tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post1528357477892597980..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: सौंदर्य और सार -शिवराम के कुछ दोहेदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-58037489880410576152011-08-13T00:54:49.060+05:302011-08-13T00:54:49.060+05:30'सुंदरता के मर्म की, क्या बतलाएँ बात।
किसी को ...'सुंदरता के मर्म की, क्या बतलाएँ बात।<br />किसी को दिन सुंदर लगे, किसी को लगती रात।।'<br /><br />यह सामान्य होते भी अच्छा लगा।चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-61442254722387017332009-12-07T13:33:44.743+05:302009-12-07T13:33:44.743+05:30जीवन को जीती कवितायेँ......बहुत सुन्दर
बहुत बहुत ...जीवन को जीती कवितायेँ......बहुत सुन्दर <br />बहुत बहुत बधाई शिवराम जी को.Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-70914263738591077612009-12-06T19:48:38.142+05:302009-12-06T19:48:38.142+05:30भाव-सम्पदा की तारीफ तो मैं कर ही चूका हूँ ..
प्रया...भाव-सम्पदा की तारीफ तो मैं कर ही चूका हूँ ..<br />प्रयास के उपरांत शिल्पगत गढ़ाव भी आ गया है ..<br />.............. कविवर को आभार ....................Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-70560594702998890552009-12-06T19:36:40.743+05:302009-12-06T19:36:40.743+05:30एक महीने में तीन पुस्तकें! शिवराम जी पुस्तकें यूं ...एक महीने में तीन पुस्तकें! शिवराम जी पुस्तकें यूं लिखते हैं जैसे हम ठेलते हैं पोस्टें?!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-55812780113996070362009-12-06T16:19:54.467+05:302009-12-06T16:19:54.467+05:30बहुत सुन्दर दोहे, मन हर्षित हो गया पढ़कर ।बहुत सुन्दर दोहे, मन हर्षित हो गया पढ़कर ।Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-80259582824552731782009-12-06T08:34:01.453+05:302009-12-06T08:34:01.453+05:30@ अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी,अजित वडनेरकर
कल त्रिपाठी...@ अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी,अजित वडनेरकर <br />कल त्रिपाठी जी की टिप्पणी उक्त पोस्ट के प्रकाशन के उपरांत कुछ ही मिनटों में प्राप्त हो गई थी। खुद शिवराम ने दोहों की इस पुस्तक के आमुख में कहा है कि '..... मेरी चित्तवृत्ति में लोक काव्य के ये बीज भी स्फुरित होते रहे। ये दोहे इसी चित्तवृत्ति का परिणाम हैं। छंद का न तो मैं ने विधिवत ज्ञान अर्जित किया, न मेरा पर्याप्त अभ्यास है. इन दोहों में अनेक काव्य दोष हो सकते हैं। जैसे भी हैं प्रस्तुत हैं।'<br />रात देर हो चुकी थी। शिवराम जल्दी सोने के आदी, उन से सुबह संपर्क हो सका। उन्हों ने उक्त दोहे को संशोधित किया। अब संशोधित दोहा मूल के स्थान पर प्रतिस्थापित कर दिया है। शिवराम चाहते हैं कि इस पर भी सुधि पाठक अपनी राय अवश्य दें।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-7265617621270410522009-12-06T08:05:18.784+05:302009-12-06T08:05:18.784+05:30सुन्दरता पर एक सुन्दर रचना !सुन्दरता पर एक सुन्दर रचना !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-58624924198416713502009-12-06T07:51:42.214+05:302009-12-06T07:51:42.214+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-24541639486424340712009-12-06T07:28:03.783+05:302009-12-06T07:28:03.783+05:30सुन्दर रचनासुन्दर रचनाउम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-30633741467456158942009-12-06T05:28:57.424+05:302009-12-06T05:28:57.424+05:30सुन्दर दोहे!!सुन्दर दोहे!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-72554001157072947152009-12-06T03:55:32.859+05:302009-12-06T03:55:32.859+05:30बढ़िया दोहे।
अमरेन्द्रनाथ की बात भी सही है।
बात ...बढ़िया दोहे। <br />अमरेन्द्रनाथ की बात भी सही है। <br />बात शायद यूं बने-<br />असली सुंदर वह छवि, जो अपने मन मांहिं<br /><br />समग्रता में, आपकी और शिवरामजी की रचनात्मकता का सम्मान है और यह सब महत्वपूर्ण नहीं है। शिवरामजी से लगातार कविताई का आग्रह करते रहिए। आपसे ये हमारा आग्रह है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-77707115081044431622009-12-06T02:54:38.181+05:302009-12-06T02:54:38.181+05:30सुंदरता के मर्म की, क्या बतलाएँ बात।
किसी को दिन स...सुंदरता के मर्म की, क्या बतलाएँ बात।<br />किसी को दिन सुंदर लगे, किसी को लगती रात।।<br />बहुत सुंदर भाव,बहुत सुंदर रचना, आप का ओर शिवराम जी का धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-40688702495797525412009-12-05T23:58:01.988+05:302009-12-05T23:58:01.988+05:30सरकार !
काव्य-प्रेमी हूँ , दोहा देख के दौड़ा आया ....सरकार !<br />काव्य-प्रेमी हूँ , दोहा देख के दौड़ा आया .<br />कहीं-कहीं भाव सुन्दर लग रहे हैं ...<br />पर , निराश हुवा दोहे की रवानगी में बाधा <br />देख कर , जैसे यहाँ ---<br /> ............ '' असली सुंदर वह छवि, जिस की छवि मन माँहि।। ''<br />यहाँ दोहे की मात्रा व्यवस्था शिथिल हो गयी है ...<br />ऐसा न होता तो सोने में सुहागा हो जाता ...<br />.... माफ़ कीजियेगा उम्मीद के साथ आया था इसलिए ... ...Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.com