tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post2822119746379877670..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: क्या होमियोपैथी अवैज्ञानिक है?दिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-4266380328695459292010-07-27T00:32:33.385+05:302010-07-27T00:32:33.385+05:30चलते-२ इस खबर पर को भी देखें :
U.K. Government de...चलते-२ इस खबर पर को भी देखें :<br /><b> U.K. Government defends right to homeopathy on the NHS</b><br /><a href="http://www.pulsetoday.co.uk/story.asp?sectioncode=35&storycode=4126664&c=2" rel="nofollow">The Government has strongly rejected demands by MPs for the funding of homeopathy on the NHS to be withdrawn, claiming it would fly in the face of patient choice and local decision-making</a><br /><br /><a href="http://tinyurl.com/2vmv6pt" rel="nofollow">साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी कमेटी की रिपोर्ट पर ब्रिटिश सरकार की सलाह</a>Dr Prabhat Tandonhttps://www.blogger.com/profile/14781869148419299813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-37532535796676163842010-07-21T09:04:50.165+05:302010-07-21T09:04:50.165+05:30क्या कहा जाये … होम्योपैथी के प्रति ऐसे विरोध आज स...क्या कहा जाये … होम्योपैथी के प्रति ऐसे विरोध आज से नही बल्कि <a href="http://drprabhattandon.wordpress.com/2009/04/10/a-tribute-to-dr-samuel-hahnemann/" rel="nofollow">हैनिमैन के समय</a> से ही रहा है लेकिन इसके वावजूद इस पद्दति मे लोगों का विशवास सिर्फ़ आशवसन और भ्रम से नही बल्कि समय –२ पर मिल रहे अनगिनत परिणामों से है । तथ्यों की बात करें तो नैदानिक परीक्षणॊं ( clinical trials ) मे होम्योपैथी की विशव्सीयनता को सिद्ध करना बहुत मुशकिल है क्योंकि यह एक व्यक्तिपरक चिकित्सा पद्दति है ( individualized therapy ) , एक ही समय मे एक ही रोग मे दस विबिन्न रोगियों मे दवायें अलग-२ निकलती हैं , सिर्फ़ एक ही दवा एक रोग मे कारगर नही हो सकतॊ , रोग की उत्पति, उसके कारण , रोगी की मन: स्थिति , रोग किन कारणॊ से बढ रहा है या घट रहा है , दवा के सेलेक्शन मे इन कई बातों का ध्यान रखना बहुत आवशयक है जो नैदानिक परीक्षणॊ मे एक ही दवा को लेकर नही की जा सकती लेकिन इसके बावजूद ऐसे कई परीक्षणॊं मे होम्योपैथी कारगर भी सिद्ध होती रही है देखें अवशय : <br /><br /><a href="http://hpathy.com/homeopathy-scientific-research/" rel="nofollow">http://hpathy.com/homeopathy-scientific-research/</a><br /><br /><a href="http://homeopathyresearches.blogspot.com" rel="nofollow">http://homeopathyresearches.blogspot.com</a><br /><br /><a href="http://drprabhattandon.wordpress.com/2008/08/11/is-homeopathy-trusted-science-or-a-placebo/" rel="nofollow">होम्योपैथी -तथ्य एवं भ्रान्तियाँ " प्रमाणित विज्ञान या केवल मीठी गोलियाँ "( Is Homeopathy a trusted science or a placebo )</a>Dr Prabhat Tandonhttps://www.blogger.com/profile/14781869148419299813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-51057526218830991732010-04-13T23:14:10.528+05:302010-04-13T23:14:10.528+05:30मैं तो नहीं मानता होम्योपैथी को अवैज्ञानिकमैं तो नहीं मानता होम्योपैथी को अवैज्ञानिकAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-53241006133892647962010-04-13T13:00:33.927+05:302010-04-13T13:00:33.927+05:30एलोपैथी , होम्योपैथी, आयुर्वेदिक --ये सभी चिकित्सा...