करके यह सार...सुश्री पूर्वा द्विवेदी ने काफी परिश्रम करके यह सारगर्भित लेख पूरा किया है .जेंडर बायस का मामला बहुत उल्जा हुआ है -भारत में तो यह न्रिशंशता की हदें पार कर चुका है -यह एक संवेदनशील मुद्दा है -ऐसा क्यों रहा है ?<BR/>लेकिन जब समाज अब काफी बदल गया है तो फिर इन आदिम प्रथाओं के जड़ता का बोझ हम क्यों ढ़ो रहे हैं ?<BR/>लड़की को जन्म के पहले ही मार दो ,जन्म ले भी ले तो किसी न किसी बहाने ,निष्क्रिय या सक्रिय रह कर मार दो .....किसी से प्रेम कर बैठे तो जिंदा जला दो ,पति चल बसे तो चिता पर चढा कर मार दो ..चिता पर न चढ़े तो डायन बता कर मार दो ..फिर भी न मरे तो बाल मुड़वा कर काशी या वृन्दावन भेज दो जहाँ वह जिंदा लाश बन कर तिल तिल कर मरने को अभिशप्त हो .....यह मंजर क्या पढ़े लिखे समाज की चुगली नही करता ?<BR/>पर पुरूष ही इसका दोषी नही है -केवल पुरूष के सर इस समस्या को मढ़ देना सही नही होगा -पर इस पर भी चर्चा की जानी चाहिए !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-21347470763764681342008-08-16T17:29:00.000+05:302008-08-16T17:29:00.000+05:30बालिका शिक्षा राष्ट्रीय नीति में सर्वोच्च प्रथमिकत...बालिका शिक्षा राष्ट्रीय नीति में सर्वोच्च प्रथमिकता देने से काफी सुधार आ सकता है। इस दिशा में जागरुकता बढ़ भी रही है। <B>पूर्वा जी</B> ने इस विषय पर अधिकांश विन्दुओं को एक स्थान पर समेकित कर दिया है। ऐसे प्रयास ही अंधकार को दूर करने में सफल होते हैं। समस्याएं तो देश में कहीं और व्यापक हैं। मन में तकलीफ़ बनी रहती है:-<BR/><BR/><B>आज़ादी की बात पर होता नहीं गुमान।<BR/>बहुत गुलामी देश में पसरी है श्रीमान्॥<BR/><BR/>पसरी है श्रीमान् यहाँ बदहाल गरीबी।<BR/>जाति-धर्म के भेद और आतंक करीबी॥<BR/> <BR/>घोर अशिक्षा, पिछड़ापन, बढ़ती आबादी।<BR/>भ्रष्टतंत्र की भेंट चढ़ी अपनी आज़ादी॥</B>सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-48656250768210472932008-08-16T01:15:00.000+05:302008-08-16T01:15:00.000+05:30शुभकामनायें... केवल शुभकामनायें ही, इससे आगे...और ...<I>शुभकामनायें... केवल शुभकामनायें ही, इससे आगे...<BR/>और हम कूश्श नेंईं बोलेगा ।<BR/>जैसे अब तक काम चलाते आये हैं,<BR/>वैसे ही सिरिफ़ शुभकामनाओं से अपना काम चलाइये नऽ !<BR/>ऒईच्च..हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है,<BR/>ईशलीए हम कूश्श नेंईं बोलेगा ...</I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-42677718502571422892008-08-15T22:28:00.000+05:302008-08-15T22:28:00.000+05:30इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.पतिनुमा प्राणीhttps://www.blogger.com/profile/12163827035253439551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-71944501186778810462008-08-15T17:03:00.000+05:302008-08-15T17:03:00.000+05:30जिस राष्ट्र मेँ स्त्रियोँ का अनादर होता है याकि जह...जिस राष्ट्र मेँ स्त्रियोँ का अनादर होता है याकि जहाँ स्त्रियाँ व्याभिचारिणी हो जातीँ हैँ उस राष्ट्र का नाश हो जाता है " <BR/>बिलकुल सही बात हे.<BR/>स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाऐं.<BR/>धन्यवाद आप की बेटी का ओर आप का इस सुन्दर लेख के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-49707610721774461512008-08-15T13:58:00.000+05:302008-08-15T13:58:00.000+05:30पर, जागृति और शिक्षा से परिस्थितियों में बेहद मामू...