tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post3863252664992075664..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: लगी लगाई नौकरी के छूट जाने से किस्मत के दरवाजे भी खुल सकते हैंदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-36773513528011009772011-05-17T14:19:49.344+05:302011-05-17T14:19:49.344+05:30..बोदूराम ने खुद को अलग रखे जाने का मौका दिया, और .....<i>बोदूराम ने खुद को अलग रखे जाने का मौका दिया, और उन्होंने उसे भुगत लिया । स्वयँ का रोजगार शुऋ करने में यह सँदेह है कि, वह अपने कर्मचारियों को खुश रख पायेंगे !</i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-20181989295480107292011-05-17T13:43:14.155+05:302011-05-17T13:43:14.155+05:30अपनी मर्ज़ी का रोज़गार चुनने का अधिकार है...
बेरोज...अपनी मर्ज़ी का रोज़गार चुनने का अधिकार है...<br />बेरोजगारों और मजबूर-रोजगारों के लिए...<br />बेहूदा मज़ाक, अत्याचार है...<br /><br />जिनकी बल्ले-बल्ले है...<br />उनका ये व्यभिचार है...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-66553750348218566972011-05-17T12:29:08.367+05:302011-05-17T12:29:08.367+05:30hum jaise sevakon ko.......atma-chintan karne ke l...hum jaise sevakon ko.......atma-chintan karne ke liye prerit karti <br />post........<br /><br />pranam.सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-20970558209671294232011-05-17T09:14:54.952+05:302011-05-17T09:14:54.952+05:30सबसे कटने पर उखड़ जाने... उखड़ जाने पर फिर से जमने...सबसे कटने पर उखड़ जाने... उखड़ जाने पर फिर से जमने या फेका जाने, दोनो की संभावना रहती है। कुछ किस्मत, कुछ अपने श्रम,साहस पर निर्भर करता है। जो व्यक्ति इस कंपनी में चल रहे षड़यंत्र को नहीं समझ सका वह अपनी कंपनी क्या चलायेगा ऐसा सोचा जा सकता है लेकिन यह भी हो सकता है कि इस घटना ने उसकी इस कमी को दूर कर दिया हो।<br />..संभावना तलाशती, खुद से बतियाने को विवश करती कहानी।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-53373591527750516972011-05-17T08:57:44.126+05:302011-05-17T08:57:44.126+05:30single man kitni hihight par chala jaye vo safal n...single man kitni hihight par chala jaye vo safal nahi hai saflta tab hi hoti hai jab vo maximum worker ko apne kam main sath le or sfal hi . budh ram ne bi self company banai or anya logo ko sath liya or safal huaa.anilrayhttps://www.blogger.com/profile/07963541454083615955noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-90364841741003160472011-05-17T08:39:33.471+05:302011-05-17T08:39:33.471+05:30आभारी हूँ आप की इस टिप्पणी का कि ...
'जो व्यक्...आभारी हूँ आप की इस टिप्पणी का कि ...<br />'जो व्यक्ति अपने परिवेश से पूर्णतया कटकर अपने ही आभामंडल में विचरेगा उसकी नौकरी तो छ्टनी ही थी'<br />मेरा उद्देश्य सफल हो गया।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-84286335697179381432011-05-17T08:21:24.361+05:302011-05-17T08:21:24.361+05:30रोचक कहानी है। ऐक्सटैम्पोर लगती है।