एलोपैथी , होम्योपैथी, आयुर्वेदिक --ये सभी चिकित्सा पद्धतियाँ भारत में मान्यता प्राप्त है सरकार द्वारा। <br /><br />बेशक एलोपैथी वैज्ञानिक प्रयोगों और अनुसंधान द्वारा अर्जित किये गए ज्ञान पर आधारित है। अक्युट इलनेस और सर्जिकल कंडीशंस में इसका कोई विकल्प नहीं । लाइफ सेविंग पद्धति सिर्फ यही है। <br /><br />लेकिन कुछ क्रोनिक यानि पुराने , लम्बी अवधि वाले रोगों में कभी कभी लाभदायक नहीं रहती। <br /><br />ऐसे में होम्योपैथी या आयुर्वेदिक दवाएं काम आ जाती हैं। कोर्न्स , वार्ट्स और कैलोसिटिज में थूजा २०० का प्रभाव ड्रामैटिक है । इसी तरह गले के क्रोनिक या बार बार होने वाले संक्रमण को आयुर्वेदिक दवा -सेपतिलिन द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है। ये मैं अपने अनुभव से बता रहा हूँ। मुहांसों का कोई खास इलाज़ एलोपैथी में नहीं है , लेकिन होम्योपैथी में बहुत बढ़िया इलाज़ है। <br /><br />इस तरह सबकी अपनी अपनी अहमियत है । देखा जाये तो ये एक दुसरे के पूरक ही हैं। <br /><br />लेकिन सावधान रहने की ज़रुरत भी है क्योंकि हमारे यहाँ और भी कई तरह के डॉक्टर्स इलाज़ करते हैं जैसे पहलवान , बाबा , झाड फूंस और अनेकों पीर सिद्ध भगवान कहलाने वाले पाखंडी ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-84668468744611232392010-04-13T03:06:45.230+05:302010-04-13T03:06:45.230+05:30बलजीत बासी यहां क्या कर रहे हैं? क्या शब्द व्युत्प...बलजीत बासी यहां क्या कर रहे हैं? क्या शब्द व्युत्पत्ति से उनका भरोसा उठ चुका है?अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-57443233337864557622010-04-13T03:05:31.288+05:302010-04-13T03:05:31.288+05:30सवाल आस्था का है। बाकी द्विवेदी जी के तर्क सटीक है...सवाल आस्था का है। बाकी द्विवेदी जी के तर्क सटीक हैं। साजिशन ऐसा हमेशा होता आया है। वैज्ञानिकता बहुत भ्रामक शब्द है। <br />श्रीगंगानगर में फार्मिंग करनेवाले और कोटा को कार्यक्षेत्र बनानेवाले मेरे एक मित्र ने मुझे बताया था कि वे अपने मवेशियों की चिकित्सा भी होम्योपैथी से ही करते हैं और नतीजे जबर्दस्त आते हैं। <br />होम्योपैथी जिंदाबाद। होम्योपैथी से कितने लोग आज तक मरे हैं और ऐलोपैथी से कितने इसका हिसाब लगाया जाए।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-45972983658474286612010-04-12T23:38:19.434+05:302010-04-12T23:38:19.434+05:30विज्ञान जहां तक पहुंचा है .. उससे ऊपर की बाते को म...विज्ञान जहां तक पहुंचा है .. उससे ऊपर की बाते को मानने को तैयार नहीं .. यह जितनी बडी बात नहीं .. उतनी बडी बात तो यह है कि वह सामनेवालों को झूठा मानने की धृष्टता भी करता है .. पंकज अवधिया जी की बात बिल्कुल सही है .. बंदर क्या जाने आदि का स्वाद !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-46276537286160029802010-04-12T18:36:43.003+05:302010-04-12T18:36:43.003+05:30bhai main to Sateesh ji aur Pankaj ji se poori tar...bhai main to Sateesh ji aur Pankaj ji se poori tarah sahmat hoon.. aur kahin jane ki jaroorat kya hai mujhe jab ki is dawa ne mere khud ke oopar kai baar kaam kiya hai to hath kangan ko aarsi ka.. aur ek sach ye bhi hai ki kaibaar to allopathic medicine ko effective hote nahin dekha. Science to main bhi kar raha hoon lekin yahan to log apni-apni haankte lag rahe hain.दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-54499397570334013832010-04-12T18:33:37.179+05:302010-04-12T18:33:37.179+05:30दावे पर दावा ठोका जा रहा है. मैं हैरान हूँ हमारे द...