tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post4191665265297791119..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: महिलाओं का समान अधिकार प्राप्त करने का संकल्प धर्म की सत्ता की समाप्ति की उद्घोषणा हैदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-347986441335555012012-09-20T16:32:12.205+05:302012-09-20T16:32:12.205+05:30न जाने आपकी यह पोस्ट मेरी नजर में क्यों न आई? आपसे...न जाने आपकी यह पोस्ट मेरी नजर में क्यों न आई? आपसे सहमत हूँ. <br />संसार की हर असमानता, हर गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की शक्ति मनुष्य में प्राय: होती है. किन्तु उसके लिए इस अन्याय के प्रति एक क्रोध की आवश्यकता होती है. यदि क्रोध की धार तेज होगी तो जंजीर काट ही देगी. अत: इस क्रोध की धार को कुंद करने के लिए धर्म या भाग्य का सहारा लिया जाता है. ताकि क्रोध अत्याचारी पर जब भी आए तो उसका एक बड़ा हिस्सा अपने भाग्य की तरफ छिटक जाए, कि मैं इस जाति, या लिंग में पैदा ही क्यों हुई. क्योंकि इस जाति या लिंग के लिए तो धर्म ने यही व्यवस्था की है.<br /><br />जो अपने धर्म को स्त्रियों के लिए बेहतर कह रहे हैं वे गलत कह रहे हैं. और इसमें भारतीय समाज का दोष नहीं है. जिस भूमि में वह धर्म जन्मा वहाँ तो स्त्रियों की दशा और भी बदतर है. खैर दिल बहलाने को वे सोचें तो सोचते रहें.<br />मुझे लगता है कि सिख धर्म में शायद सबसे अधिक बराबरी है. अध्ययन करने पर पता चलेगा.<br />घुघूतीबासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-51188116792953393942011-08-11T20:31:24.848+05:302011-08-11T20:31:24.848+05:30पढ़ लिया और टिप्पणियाँ भी देख लीं। धर्म तो स्त्री ...पढ़ लिया और टिप्पणियाँ भी देख लीं। धर्म तो स्त्री के लिए बाधक है, इससे असहमति नहीं है। पूरी दुनिया में स्त्री की हालत पर सीमोन-दा-बोउवार की किताब शानदार है। <br /><br />लेकिन मैं स्त्रियों से बात करना बहुत कठिन मानता हूँ। कभी समझाकर देखिए। माथा पीटना पड़ता है इनके धर्म के जबरदस्त दुष्प्रभाव से। धर्म में इन्हें पुरुषों ने डाला है, यह बात पूरी तरह सही नहीं क्योंकि वह भी तो अटका हुआ है धर्म के जाल में।<br /><br />लेकिन एक वर्ग के पास तो हर समस्या का समाधान है!चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-60154154821182149082011-03-11T11:29:36.000+05:302011-03-11T11:29:36.000+05:30वैसे अगर गौर से सोचा जाये तो ये अधिकार है क्या च...वैसे अगर गौर से सोचा जाये तो ये अधिकार है क्या चीज़ शायद वही न सम्मान ? अधिकार , अधिकार और अधिकार कहाँ ले कर जाना है ये सब , सब कुछ तो यही रहेगा न किसी से ज्यादा न ही कम हमें तो सिर्फ आप सबका साथ चहिये जिससे ज्यादा पाने से आपके लिए दुःख न हो और तिरस्कित होने पर औरत अपना संतुलन न खो दे क्युकी न ज्यादा मिलने में ही ख़ुशी होगी क्युकी बेटा , बाप , भाई और पति इन सबका रिश्ता भी तो हमसे ही जुड़ा है न , तो इन्हें भी कोई तकलीफ हो तो ये नारी फिर भी न सह पायेगी तो सिर्फ सम्मान, इज्ज़त और प्यार मेरे ख्याल से बहुत है |<br />अच्छा विषय शुक्रिया दोस्त |<br />वैसे किसी भी मुद्दे का हल एक साथ बैठ कर निकला जा सकता है क्युकी बहस का तो कभी अंत होता ही नहीं |Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-50911221403591031292011-03-10T12:07:54.276+05:302011-03-10T12:07:54.276+05:30http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2011/03/...http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2011/03/blog-post_1125.htmlरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-43066358192706945062011-03-09T23:34:53.268+05:302011-03-09T23:34:53.268+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.