पर, जागृति और शिक्षा से परिस्थितियों में बेहद मामूली ही सही, सुधार तो आने लगा है.रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-46931715239223328162008-08-15T13:50:00.000+05:302008-08-15T13:50:00.000+05:30“बाद में 50,000/- रुपए (दहेज) के स्थान पर अभी 50/-...“बाद में 50,000/- रुपए (दहेज) के स्थान पर अभी 50/-रुपए खर्च करें”<BR/>दोनो ही प्रथायें बर्बर! न जाने कब होगा इस लोलुप समाज का हृदय परिवर्तन?! <BR/>बिटिया ने बहुत अच्छा लिखा और अनुवाद भी पठनीय है।<BR/>प्रस्तुति के लिये आपका धन्यवाद।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-12515858119446448772008-08-15T12:43:00.000+05:302008-08-15T12:43:00.000+05:30भले ही हम चाँद तारो तक पहुँच गए है पर सच यही है की...भले ही हम चाँद तारो तक पहुँच गए है पर सच यही है की आदमी की सोच अभी तक नही बदली है.......ये समाज के ७० %चेहरे का हिस्सा है......भले ही हम ढेरो बहस करे ....ढेरो कागज काले करे ....सच यही है की स्त्री को जब तक आप आर्थिक स्वन्तान्त्रता नही देगे ...उसका भला नही होगा....शिक्षा नही देंगे ...भला नही होगा ....क्यों नही १२ तक गरीब लड़कियों .लड़को के लिए शिक्षा मुफ्त कर दी जाये?क्यों नही कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्कुल या विद्यालय खोले जाये ? <BR/>हमरे समाज का विकास समान भागो में नही हुआ है ..कही बहुत ज्यादा धन है कही गरीबी....११ मिलियन बच्चे अनाथ है भारत में....ओर कितने बिन इलाज़ के मर जाते है.....इनमे में ज्यादातर प्रतिशत लड़कियों का ..डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-19059213766426953552008-08-15T10:31:00.000+05:302008-08-15T10:31:00.000+05:30सारगर्भित और सामयिक आलेख है। स्वाधीनता दिवस पर आपक...सारगर्भित और सामयिक आलेख है। <BR/><BR/>स्वाधीनता दिवस पर आपको हार्दिक शुभकामनायें..<BR/><BR/><BR/>***राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-59862873489227171622008-08-15T10:06:00.000+05:302008-08-15T10:06:00.000+05:30हम लोग 'ज्ञान पापी' समाज हैं । प्रिय पूर्वा की सार...हम लोग 'ज्ञान पापी' समाज हैं । प्रिय पूर्वा की सारी बातें, सबकी जानी-पहचानी हैं लेकिन अपनी बारी आने पर सब उन्हें भूल जाते हैं ।<BR/>जो देश अपने स्त्री समाज का सम्मान नहीं करता वह कभी उन्नति नहीं कर सकता ।<BR/><BR/>आंकडें रोंगटे खडे् करने वाले हैं । ईश्वर हमें सद्बुध्दि दे ।<BR/><BR/>प्रिय पूर्वा की कलम यशस्वी बने ।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-54073574372611238842008-08-15T09:56:00.000+05:302008-08-15T09:56:00.000+05:30sateek hai,aapko aur poorva jee ko swatantrata div...sateek hai,aapko aur poorva jee ko swatantrata divas ki badhaiAnil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-88625251622069504822008-08-15T09:36:00.000+05:302008-08-15T09:36:00.000+05:30जिस दिन कन्या भूर्ण हत्या बंद हो जायेगी और दहेज रू...जिस दिन कन्या भूर्ण हत्या बंद हो जायेगी और दहेज रूपी बुराई का नाश होगा उसी दिन एक स्वस्थ समाज की कल्पना की जा सकती है ..पूर्वा का यह आलेख बहुत पसंद आया ...यूँ ही लिखती रहे ..रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-71847905710286356712008-08-15T09:03:00.000+05:302008-08-15T09:03:00.000+05:30वारिस के चक्कर में लोग लड़का चाहते हैं। लेकिन पूर्...