दावे पर दावा ठोका जा रहा है. मैं हैरान हूँ हमारे देश का पढ़ा लिखा तबका अंध-विश्वास में पूरी तरह घिर चूका है. यहाँ तो विज्ञानं पर से ही विश्वास उठ चूका है. मनुष्य के शरीर में बीमारी से लड़ने की ताकत होती है और ६०% प्लेसीबो प्रभाव भी होता है.<br />बिना टिप्पणी के यह खबर दे रहा हूँ, मिल्लियन जीतिए:<br />Homeopathy Qalifies for the million Dollar Challenge<br />Swift<br /><br />Written by James Randi <br />Tuesday, 02 June 2009 10:16 <br />We've always said that homeopathy is eligible for the million-dollar prize, but Julia Wilson, Development Officer for Sense About Science in London needs it here on the page – for some strange reason. We've offered it on BBC, in print, by lectures, all over the world, and it has always – 100% of the time – failed tests. It was reported as a failure in Nature Magazine...<br /><br />So, Julia, here it is, again, as if it had to be repeated once more: if anyone can show that homeopathy works, the James Randi Educational Foundation will pay them the million-dollar prize... <br /><br />Homeopathy DOES NOT WORK. It's quackery, pure and simple. It's a farce, a fake, and flummery. Prove it works, and win the million dollars.<br /><br />There! That's three times! Enough?Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-89712338941734074132010-04-12T15:43:03.427+05:302010-04-12T15:43:03.427+05:30अपनी जानकारी क्षेत्र से बाहर निकल गयी है ये चर्चा ...अपनी जानकारी क्षेत्र से बाहर निकल गयी है ये चर्चा !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-45497301181123136052010-04-12T13:29:29.829+05:302010-04-12T13:29:29.829+05:30अच्छा जरा इन्सोम्निया (नींद न आने) की दवा बतायें फ...अच्छा जरा इन्सोम्निया (नींद न आने) की दवा बतायें फटाफट! अपने को उससे ही काम है!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-78018282385564238882010-04-12T13:23:29.267+05:302010-04-12T13:23:29.267+05:30@ डॉ अमर कुमार,
गुरुदेव मैनें कहीं भी एलोपैथी के व...@ डॉ अमर कुमार,<br />गुरुदेव मैनें कहीं भी एलोपैथी के विद्वान् या उसे समझने का दावा नहीं किया और न मैं जानकार हूँ ! मैंने सिर्फ होमिओपैथी के अनजानों पर ऊँगली उठाई है ! कृपया एक बार मेरे कमेंट्स दुबारा पढने की कृपा करें !<br />सादरSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-82367483387783114852010-04-12T13:01:26.339+05:302010-04-12T13:01:26.339+05:30होमियोपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है ।होमियोपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है ।अर्कजेशhttps://www.blogger.com/profile/11173182509440667769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-22302422383443588372010-04-12T11:57:58.481+05:302010-04-12T11:57:58.481+05:30हो सकता है कि आने वाले युगों में धरती चपटी है, ऎसा...<i><br />हो सकता है कि आने वाले युगों में धरती चपटी है, ऎसा साबित हो जाये !<br />पर अपनी मौज़ूदा जानकारियों के आधार पर मैं तब तक इसे गोल तो मान ही सकता हूँ !<br />हे ईश्वर मुझ सहित सभी के निजी विश्वासों की रक्षा करना !<br />यहाँ दावों, चमत्कारों या निजी विश्वासों पर दृढ़ता को चुनौती नहीं दी जा रही है, <br />न ही किसी पद्यति का तिरस्कार किया जा रहा है, बात तो केवल तथ्यपरक प्रासँगिकता की है ।