किलर झपाटाhttps://www.blogger.com/profile/07325715774314153336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-50547201906164267342011-03-09T23:31:51.689+05:302011-03-09T23:31:51.689+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.किलर झपाटाhttps://www.blogger.com/profile/07325715774314153336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-49702742021001984102011-03-09T22:10:42.209+05:302011-03-09T22:10:42.209+05:30द्विवेदी जी बाकी चीजों के बारे में छोड़ दीजिये, हिन...द्विवेदी जी बाकी चीजों के बारे में छोड़ दीजिये, हिन्दू तो अपनी मान्यताओं में परिवर्तन स्वीकार कर लेगा और आधे हिन्दुओं की टिप्पणियां इसकी प्रत्यक्ष प्रमाण हैं, लेकिन मुस्लिम... यही अन्तर साक्षात है..भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-25961609961072019392011-03-09T20:16:36.192+05:302011-03-09T20:16:36.192+05:30धर्म से मुक्ति से पहले स्त्री को आर्थिक रूप से आत्...धर्म से मुक्ति से पहले स्त्री को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना पडेगा। वहीं से आगे ही राह खुलेगी। परिवर्तन दिख भी रहा है और परिवर्तन की गति उत्तरोत्तर तेज ही होती जायेगी, समय लगेगा लेकिन समाज भी बदलेगा। मुझे पूरा विश्वास है।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-64235178057312781502011-03-09T19:09:00.522+05:302011-03-09T19:09:00.522+05:30आज की भारतीय नारी सब से आगे है। हम घर में देखते ह...आज की भारतीय नारी सब से आगे है। हम घर में देखते हैं ना :) :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-41850291789909889602011-03-09T18:59:53.021+05:302011-03-09T18:59:53.021+05:30महिलाओं का समान अधिकार प्राप्त करने का संकल्प धर्म...महिलाओं का समान अधिकार प्राप्त करने का संकल्प धर्म की सत्ता की समाप्ति की उद्घोषणा है!!<br /><br />sahi kaha iska jawaab shighr hi main aap ko deta hoon dwivedi jee agar aap swasth bahas ke liye taoyar ho to !Saleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-34372797743641500432011-03-09T18:47:46.301+05:302011-03-09T18:47:46.301+05:30महिलाओं का समान अधिकार प्राप्त करने का संकल्प धर्म...महिलाओं का समान अधिकार प्राप्त करने का संकल्प धर्म की सत्ता की समाप्ति की उद्घोषणा है...<br /><br />क्या खूब उद्घोष है...रवि कुमार, रावतभाटाhttps://www.blogger.com/profile/10339245213219197980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-84592995674968374582011-03-09T16:05:43.569+05:302011-03-09T16:05:43.569+05:30.
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इन सब तथ्यों ने मुझे इस निष्कर्ष तक पहुँचाया....<br />.<br />.<br /><b>इन सब तथ्यों ने मुझे इस निष्कर्ष तक पहुँचाया कि महिलाओं की पुरुषों के समान अधिकार और समाज में बराबरी का स्थान प्राप्त करने का उन का संघर्ष तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि वे धर्म से मुक्ति प्राप्त नहीं कर लेती। महिलाओं का समान अधिकार प्राप्त करने का संकल्प धर्म की सत्ता की समाप्ति की उद्घोषणा है। इस बात से महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करने के विरोधी धर्म-प्रेमी बहुत चिंतित हैं।</b><br /><br />आप शतप्रतिशत सही हैं, धर्म का एकमात्र व सबसे बड़ा काम ही है यथास्थिति का पोषण... महिलायें ही नहीं, दलित, आदिवासी तथा हाशिये पर डाल दिये गये अन्य तबकों की मुक्ति 'धर्म' (???) की सत्ता की समाप्ति के बाद ही संभव है।