tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post1381904434564503276..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: महाजनी सभ्यता ----- मुंशी प्रेमचन्द भाग-1दिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-30850769896802617732011-11-11T02:24:38.448+05:302011-11-11T02:24:38.448+05:30अजीब समय है……इशारा समाजवाद की तरफ़ जाता है…मैंने भ...अजीब समय है……इशारा समाजवाद की तरफ़ जाता है…मैंने भी आइन्सटीन का लिखा 'समाजवाद ही क्यों?' इधर लगाया था…प्रेमचन्द को गये 75 साल हो गए और इस लेख को लगभग सौ साल…मानव प्रगति कर रहा है और सब कुछ वैसा ही है…चंदन कुमार मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/17165389929626807075noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-30677985721315925472010-10-17T18:09:14.418+05:302010-10-17T18:09:14.418+05:30कमेंट सिरीज के खात्में पर ! फिलहाल तो हमारी हाज़िर...कमेंट सिरीज के खात्में पर ! फिलहाल तो हमारी हाज़िरी और शुभकामनायें कुबूल फरमायें !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-58751508949789968762010-10-17T13:46:07.558+05:302010-10-17T13:46:07.558+05:30जो खाका उस समय खींचा था, अभी भी कुछ नहीं बदला है।जो खाका उस समय खींचा था, अभी भी कुछ नहीं बदला है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-70147440547783761632010-10-17T11:00:20.591+05:302010-10-17T11:00:20.591+05:30आलेख का प्रथमांश पढकर आश्चर्य हुआ। इसलिए नहीं कि ...आलेख का प्रथमांश पढकर आश्चर्य हुआ। इसलिए नहीं कि यह सब आज का सच है बल्कि इसलिए कि यह सब उस समय का भी सच था।<br /><br />तो क्या मान लिया जाए कुछ भी नहीं बदला है? अन्तर केवल स्थितियों के 'विरल' अथवा 'घनी' होने भर का लगता है। आलेख पढते हुए क्षण भर को भी नहीं लगा कि कुछ अनूठा पढ रहा हूँ। सब कुछ तो वही है जो आज मेरे, हम सबके सामने है?<br /><br />यदि वास्तविकता यही है तो फिर हम अतीत की दुहाइयॉं देकर 'आज' को क्यों कोस रहे हैं? लेख तो यही बताता है कि न तब सत युग था न अब है। सब कुछ तो वही का वही है? नया या अनूठा क्या है?<br /><br />आप यह आलेख ढूँढ कर लाए, धन्यवाद। लेख के समापन अंश की प्रतीक्षा रहेगी।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-33837349838191912072010-10-17T09:03:06.005+05:302010-10-17T09:03:06.005+05:30भाई साहब सार्थक पहल की है आपने
विजयादशमी पर्व की ...<i><b> <br />भाई साहब सार्थक पहल की है आपने<br /><br />विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं<br /><br /><a href="http://lalitdotcom.blogspot.com/2010/10/blog-post_17.html" rel="nofollow">दशहरा में चलें गाँव की ओर-प्यासा पनघट<br /></a> </b></i>ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.com