@आखिर उस की श...रोचक कहानी है। ऐक्सटैम्पोर लगती है।<br /><br />@आखिर उस की शिकायतें इतनी हो गई कि पूरी कंपनी में खबर फैल गई कि इस बोर्ड मीटिंग के बाद उस का पत्ता साफ हो जाएगा। वह फिर भी कहता रहा कि उस का कुछ न बिगड़ेगा। <br /><br />जो व्यक्ति अपने परिवेश से पूर्णतया कटकर अपने ही आभामंडल में विचरेगा उसकी नौकरी तो छ्टनी ही थी, अपने को अपने परिवेश से विशेष समझना बन्द करेगा, तो किस्मत की चाभी उसके हाथ है। लेकिन क्या उसे किस्मत में विश्वास है? <br /><br />@तुम चाहो तो अपना काम खुद का काम कर सकते हो। अपनी खुद की कंपनी खड़ी कर सकते हो।<br /><br />भाग्यशाली है बोदूराम जो भारत जैसे स्वतंत्र लोकतंत्र में रहता है और उसे अपनी मर्ज़ी का रोज़गार चुनने का अधिकार है। कितने सारे बदनसीब बोदूलाल भी हैं जिनता मुस्तकबिल "ईमानदार" सरकारें/पार्टियाँ/पंचायतें आदि तय करती हैं।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-73389178415864029632011-05-17T00:26:44.507+05:302011-05-17T00:26:44.507+05:30बोदूराम कर लो अपना काम शुरु... अरे मै भी सोच रहा ह...बोदूराम कर लो अपना काम शुरु... अरे मै भी सोच रहा हुं अपना काम शुरु करने के लिये, मेरी कम्पनी भी घाटे मे चल रही हे, बस हिम्मत मत हराता, तुम कामयाब जरुर होंगे,लेकिन एक बात अपने चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी की बात पर भी ध्यान देना...लेकिन घबराना नही..राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-47288049824560824192011-05-16T23:05:11.969+05:302011-05-16T23:05:11.969+05:30यूनानी मेडिसिन की लाइन में रैक्स कंपनी का नाम हमदर...यूनानी मेडिसिन की लाइन में रैक्स कंपनी का नाम हमदर्द के बाद ही लिया जाता है। जब शमा कंपनी बंद हुई तो उसके मुलाज़िम बेरोज़गार हो गए। ऐसे ही 5 बेरोज़गारों ने मिलकर रैक्स बनाई, काम जमाया और इस समय करोड़ों रूपये सालाना का टर्न ओवर है सिर्फ़ 15 साल में ही।<br />आपकी कहानी और नसीहत सही है।<br /><br />http://ahsaskiparten.blogspot.com/2011/05/andha-qanoon.htmlDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-63722566793016329432011-05-16T22:47:52.858+05:302011-05-16T22:47:52.858+05:30सोच लो बोदूराम... किसी की नौकरी यानि ८ घंटे की गुल...सोच लो बोदूराम... किसी की नौकरी यानि ८ घंटे की गुलामी, खुद का धंधा यानि २४ घंटे की गुलामी :)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-44166694171711669362011-05-16T22:14:09.472+05:302011-05-16T22:14:09.472+05:30एक प्रयास तो बनता है।एक प्रयास तो बनता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-90485979096961518292011-05-16T20:13:45.101+05:302011-05-16T20:13:45.101+05:30बोदूराम को डेनियल गोलमैन की इमोशनल इण्टेलिजेंस पर ...बोदूराम को डेनियल गोलमैन की इमोशनल इण्टेलिजेंस पर पुस्तकें पढ़नी चाहियें।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-67796649515653490202011-05-16T19:30:32.416+05:302011-05-16T19:30:32.416+05:30मौका मिला है और काबिलियत भी है ही, तो एक कोशिश तो ...मौका मिला है और काबिलियत भी है ही, तो एक कोशिश तो करना ही चाहिये खुद का जमाने की मगर बोदूराम को काम के साथ साथ दुनियादारी की समझ भी बढ़ानी होगी.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-26686727643422723922011-05-16T19:12:29.570+05:302011-05-16T19:12:29.570+05:30गुरुवर जी, उपरोक्त कहानी में बोदूराम के हुनर को दे...गुरुवर जी, उपरोक्त कहानी में बोदूराम के हुनर को देखते हुए.अब बोदूराम को खुद का काम आरंभ करना चाहिए.शुरू में थोड़ी-सी परेशानियों का सामना करना होगा.लेकिन सफलता उससे बहुत दूर ज्यादा दिन नहीं रह सकती है. वैसे जहाँ कुछ लोग कम्पनी में सिर्फ काम (दिखावा करने को) करते हैं या कम्पनी का अहित करके सिर्फ अपना स्वार्थ सिध्द करते हैं. वहां पर मेहनती व्यक्तियों के साथ बोदूराम जैसा होता है.ऐसे मेरे अनेकों अनुभव है.रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीकhttps://www.blogger.com/profile/01260635185874875616noreply@blogger.com