<br /><br />लेकिन आज की तारीख में बहुत मुश्किल है यह काम... आप टिप्पणियों में ही देखिये दाँये-बाँये कतरा कर निकल रहे हैं साथी... कोई नहीं कह रहा कि आप जो कह रहे हो वह सही है... :(<br /><br />आदरणीय मासूम जी व फखरे आलम जी की प्रतिक्रियाँयें अच्छा खासा मनोरंजन प्रदान कर रही हैं... जब मासूम जी कहते हैं कि <b>"शब्दकोष का तो इतना अधिक ज्ञान नहीं लेकिन यह जानता हूँ कि पश्चिमी सभ्यता औरत कि समानता कि बात करती है जबकि दोनों समान नहीं है और इस्लाम हक मैं बराबरी कि बात करता है."</b>... तभी पता चल जाता है कि धर्म की सत्ता (जिसे समाप्त करने की बात यह पोस्ट कर रही है) ने उनकी आँखें इस कदर बंद कर दी हैं कि स्त्री-पुरूष की समानता व सबको समान अधिकार जैसी अवधारणायें समझ ही नहीं सकते... यही हाल जनाब फख़रे आलम का है जो अपने धर्म को हर मर्ज की दवा सा मान समाधान के तौर पर पेश कर रहे हैं ।<br /><br />रचना जी, आप जो कह रही हैं या कहना चाह रही हैं उसे सही संदर्भ व सही भावना से समझने वाले यहाँ बहुत ही कम हैं, ब्लॉगवुड में बहुत सी महिलाये हैं परंतु आपको छोड़ लगभग सभी मौन या निरपेक्ष रहना सुविधाजनक समझती हैं, ऐसे माहौल में आपका यह दखल बहुत ही आश्वस्तिपूर्ण होता है मेरे जैसों के लिये... कैरी ऑन युवर गुड वर्क... कभी न कभी स्थितियाँ बदलेंगी... मैं घोर आशावादी हूँ, और पूरा विश्वास है मुझे कि अपनी बच्चियों के लिये पहले से एक बेहतर दुनिया छोड़ कर जाउंगा, जहाँ उनको अपने अधिकारों के लिये लड़ना नहीं होगा...<br /><br />और हाँ बात-बात पर पश्चिम की महिलाओं को ज्यादा हक मिलने से हुई उनकी तथाकथित बुरी हालत का बखान करने वाले मुझे पश्चिम की एक भी ऐसी महिला का उदाहरण नहीं दिखा सकते जो यह कहे कि उसके अपने समाज के मुकाबले उसे पूर्व की औरतों की स्थिति बेहतर लगती है। <br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-90006659218505228102011-03-09T15:30:54.916+05:302011-03-09T15:30:54.916+05:30आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल क...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br />प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (10-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br />देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-6597316459384588202011-03-09T14:38:47.521+05:302011-03-09T14:38:47.521+05:30यह निश्चय है कि जो कारण दिखता है अन्याय का, उसके प...यह निश्चय है कि जो कारण दिखता है अन्याय का, उसके प्रति आक्रोश होता है पर धर्मपरायणता भारतीयों में कूट कूट कर भरी है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-53012445936146594262011-03-09T14:26:39.522+05:302011-03-09T14:26:39.522+05:30आपके एक सवाल का जवाब तो है मेरे पास और उस संशय का ...आपके एक सवाल का जवाब तो है मेरे पास और उस संशय का समाधान जो आपने इस पोस्ट के ज़रिये ज़ाहिर किया कि किसी भी धर्म में महिला सुरक्षित नहीं तो जनाब इसका सीधा और बहुत सरल जवाब है ::: <b>इस्लाम</b>, आप एक वकील है और मैं उम्मीद करता हूँ आप इस ओर भी कुछ अपनी आँखों को ज़हमत देंगे पढने और अध्ययन करने के लिए तो बात समझ आ जायेगी.ahttps://www.blogger.com/profile/08310946755486376700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-77025461717697567272011-03-09T13:19:44.388+05:302011-03-09T13:19:44.388+05:30हम भारतियो की नारी आज भी पुरे विश्व मे सब से ज्याद...