tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post1287180116616201806..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: "कुण्ठा और क्रोपाटकिन" यादवचंद्र के प्रबंध काव्य "परंपरा और विद्रोह" का पंचदश सर्गदिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-53952446385822710962010-08-31T11:12:14.831+05:302010-08-31T11:12:14.831+05:30बहुत सुन्दर प्रभावशाली रचनायें हैं इन्हें पढवाने क...बहुत सुन्दर प्रभावशाली रचनायें हैं इन्हें पढवाने के लिये धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-48641682180253756502010-08-30T08:07:19.128+05:302010-08-30T08:07:19.128+05:30उनको पढ़ना अच्छा लगता है !उनको पढ़ना अच्छा लगता है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-14133493174833578212010-08-30T06:52:34.749+05:302010-08-30T06:52:34.749+05:30कविता में प्रवाह है, ओज है, विद्रोह है।कविता में प्रवाह है, ओज है, विद्रोह है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-18872816148491784702010-08-29T23:26:12.053+05:302010-08-29T23:26:12.053+05:30छीन दूसरों की जो सत्ता अपना पैर जमाता
मार उसे वाप...छीन दूसरों की जो सत्ता अपना पैर जमाता<br /> मार उसे वापस ले लेना हक क्या पाप कहाता<br />बहुत सुंदर रचनाये लगी जी धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-29225308294044180802010-08-29T21:54:17.141+05:302010-08-29T21:54:17.141+05:30यादवचन्द्र जी विद्रोह की परंपरा को क्या खूब निभा र...यादवचन्द्र जी विद्रोह की परंपरा को क्या खूब निभा रहे हैं...युगों से गुजरते...<br /><br />गुजरना हमारा भी आपके जरिए...रवि कुमार, रावतभाटाhttps://www.blogger.com/profile/10339245213219197980noreply@blogger.com