<br />हमारे विद्वान मित्र ने ज्ञानदत्त शैली में एक प्रश्न उठाया है कि " क्या होमियोपैथी अवैज्ञानिक है ? " जबकि वह स्वयँ ही होम्योपैथ के हामी हैं । किन्तु बहस का बिन्दु वैज्ञानिकता के स्तर से भटक कर दावों, चमत्कारों पर टिक गया है । अस्तु यह मान लेने में कोई बुराई नहीं हैं कि आदिशल्यक भगवान शिव ही थे, जो अँग प्रत्यारोपण जैसी शल्यक्रिया से गणेश को रच सके ।<br />अब यह बेमानी होगा कि Juxtraposition of Arteries and Nerves के टुच्ची अवधारणाओं पर यह प्रत्यारोपण असँभव दिखता है ।<br />अपने विद्वान मित्र सतीश जी के वाक्य को ही मैं थोड़ा बाज़ीगरी करने दोहराऊँगा..<br /><br />आप होम्योपैथिक आस्था के हैं और विवेचना कर रहे हैं एलोपैथी की जिसके बारे में आपकी जानकारी ही लगभग शून्य है !<br />यदि अपनी चिकित्सा पद्यति से इतर मुझे कुछ अपनाना ही पड़ा तो मैं दादी माँ के नुस्खों पर ज़्यादा यकीन करूँगा, क्योंकि वह अपनी परम्पराओं के चलते अब तक अपना स्थान बनाये है !<br /><br />मैं अपनी पिछली टिप्पणी की लाइन और लेंग्थ पर कायम हूँ,<br />मैं विरोधी तो नहीं, किन्तु इसे लेकर अनावश्यक आग्रहों से घिरा हुआ भी नहीं !<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-82961094995839857072010-04-12T11:51:32.048+05:302010-04-12T11:51:32.048+05:30@ प्रवीण जी एक बात तो रह ही गयी|
प्राचीन समय से य...@ प्रवीण जी एक बात तो रह ही गयी|<br /><br />प्राचीन समय से यह कहा जा रहा है कि सांप को मारने के बाद उसका साथी पीछा करता है| इसे अंध-विशवास बताया जाता रहा| इसे गलत साबित करने हजारों लेख लिखे गए और व्याख्यान दिए गए| विज्ञान के नजरिये से कोई इसे समझ नहीं पाया| कुछ समय पहले अरविन्द मिश्र की के ब्लॉग में मैंने पढ़ा कि यह अंध-विशवास नहीं बल्कि विज्ञान सम्मत है| बहुत से सांपो में विशेष ग्रंथियाँ होती हैं| जब आप उन्हें लाठी से मारते है तो गंध लाठी में लग जाती है और उसी के सहारे साथी लाठी तक पहुंच सकते हैं| इसलिए सांप मारने के बाद लाठी अच्छे से धो लेनी चाहिए| जिस सत्य को विज्ञान पहले समझ नहीं पाया और अंध-विश्वास ठहराता रहा वही विज्ञान अचानक ही उल्टी करवट बैठ गया| हो सकता है कि कल को उसे होम्योपैथी को समझने की भी समझ आ जाए|<br /><br />क्या आपको नहीं लगता कि सांप के विषय में एक प्राचीन सत्य को अंध-विश्वास ठहराने वाले छद्म विज्ञानियों को एक पूरी पीढी से क्षमा मांगनी चाहिए? दरअसल अंध-विश्वास तो उन्होंने फैलाया, विज्ञान के प्रति अंध-विश्वास|Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-15870445736223088802010-04-12T11:32:50.177+05:302010-04-12T11:32:50.177+05:30@ प्रवीण जी, आपकी प्रतिक्रया बड़ी रोचक है| मुझे बरब...@ प्रवीण जी, आपकी प्रतिक्रया बड़ी रोचक है| मुझे बरबस ही आपके मानसिक लक्षणों से एक होम्योपैथिक दवा याद आ रही है| जीवन के किसी भी मोड़ पर यदि आपको कोई तकलीफ हो और भगवान न करे उसका कोई इलाज न हो तो मुझे याद कर लीजिएगा| मै दवा का नाम बता दूंगा| आप किसी होम्योपैथिक चिकित्सक की सहायता से ले लीजिएगा|<br /><br />एग्रोहोम्योपैथी के बारे में आपसे तर्क करना बेकार है|<br />वो कहा गया है न कि बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद---<br /> इस पर शोध पत्र वैज्ञानिक पत्रिकाओं में छपे है| इसका मखौल उड़ाकर आप अपनी बातों को झूठा सिद्ध कर रहे हैं| खैर, जैसी आपकी मर्जी| <br /><br />धन्यवादPankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-34405488918369764842010-04-12T10:45:59.205+05:302010-04-12T10:45:59.205+05:30@ होमिओपैथी के आलोचक एलोपैथिक समर्थकों से !