हम भारतियो की नारी आज भी पुरे विश्व मे सब से ज्यादा सुखी हे, कोई माने या ना माने,<br /><br /><br />any statistics to prove this mr raj bhatia <br /><br />i have read that indians settle abroad dont marry indian girls settled there rather they come back to india find a devi and settle with her <br /><br />and come to think of it how can anyone think of marrying a devi !!!रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-74505933392207995252011-03-09T13:17:37.036+05:302011-03-09T13:17:37.036+05:30aap ki post daer sae padhi apni psot dae chukane k...aap ki post daer sae padhi apni psot dae chukane kae baad varna naa daeti !!!!!!!रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-46455796417838955692011-03-09T13:16:55.860+05:302011-03-09T13:16:55.860+05:30औरतों के ऊपर यह भी फ़र्ज़ नहीं है कि अपने पति के ल...औरतों के ऊपर यह भी फ़र्ज़ नहीं है कि अपने पति के लिए खाना बनाए, पूरे परिवार के घर का काम करने की तो बात ही क्या!!!<br /><br /><br />yae kaam kaa batwaara kisnae kiyaa aur kab kiyaa bhartiyae sanskriti kae naam par aurat kae shoshan ko ham kab tak justify karaegaeरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-67590616334440538522011-03-09T13:00:38.960+05:302011-03-09T13:00:38.960+05:30द्विवेदी जी,
मासूम साहब का उद्देश्य तो मैं भी जा...द्विवेदी जी, <br /><br />मासूम साहब का उद्देश्य तो मैं भी जानता हूँ जो कि उनका ब्लॉग अमन का पैगाम है, क्या कोई दूसरा उद्देश्य भी है? ;-)<br /><br />वैसे मर्दों को भी दुसरी शादी करने का अधिकार नहीं है, केवल कुछ परिस्थितियों में इजाज़त भर है... वह भी इस शर्त के साथ की दोनों को बराबर हक दिया जाएगा... और बराबर हक देना किस आम इंसान के बस की बात नहीं है, ख़ास के लिए भी मुश्किल है... लेकिन कुछ मर्द अपनी हुकुमत जताने की लिए सही बात सामने लाना ही नहीं चाहते... <br /><br />ठीक यही बात तलाक को लेकर भी है, जैसे मर्द तलाक दे सकता है वैसे ही औरत को भी तलाक का हक है... जिसको 'खुला' कहा जाता है.... हक तो दोनों को बराबर हैं लेकिन औरतों को अपने हक पता ही नहीं है... <br /><br />जैसे-जैसे शिक्षा का प्रसार हो रहा है, औरतों को अपने हक पता चलते जा रहे हैं और स्थिति बदल रही है... बात जब हक की चल रही है तो एक छोटी सी बात बता दूं... जिससे अंदाजा लग सकता है.... <b>औरतों के ऊपर यह भी फ़र्ज़ नहीं है कि अपने पति के लिए खाना बनाए, पूरे परिवार के घर का काम करने की तो बात ही क्या!!!</b>Shah Nawazhttps://www.blogger.com/profile/01132035956789850464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-12563555386928114722011-03-09T12:33:52.025+05:302011-03-09T12:33:52.025+05:30रचना जी @ इस्लाम के हर कानून मैं (Condition Apply...रचना जी @ इस्लाम के हर कानून मैं (Condition Apply) अवश्य लगा होता है , जिसको समझने और समझाने के लिए समय चाहिए.हाँ मर्दों को क्या नहीं करना चाहिए इस पे लिखूंगा क्योंकि आप कि डिमांड सही है.<br />.<br />मुस्लिम भारत मे रह कर भारतीये संविधान को नहीं मानते भी एक ग़लतफ़हमी है और इस कि कोई वजह भी मुझे नहीं दिखती. रचना जी मैं किसी को इस्लाम सीखाने या समझाने कि कोशिश नहीं करता बस उस ग़लतफ़हमी को दूर करने कि कोशिश करता हूँ जिनके कारण एक इंसान दूसरे से दूर होता जा रहा है. इसी लिए मैं किसी को इस बात के लिए भी बाध्य नहीं करता कि जो मैं कहूँ उसे मानो भी. मेरे किरदार का आइना यह लव्ज़ हैं.<br /> उनका जो फ़र्ज़ है वो अहले सियासत जानें मेरा पैग़ाम मुहब्बत है जहां तक पहुंचेS.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-61663387558776370672011-03-09T10:25:06.831+05:302011-03-09T10:25:06.831+05:30आपकी यह पोस्ट अच्छी लगी ! इस प्रकार की उम्मीदें बु...