tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post4117127418462334988..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: अब खाएँ क्या? और पिएँ क्या?दिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-44674278968739935202010-08-12T19:25:55.695+05:302010-08-12T19:25:55.695+05:30आपने विषय तो बहुत अच्छा उठाया है, लेकिन एक बार फिर...आपने विषय तो बहुत अच्छा उठाया है, लेकिन एक बार फिर से, उन समस्याओं का कोई इलाज़ नहीं है| मुझे लगता है कि बीटी तकनीक इन मामलों में मर्ज़ की दावा है|Sachihttps://www.blogger.com/profile/04099227991727297022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-47163848845831167602010-08-11T20:11:21.132+05:302010-08-11T20:11:21.132+05:30आपकी पोस्ट मे बहुत ही विकट और दुर्दांत समस्या को उ...आपकी पोस्ट मे बहुत ही विकट और दुर्दांत समस्या को उठाया गया है. दुर्दांत इसलिये कह रहा हूं कि दुर्दांत डाकू तो एक गोली मारकर काम तमाम कर देते हैं और यह समस्या तिल तिल कर पूरे भारत की मनुष्यता को खत्म कर रही है. <br /><br />आज लोग इतने धनलोलुप और स्वार्थी हो गये हैं कि नैतिकता कहीं बची नही है. मिलावट करने वाले बिना किसी सहारे के यह धंधा नही चला सकते. जिम्मेदार जांच एजेंसियां है और उनके कर्ता धर्ता सिर्फ़ मासिक बंदी में रूचि रखते हैं. यह समस्या किसी भी हालत मे रूकेगी नही.<br /><br />नहंगाई की वजह से सामाजिक संतुलन गडबडा रहा है और मरता क्या ना करता की तर्ज पर समाज चलने लगा है. एक जोरदार क्रांति की जरुरत है. अगर समय रहते कुछ नही किया गया तो हमारा गर्त मे जाना तय है.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-57212153012170743572010-08-11T13:10:48.737+05:302010-08-11T13:10:48.737+05:30बहुत गम्भीर और चिन्ताजनक बात है। मगर इसका हल कहीं ...बहुत गम्भीर और चिन्ताजनक बात है। मगर इसका हल कहीं दूर दूर तक नही है। आभार।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-84172420383704391862010-08-11T13:04:46.877+05:302010-08-11T13:04:46.877+05:30गम्भीर विषय और गम्भीर आलेखगम्भीर विषय और गम्भीर आलेखप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-49618026679098140652010-08-11T11:39:44.210+05:302010-08-11T11:39:44.210+05:30केला मैं बहुत खाता हूं...हालांकि कभी-कभी उसे फेंकन...केला मैं बहुत खाता हूं...हालांकि कभी-कभी उसे फेंकना पड़ता है बहुत अजीब-सा स्वाद होने पर...लगता है उसे खाना छोड़ना पड़ेगा.<br />पर समस्या का कोई हल भी तो नजर नहीं आता...bhuvnesh sharmahttps://www.blogger.com/profile/01870958874140680020noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-53493886509262218572010-08-11T11:12:53.765+05:302010-08-11T11:12:53.765+05:30वर्तमान माहौल को देख कर आपकी चिंता जायज है |आजकल क...वर्तमान माहौल को देख कर आपकी चिंता जायज है |आजकल कैर, सांगरी, काचरे ,खींपोली आदि को छोड़ कर सभी सब्जीया घातक हो गयी है | यंहा तक की गाय भैंस को सीधे हे वैजिटेबल घी खिलाने से भी परहेज नहीं किया जाता है |naresh singhhttps://www.blogger.com/profile/16460492291809743569noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-38168289844134701212010-08-11T08:19:15.365+05:302010-08-11T08:19:15.365+05:30खाद्य पदार्थों में अब वह स्वाद नहीं रहा जो पहले रह...खाद्य पदार्थों में अब वह स्वाद नहीं रहा जो पहले रहा करता था। पैसा सारा स्वाद निगल गया है। चिन्तन को प्रेरित करती पोस्ट। यदि स्वाद ही नहीं रहा तो विकास कैसा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-3171550446900082272010-08-11T07:30:43.702+05:302010-08-11T07:30:43.702+05:30यह सचमुच एक विकट समस्या है ,यहाँ बनारस में भी रोज ...यह सचमुच एक विकट समस्या है ,यहाँ बनारस में भी रोज छपे मारे जा रहे हैं -मगर फिर भी यह गोरखधंधा बंद होने का नाम नहीं ले रहा -मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है यह !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-49755892903404840362010-08-11T06:16:07.291+05:302010-08-11T06:16:07.291+05:30सरकार ने तो सब कुछ मुनाफे की अर्थ व्यवस्था पर छोड़...<b>सरकार ने तो सब कुछ मुनाफे की अर्थ व्यवस्था पर छोड़ दिया है। आखिर उस मुनाफे का एक अंश राजनैतिक दलों को भी तो मिलता है जिस से चुनाव लड़ा जाता है और जिस से सरकार बनती है।</b><br />सबसे मुख्य बात यही है .. जिसका फल आम जनता को स्वास्थ्य के नुकसान से चुकाना पड रहा है !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-43947909177182245622010-08-11T06:00:30.832+05:302010-08-11T06:00:30.832+05:30चलिए अल्पना जी नें प्राईवेटाइजेशन का सुझाव दे डाला...चलिए अल्पना जी नें प्राईवेटाइजेशन का सुझाव दे डाला क्या मामला सुलझेगा ?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-40001139341804980552010-08-11T04:08:07.905+05:302010-08-11T04:08:07.905+05:30यह एक गंभीर विषय है.समय रहते सरकारी तंत्र न चेता...यह एक गंभीर विषय है.समय रहते सरकारी तंत्र न चेता तो भविष्य में परिणाम भयंकर हो सकते हैं.<br />इसका एक ही हल समझ आता है कि हर विभाग का privatization कर दिया जाये.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.com