tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post1134835307872619507..comments2024-03-19T10:02:48.954+05:30Comments on अनवरत: और क्या कर रहे हो आजकल/कविता के अलावादिनेशराय द्विवेदीhttp://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-39576681699971271322009-12-14T23:43:57.197+05:302009-12-14T23:43:57.197+05:30अँधेरे में अँधेरे के विरुद्ध और भी अँधेरा -यही अंध...अँधेरे में अँधेरे के विरुद्ध और भी अँधेरा -यही अंधेरगर्दी तो मची है चहुँ ओर !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-88499703406590173392009-12-14T20:11:44.902+05:302009-12-14T20:11:44.902+05:30बचा लेगी प्रेम
सभ्यता और संस्कृति
पर्यावरण और अंतः...बचा लेगी प्रेम<br />सभ्यता और संस्कृति<br />पर्यावरण और अंतःकरण<br /><br />आपके यकीन पर भरोसा करने का दिल करता है।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-81424529749363044522009-12-14T13:46:13.421+05:302009-12-14T13:46:13.421+05:30अकूत आत्मविश्वास से भरी अद्भुत कविता। आपको और रच...अकूत आत्मविश्वास से भरी अद्भुत कविता। आपको और रचनाकार को आपत्ति न हो तो मैं इसका उपयोग करना चाहूंगा।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-43353520131653187412009-12-13T22:40:20.498+05:302009-12-13T22:40:20.498+05:30कवि की आशावादिता संक्रामक है।कवि की आशावादिता संक्रामक है।गौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-70521415316865586862009-12-13T20:11:57.539+05:302009-12-13T20:11:57.539+05:30शायद कविता पर अंधविश्वास की हद तक विश्वास !शायद कविता पर अंधविश्वास की हद तक विश्वास !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-66406255238701241332009-12-13T19:38:08.446+05:302009-12-13T19:38:08.446+05:30कविता शिव को यथासंभव रचती है ..
कविता अ-मनुष्य को ...कविता शिव को यथासंभव रचती है ..<br />कविता अ-मनुष्य को मनुष्यता की ओर <br />प्रेरित करती है .. मनुष्य सर्जना का मूर्त <br />रूप बनता है .. इसलिए कविता उस कोमलता <br />को सहेजती है जहाँ --- वह ---<br />'' बचा लेगी<br />आदमी और आदमियत को<br />स्त्रियों और बच्चों को<br />फूलों और तितलियों को <br />नदी और झरनों को ''<br />हाँ , कवि को सदैव सतर्क रहना <br />चाहिए की वह कहीं '' नीरो '' की <br />तरह कविता-प्रेम न करे ..<br />,,,,,,,,,,,, सुन्दर कविता , आभार ...Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-13915642613063431292009-12-13T19:35:59.362+05:302009-12-13T19:35:59.362+05:30G A Z A B
gazab ki soch aur dhaar ke sath aapne ...G A Z A B <br /><br />gazab ki soch aur dhaar ke sath aapne apni kavita me jo sawal uthaaya hai <br />vah anek arthon me upyogi hi nahin, balki prerak aur urjaa dene wala bhi hai <br /><br />waah !<br /><br />abhinandan !Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09116344520105703759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-70924856883388469532009-12-13T17:56:12.904+05:302009-12-13T17:56:12.904+05:30कविता में ये ताकत तो है ही
झकझोर देती है ये
हमें क...कविता में ये ताकत तो है ही<br />झकझोर देती है ये<br />हमें कविता के अलावा कुछ करने की जरुरत ही क्या हैalka mishrahttps://www.blogger.com/profile/01380768461514952856noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-7255742259107636522009-12-13T17:40:05.737+05:302009-12-13T17:40:05.737+05:30निश्चित ही अद्भुत कविता है
हम प्रक्षेपास्त्र की तर...निश्चित ही अद्भुत कविता है<br /><b>हम प्रक्षेपास्त्र की तरह <br />दाग रहे हैं कविता<br />अंधेरे में अंधेरे के विरुद्ध</b><br />आभारब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1604947878232005729.post-22830731287188791192009-12-13T17:16:42.638+05:302009-12-13T17:16:42.638+05:30अदभुत कविता ! मैं तो कविता की इन पंक्तियों से संकल...अदभुत कविता ! मैं तो कविता की इन पंक्तियों से संकल्प निश्चित कर रहा हूँ अपने कविता-कर्म का, इस विश्वास के साथ कि -<br /><b>"बचा लेगी प्रेम<br />सभ्यता और संस्कृति<br />पर्यावरण और अंतःकरण<br /><br />पृथ्वी को बचा लेगी <br />हमारी कविता"</b>Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.com