tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post2628661189461645251..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: जनतन्तर-कथा (8) : देश ने जवानी पर भरोसा कियादिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-23582687134983343062009-04-11T07:56:00.000+05:302009-04-11T07:56:00.000+05:30जिन कथाओं की घटनाएं, पात्र, पात्रों का व्यवहार, प...जिन कथाओं की घटनाएं, पात्र, पात्रों का व्यवहार, परिणती सब कुछ भली प्रकार पहले से ही मालूम हो उनमें रोचकता (या कि 'कहन') ही वह एकमात्र तत्व होता है जो पाठक काे बांधे रख सकता है।<BR/>कहना न होगा कि यह तत्व आपकी कथा में नायक बन कर उपस्थित है और हर कोई उन सब बातों को पढ रहा है जो नई बिलकुल ही नहीं है।<BR/>आपकी लेखकीय क्षमता, दक्षता का इससे अधिक प्रभावी परिचय और क्या हो सकता है।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-67337019613322465772009-04-10T22:29:00.000+05:302009-04-10T22:29:00.000+05:30कथा अपने विशिष्ट शैली में आगे बढ़ रही है -आगे की उ...कथा अपने विशिष्ट शैली में आगे बढ़ रही है -आगे की उत्सुकता है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-45398158375463994392009-04-10T13:15:00.000+05:302009-04-10T13:15:00.000+05:30बहुत बढिया जी, यह तो डिसकवरी आफ़ ईन्डिया की तरह कथ...बहुत बढिया जी, यह तो डिसकवरी आफ़ ईन्डिया की तरह कथा आगे बढ रही है. आगे का इन्तजार करते हैं...<BR/><BR/>बोलो! हरे नमः, गोविन्द, माधव, हरे मुरारी .....<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-48855762001283946552009-04-10T12:21:00.000+05:302009-04-10T12:21:00.000+05:30अच्छी कथा अब आगे की कथा का इंतजार रहेगा . हरे नमः...अच्छी कथा अब आगे की कथा का इंतजार रहेगा . हरे नमः, गोविन्द, माधव, हरे मुरारी ....महेन्द्र मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/00466530125214639404noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-63384770148342606382009-04-10T11:50:00.000+05:302009-04-10T11:50:00.000+05:30"आम औरत होती तो इस सदमे से उबरने में बरस लग जाते। ..."आम औरत होती तो इस सदमे से उबरने में बरस लग जाते। पर वह तुरंत देश संभालने लग गई, जैसे बेटे की मौत का सदमा उस सदमे के कहीं नहीं लगता था जो कुरसी जाने पर लगा था।"<BR/><BR/>सही कहा है ।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-80025311193438618002009-04-10T11:02:00.000+05:302009-04-10T11:02:00.000+05:30देश ने जवानी पर भरोसा किया। अब भी जवानों के बल पर ...देश ने जवानी पर भरोसा किया। अब भी जवानों के बल पर ही है देश। जवानों को अपने बल का अहसास होना चाहिये - बस।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com