विश्...@ होमिओपैथी के आलोचक एलोपैथिक समर्थकों से !<br />विश्व में विभिन्न चिकित्सा पद्धतिया प्रयोग में लाई जाती हैं क्या आप लोग, एलोपैथिक पद्धति की विकल्प में प्रयुक्त पद्धतियों के बारे में कुछ भी जानते हैं ! आप एलोपैथिक डॉ हैं और विवेचना कर रहे हैं होमिओपैथी की जिसके बारे में आपकी जानकारी ही लगभग शून्य है ! क्या आप आयुर्वेद , यूनानी और चायनीज पद्धतियों की जानकारी रखते हैं ? उनकी भी कमियां क्यों नहीं बताते ?<br /><br /> इन पद्धतियों की जानकारी न होने पर भी, अपने होमिओपैथ कुत्संग के कारण, ( कोई कम जानकार तथाकथित डॉ ) आप इनको निरर्थक साबित होने पर कायम हैं ! आपकी विद्वता को नमन !<br /> <br /> एलोपैथ होने के गर्व के कारण, विश्व में सारी बीमारियों को ठीक करने का ठेका सिर्फ आपने ले रखा है ! यह मत भूलियेगा कि विश्व में सैकड़ो एलोपैथ आज भी होमिओपैथ की प्रैक्टिस कर रहे हैं ! मेरे कम से कम तीन एलोपैथ डॉ मित्र अपने पूरे घर की दवा होमिओपैथ से लेते हैं ! जब सारे मोहल्ले में और स्कूल में वायरल बुखार फैल रहा था मेरे दोनों बच्चे २४ -३६ घंटे में बिना एंटीबायोटिक्स लिए ठीक होकर स्कूल जाते रहे ! <br /><br />कृपया उपरोक्त कमेन्ट को व्यक्तिगत न लें अगर फिर भी दिल किसी का न दुखे अतः क्षमा याचना सहित !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-62592593931777688452010-04-12T10:40:20.511+05:302010-04-12T10:40:20.511+05:30मैंने होम्योपेथी की कोई दवा अब तकग नहीं ली है। सद...मैंने होम्योपेथी की कोई दवा अब तकग नहीं ली है। सदैव एलोपेथी पर ही निर्भर रहा हूँ1 किन्तु मेरे कुछ मित्र होम्योपेथ हैं जिनके पास बैठने के मौके खूब आते हैं और बार-बार आते हैं। उस समय उनके पास आने वाले मरीजों के अनुभव सुनकर होम्योपेथी के प्रति बरबस ही आदरभाव बढ जाता है। मैं केवल श्रोता रहता हूँ ऐसे अवसरों पर। सबकी सुनने के बाद मेरा निष्कर्ष है - होम्योपेथी की वैज्ञानिकता पर प्रश्न खडे किए जा सकते हैं किन्तु यह असंदिग्ध है कि इससे अधिक मानवतावादी पेथी और कोई नहीं है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-9224821696397412742010-04-12T10:40:20.512+05:302010-04-12T10:40:20.512+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-85832283672664149842010-04-12T10:23:14.219+05:302010-04-12T10:23:14.219+05:30सिर्फ होमिओपैथी ही नहीं एलॉपथी से इतर सभी चिकित्...सिर्फ होमिओपैथी ही नहीं एलॉपथी से इतर सभी चिकित्सा विधियों को संदेहास्पद दृष्टि से देखा जाता है मध्य प्रदेश में कुछ समय पूर्व झोला छाप में प्राकृतिक चिकित्सा को भी ले लिया था और प्रतिबन्ध ला दिया था जब कि ये विधि सबसे निरापद विधि है क्योंकि इसमे किसी प्रकार की दवाइयों का प्रयोग ही नहीं होता है. सच तो ये है कि सभी विधियों में कुछ न कुछ खासियत है हमें जो जमे उसको अपना लेना चाहिए. क्योंकि किसी भी पद्धति का असर शरीर से ज्यादा मन पर निर्भर होता है.शोभाhttps://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-77436978116474964672010-04-12T09:55:32.352+05:302010-04-12T09:55:32.352+05:30आदरणीय डॉ द्विवेदी !