वारिस के चक्कर में लोग लड़का चाहते हैं। लेकिन पूर्वा ने जबरदस्त बात कही है कि 'पुरूष उत्तराधिकारी को जन्म देने के लिए एक स्त्री भी जरूरी है।'<BR/>पूर्वा की मेघा को और चार चांद लगें। आपको और पूर्वा दोनों को आज़ादी की 61वीं सालगिरह मुबारक...<BR/>निराला के शब्दों में मेरी तो यही कामना है कि...<BR/>कलुष भेद, तम हर, प्रकाश भर, जगमग जग कर दे...<BR/>देश में हर तरफ ज्ञान का उजाला फैले, यही ख्वाहिश है।अनिल रघुराजhttps://www.blogger.com/profile/07237219200717715047noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-5646863450692998752008-08-15T08:56:00.000+05:302008-08-15T08:56:00.000+05:30आलेख बहुत पसंद आया। लावण्या जी की बात में मनुस्मृत...आलेख बहुत पसंद आया। लावण्या जी की बात में मनुस्मृति का प्रसिद्द कथन भी जोड़ना चाहूंगा - "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता."<BR/>स्थिति काफी भयावह है. इसे बेहतर बनाने के लिए हमें दहेज़ जैसी कुरीतियों का अंत करना होगा और साथ ही इसे माहौल का निर्माण करना होगा जिसमें लडकियां निर्भय होकर अकेले घर से बाहर निकल सकें.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-65682724995967120282008-08-15T08:45:00.000+05:302008-08-15T08:45:00.000+05:30बहुत पसंद आया। और लावण्या जी की बात भी बहुत सही है...बहुत पसंद आया। और लावण्या जी की बात भी बहुत सही है।<BR/>स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-28500114986172279942008-08-15T07:09:00.000+05:302008-08-15T07:09:00.000+05:30एक बालिका प्रत्येक राष्ट्र का भविष्य है और भारत इस...एक बालिका प्रत्येक राष्ट्र का भविष्य है और भारत इस का अपवाद नहीं हो सकता।<BR/>~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~<BR/>पते की बात कह दी पूर्वा बिटीया ने - यही भगवान श्री कृष्ण ने भगवद्` गीता मेँ भी कहा है " जिस राष्ट्र मेँ स्त्रियोँ का अनादर होता है याकि जहाँ स्त्रियाँ व्याभिचारिणी हो जातीँ हैँ उस राष्ट्र का नाश हो जाता है " <BR/>( the Great Roman empire & the former Greek civilizations are examples of these ) <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-73228905581128358692008-08-15T07:07:00.000+05:302008-08-15T07:07:00.000+05:30inhi aur aisi hi anay naari ke prati samasyaon per...inhi aur aisi hi anay naari ke prati samasyaon per ek film banayi gayi thi jiska naam mujhe yaad nahi aa reha, lekin usme ye dikhaya tha ki ek din sirf male jansankhya reh jaati hai......is film ko India me release nahi hone diya tha.Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-66199496962898803202008-08-15T06:48:00.000+05:302008-08-15T06:48:00.000+05:30"आलेख के पूर्वार्ध पर "सच" की टिप्पणी व अन्य टिप्प..."आलेख के पूर्वार्ध पर "सच" की टिप्पणी व अन्य टिप्पणियों पर बात अगले आलेख में..........."<BR/>क्यों सब की संवेदनाये इतनी विक्षिप्त हैं ?? क्यों नारी स्वतंत्रता को लोग आतंक समझते हैं और नारी विर्मर्ष को अपशब्द कहते हैं . क्यों जरुरी हैं "संरक्षण" नारी काAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-58383235296365607032008-08-15T06:08:00.000+05:302008-08-15T06:08:00.000+05:30आलेख पसंद आया. आभार यहाँ प्रस्तुत करने का.स्वतंत्र...आलेख पसंद आया. आभार यहाँ प्रस्तुत करने का.<BR/><BR/>स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com