tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post1825872636432493542..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: मीडिया उत्तेजना फैलाने में न्यायालय की अवमानना की भी परवाह नहीं करतादिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-4465544393132035892010-02-08T07:48:51.473+05:302010-02-08T07:48:51.473+05:30मीडिया में नए पत्रकारों की जो फौज आई है, उसके अधकच...मीडिया में नए पत्रकारों की जो फौज आई है, उसके अधकचरे ज्ञान के कारण बहुत सी बाते हो रही है। बहुत सी ऐसी बातें है जो नहीं लिखनी चाहिए, लिखी दी जाती है। यहां तो बड़े-बड़े अखबार वाले बलात्कार के मामले में पीडि़त युवती का नाम तक प्रकाशित कर देते हैं। मीडिया को इस बात से आज मतलब ही नहीं रह गया है कि उसकी खबर से क्या हो सकता है।राजकुमार ग्वालानीhttps://www.blogger.com/profile/08102718491295871717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-85595457552860315652010-02-07T23:40:23.650+05:302010-02-07T23:40:23.650+05:30@ मसिजीवी
न तो न्यायपालिका अब पवित्र गाय रह गई है ...@ मसिजीवी<br />न तो न्यायपालिका अब पवित्र गाय रह गई है न समझी जा रही है। धर्म के आधार पर गैर बराबरी की बहस भी चलनी चाहिए। मुद्दा यह नहीं है। मुद्दा है मिसरिपोर्टिंग का। जब अखबार यह कहता है कि अदालत ने माना है कि मुस्लिम सरकारी कर्मचारी द्वारा दूसरी शादी करना गैर कानूनी है। क्या एक तथ्य को गलत रूप से रिपोर्ट करना उचित है केवल इस लिए कि सनसनी फैलाई जाए? क्या अदालत के मुहँ में अपने शब्द ठूंस दिए जाएँ तो वह अवमानना के लिए नोटिस भी नहीं दे? और क्या मिसरपोर्टिंग की छूट होनी चाहिए?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-40134939332952887292010-02-07T23:07:21.979+05:302010-02-07T23:07:21.979+05:30मीडिया का मनमानापन समाज के लिए घातक है ...
हमे आँख...मीडिया का मनमानापन समाज के लिए घातक है ...<br />हमे आँख खोलकर रहने की जरुरत है .सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-90342863358906146882010-02-07T22:43:43.805+05:302010-02-07T22:43:43.805+05:30काजलकुमार जी सही कह रहे हैं.
रामराम.काजलकुमार जी सही कह रहे हैं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-84150759827093888742010-02-07T22:24:30.357+05:302010-02-07T22:24:30.357+05:30यह सही है कि मीडिया के बेलगाम होने पर लोकतांत्रिक ...यह सही है कि मीडिया के बेलगाम होने पर लोकतांत्रिक समाज को चिंतित होना चाहिए पर अब समय आ गया है कि न्यायपालिका को होली काउ समझना बंद किया जाए खासतौर पर इस अवमानना के डंडे को फटकारना बंद होना जरूरी है...कौन सा अखबार की मान्यता कानूनी तौर पर बाध्यकारी है... कहने दीजिए...अगले किसी मुकदमे में कोर्ट अपने फैसले में कानूनी स्थिति को साफ कर देगा। मीडिया और समाज यदि इस मामले का उपयोग कानून में धर्म के आधार पर गैरबराबरी पर बहस के लिए करना चाहता है तो इसका स्वागत भी होना चाहिए। <br /><br />अमरीकी अदालतें क्या वाकई ऐसे रूटीनली मीडिया को अवमानना की सजाएं देती रही है ? अमरीकी समाज लोकतांत्रिक अधिकारों को लेकर इतना सचेत है कि मुझे शक है कि वो दिनाकरनों चिहुँकनें को इतना भाव देती होगा।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-29015059456855534432010-02-07T21:07:21.004+05:302010-02-07T21:07:21.004+05:30आप सही कह रहे हैं,सहमत.आप सही कह रहे हैं,सहमत.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-85059620978859755932010-02-07T19:06:08.599+05:302010-02-07T19:06:08.599+05:30जहां वर्षों तक केस चलना हो,मनचाही तिथियां बढ़वाई ज...जहां वर्षों तक केस चलना हो,मनचाही तिथियां बढ़वाई जा सकें,फिर ऊंची अदालतों में अपील दर अपील की गुंजायश भी हो तो कौन डरेगा अदालतों से ! रही बात मीडिया की तो उसे तात्कालिक व्यावसायिक हित ही तो देखना हैं ! व्यवसाय के लिए नैतिकता / अदालतों का सम्मान / स्वच्छ पत्रकारिता किस चिड़िया का नाम हुए ?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-7821397436436174712010-02-07T18:13:20.871+05:302010-02-07T18:13:20.871+05:30जब हाथी ही निरंकुश हो जाए और महावत भाग जाए तो कोई ...जब हाथी ही निरंकुश हो जाए और महावत भाग जाए तो कोई क्या करे..Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-72845602950062762862010-02-07T18:07:10.545+05:302010-02-07T18:07:10.545+05:30मुद्दा यह है कि सेकुलर (?) देश में मुस्लिम को एकाध...मुद्दा यह है कि सेकुलर (?) देश में मुस्लिम को एकाधिक बीवी पर सरकारी नौकरी की शर्त क्यों लादी जाये। <br /><br />जैसे मुस्लिम को दाढ़ी रखने पर सेना से निकाले जाने का बवाल मचता है, वैसी बात।<br /><br />मीडिया सही कैश कर रहा है! :-)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-11708609779507273392010-02-07T17:14:50.891+05:302010-02-07T17:14:50.891+05:30क्या इन चैनल वालों के खिलाफ सरकार भी कुछ नही कर स...क्या इन चैनल वालों के खिलाफ सरकार भी कुछ नही कर सकती? जब तक इन पर कहीं से भी कोई कडी कार्यवाई नही होगी इनका ये धन्धा ऐसे ही चलता रहेगा। इस समाचार के साथ साथ बहुत अच्छी जानकारी भी मिल गयी। अगली कडी का इन्तज़ार रहेगा धन्यवाद्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com