कुछ जगह पर वैज्ञानिक अपना मत ...आदरणीय डॉ द्विवेदी !<br />कुछ जगह पर वैज्ञानिक अपना मत कुछ वर्षों में बदलते रहे हैं, साइंटिफिक चेक उसी को करना चाहिए जिसपर आपको कुछ पता हो ! होमिओपैथी के मूलभूत सिद्धांत को ही साइंस स्वीकार नहीं कर सकता तो आगे चर्चा साइंस से क्यों की जाए ?<br /> <br />डॉ अमर कुमार को मैं जरूर बताना चाहता हूँ सैकड़ों गरीबों और जरूरत मंदों की अनगिनत भयानक बीमारियाँ मैंने खुद ठीक की हैं उनमें गैंग्रीन जिसमें पैर कटाने की तारीख मिल चुकी थी, स्पाइनल स्लिपडिस्क जिसमें ३ ओपरेशन बताए गए थे, आदि बहुत उदाहरण हैं ! इस वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के के कारण मैंने पिछले २५ वर्षों में मैंने अपने परिवार पर एलोपैथिक डॉ को कोई पैसा नहीं दिया ( डॉ अमर कुमार से क्षमा याचना सहित ) :-) <br /> <br />मैं आपको शुभकामनायें देता हूँ कि आपने होमिओपैथी की चर्चा की, होमिओपैथी को जानने वाले सैकड़ों जगह जगह मिल जायेंगे और बीमारी का नाम सुनकर ही दवाएं देने वाले भी हर जगह मौजूद हैं (जिनके कारण होमिओपैथी बदनाम है ) ! <br /><br />मगर इस विषद विषय पर चर्चा करना और उससे भी मुश्किल उसे कम समय में समझा पाना असंभव सा है ! आपके लेख पर डॉ अमर कुमार की प्रतिक्रिया के कारण लिखने का मन है , और एक लेख शीघ्र लिखने का प्रयत्न करूंगा !<br /><br />इस विषय पर श्री प्रवीण शाह और डॉ अमर कुमार से स्पष्ट मतभेद दर्ज करें ! <br /><br />सादरSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-72628781626326725562010-04-12T09:46:26.856+05:302010-04-12T09:46:26.856+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-46428152757594705962010-04-12T09:00:18.562+05:302010-04-12T09:00:18.562+05:30इस बात में कोई दो राय नहीं कि होमियोपैथ में सही दव...इस बात में कोई दो राय नहीं कि होमियोपैथ में सही दवा का चुनाव हो जाने पर यह अच्छा कार्य करती है. कई बिमारी जिसे एलोपैथ ठीक नहीं कर सकता है उसे होमियोपैथ ठीक करता है. फिर भी न जाने क्यों होमियोपैथ की इतनी उपेक्षा की जाती है? यहाँ मैं एक घटना दे रहा हूँ:<br /><br />मैं DTDC Courier Office में में काम करता हूँ. कुछ माह पहले की बात है कि कोई व्यक्ति विदेश में रह रहे अपने एक व्यक्ति (मरीज) के लिए होमियोपैथ के कुछ दवा भेजने के लिए मेरे ऑफिस में बुक कराया. दवा tablet के रूप में था जो होमियोपैथ के नामी कंपनी स्वाबे कंपनी का था. हमारे ऑफिस में तो दवा बुक कर लिया गया. पर जब इसे आगे भेजा गया तो DTDC Patna के head office में नहीं लिया गया. कहा गया कि होमियोपैथ दवा नहीं जाएगा. और वहाँ दवा नहीं लिया जबकि डॉक्टर का पुर्जा व दवा खरीदने का invoice भी दिया जा रहा था. इस प्रकार हेड ऑफिस में दवा नहीं लेने के कारण वह वापस मेरे ऑफिस में आ गया. मेरे ऑफिस के manager इस संबंध में Kolkata Regional Office में बात किये. पर वह भी होमियोपैथ दवा भेजने को तैयार नहीं हुआ. पर वह एक रास्ता बताया कि भेजने वाला यदि यह लिखकर दे देगा कि यह दवा होमियोपैथ नहीं एलोपैथ है तब जा सकता है. अब आप सोचिये जो दवा होमियोपैथ के नामी कंपनी स्वाबे का है और वह tablet के रूप में seal है और उसपर homeopath medicine लिखा हुआ है. उसपर भेजने वाला यह कैसे लिखता कि यह होमियोपैथ नहीं एलोपैथ दवा है? कुछ दिनों तक वह packet मेरे ऑफिस में पड़ा रहा फिर भेजने वाला ग्राहक उसे वापस ले गया. <br /><br />इस घटना से यह प्रतीत होता है कि होमियोपैथ के नामी कंपनी स्वाबे का दवाई को भारत के नामी कंपनी के courier DTDC में भी स्थान नहीं है. <br /><br />आखिर हमारे देश में होमियोपैथ की यह दशा क्यों है? <br /><br /><br />आपका <br />महेशमहेश कुमार वर्मा : Mahesh Kumar Vermahttps://www.blogger.com/profile/07187456741818075757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-46836725314131187822010-04-12T08:36:19.661+05:302010-04-12T08:36:19.661+05:30.