आपकी यह पोस्ट अच्छी लगी ! इस प्रकार की उम्मीदें बुझते दीपक की लौ ही हैं ! शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-733755583523738392011-03-09T09:50:54.274+05:302011-03-09T09:50:54.274+05:30यह सभी जानते हैं कि ४ शादी यदि औरत करने लगे तो औला...यह सभी जानते हैं कि ४ शादी यदि औरत करने लगे तो औलाद के बाप का नाम बताना मुश्किल जो जाएगा लेकिन मर्द करे तो कोई मुश्किल नहीं.<br /><br />धन्य हो आप<br />मुस्लिम समाज मे चार शादियाँ केवल तब जयाज हैं जब किसी ऐसी औरत से की जाए जिसका कोई नहीं हैं और पुरुष उसको सहारा देने के लिये अपने घर मे उसको रखता हैं . ये इसलिये किया गया था ताकि देह व्यापर ना हो . दूसरी शादी भी तब करे अगर पहली पत्नी के बच्चा ना हो .<br /><br />चार शादिया जायज नहीं हैं , चार शादियों का प्रावधान .<br /><br />दूसरी बात मुस्लिम भारत मे रह कर भारतीये संविधान को नहीं मानते सो उनको संविधान मे दी गयी स्वतंत्रता और बराबरी कि बात का कोई पता नहीं हैं .<br />औरत के लिये क्या जयाज हैं कि बात करते हैं पर कभी मर्द के लिये क्या गलत हैं इस पर लिखोरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-18154002983804283302011-03-09T09:37:50.065+05:302011-03-09T09:37:50.065+05:30विचारोत्तेजक आलेख। सोचने पर मजबूर करता है। धन्यवाद...विचारोत्तेजक आलेख। सोचने पर मजबूर करता है। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-40119970074927846132011-03-09T09:36:42.694+05:302011-03-09T09:36:42.694+05:30दिनेशराय द्विवेदी जी मैं मासूम हूँ या नहीं मुझे प...दिनेशराय द्विवेदी जी मैं मासूम हूँ या नहीं मुझे पता नहीं लेकिन मेरा उद्देश्य समाज से अज्ञानता को ख़त्म करना और धर्म के नाम पे जो गलतफहमियां फैली हुई हैं ,उनको दूर कर के आपस मैं सभी इंसानों को एक साथ लाना है और मैं इसी मकसद के तहत काम करता हूँ. ,मैं मुसलमान हूँ इसलिए जब भी मैं इस्लाम कि कानून कि अच्छी बातें बताता हूँ तो लोगों को लगता है मैं अपने धर्म कि अच्छाई बता रहा हूँ जबकि मैं समाज मैं फैली इस धर्म के खिलाफ गलतफहमियां दूर कर रहा होता हूँ.यही काम दूसरे धर्म के माने वालों को भी करने चाहिए जिस से दो इंसानों के बीच कि धर्म के नाम पे खड़ी कि गयी दीकार टूट सके. <br />.<br /><br />शब्दकोष का तो इतना अधिक ज्ञान नहीं लेकिन यह जानता हूँ कि पश्चिमी सभ्यता औरत कि समानता कि बात करती है जबकि दोनों सामान नहीं है और इस्लाम हक मैं बराबरी कि बात करता है.<br />.<br /> औरत मर्द एक जैसे कपडे नहीं पहन सकते लेकिन जब जीवन मैं जीने का हक और इज्ज़त कि बात आ जाए तो बराबरी का दर्जा दिया जाना चाहिए.और इस्लाम मैं यह हक दिया गया है. इस्लाम मैं हर कानून इन्साफ के साथ है. इश्वेर ने औरत मर्द का जिस्म एक जैसा नहीं बनाया तो उनकी ज़रूरतें भी एक जैसे नहीं है. यह सभी जानते हैं कि ४ शादी यदि औरत करने लगे तो औलाद के बाप का नाम बताना मुश्किल जो जाएगा लेकिन मर्द करे तो कोई मुश्किल नहीं.<br /><br />आशा है मेरी बात को समझेंगेS.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-69553460774577746372011-03-09T09:01:58.243+05:302011-03-09T09:01:58.243+05:30आपकी बात शत प्रतिशत सही है और आपकी शुभेच्छा से मै...आपकी बात शत प्रतिशत सही है और आपकी शुभेच्छा से मैं भी सहमत हूँ। लेकिन यह सब हमारे रक्त-कणों की संरचना का तत्व बन गया है। रक्त शुध्दि के बिना आपकी शुभेच्छा साकार होती नजर नहीं आती।<br /><br />विचारोत्तेजक पोस्ट है। आज का दिन अच्छा निकलेगा।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.com