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@ पंकज अवधिया Pankaj Oudhia,
एग्रोहोम्योपैथ....<br />.<br />.<br />@ पंकज अवधिया Pankaj Oudhia,<br /><br /><b>एग्रोहोम्योपैथी अर्थात कृषि में होम्योपैथी का प्रयोग|</b><br /><br />रहम करिये हुजूर, पादपों में भी प्रूविंग्स हो सकती हैं क्या ?<br /><br /><b>हमारे देश में ऐसे छद्म विज्ञानियों का एक बड़ा तबका है जो पश्चिम की बातों पर हां में हां मिलाता है बिना विश्लेषण किये| यह तबका स्वयम दिमाग नहीं चलाता बल्कि पश्चिम से भेजी गयी ऐसी ही रपटों को आगे कर देता है| इस तबके को भारतीय संस्कृति अच्छी नहीं लगती क्योंकि पश्चिम को अच्छे नहीं लगती| वे भारतीय आस्थाओं को अंध-विश्वास ठहराने लगते हैं और पश्चिम का हवाला देते रहते है|</b><br /><br />कुछ भी नया नहीं कह रहे आप यहाँ पर, झाड़फूंक, मंत्र, एक नाक बंद कर सांस-चालन, गंडा-ताबीज, भभूत आदि आदि से इलाज करने वाले भी यही सब कहते हैं, दरअसल यह सब इस वजह से होता है कि 'बीमारी' अच्छी तरह से परिभाषित शब्द नहीं है... मिसाल के तौर पर सब कुछ सही होते हुऐ भी कोई कह सकता हूँ कि मुझ में 'ताकत' नहीं रही... अब निश्चित तौर पर आधुनिक evidence based medicine उसे यहाँ पर कुछ दे नहीं सकती... तब रोल आता है अजीबोगरीब वैकल्पिक उपायों या पद्धतियों का... पर हकीकत में Placebo से ज्यादा नहीं हैं ये सब...<br />एक और चीज जो इन Placebo Like उपायों को मान्यता प्रदान करती है वह है "चमत्कार" का आदिम इंतजार... और सामान्य से हट कर किसी 'विशेष चीज' पर श्रद्धा, आस्था और विश्वास रखने की प्रवृत्ति!<br /><br /><b>"यदि होम्योपैथी के असर को विज्ञान वर्तमान तर्कों से समझा नहीं पा रहा है तो ये विज्ञान की गलती है न कि होम्योपैथी की| असर तो इसका होता है, हम सभी जानते हैं|"</b><br /><br />मैं इसे इस तरह कहना चाहूँगा:-<br /><br />" यदि होम्योपैथी की बेअसरी को आप वर्तमान में उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर भी समझ नहीं पा रहे हैं तो ये आपकी गलती है विज्ञान की नहीं। यह बेअसर है , विज्ञान इसे साबित कर चुका है।"<br /><br />आभार!प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-57847793816668516542010-04-12T08:35:52.432+05:302010-04-12T08:35:52.432+05:30प्रत्यक्ष से बड़ा कोई प्रमाण नहीं । जो असर करे, वह...प्रत्यक्ष से बड़ा कोई प्रमाण नहीं । जो असर करे, वह वैज्ञानिक ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com