@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: महापुरुष

रविवार, 22 मार्च 2020

महापुरुष


एक तरह के लोग सोचते हैं-
कोई है जिसने दुनिया बनाई
फिर दुनिया चलाई
वही है जो दुनिया चला रहा है
वे उसे ईश्वर कहते हैं।

दूसरी तरह के लोग सोचते हैं-
ऐसा कोई नहीं जो दुनिया बनाए और उसे चलाए
दुनिया तो खुद-ब-खुद है
हमेशा से और हमेशा के लिए
वह चलती भी खुद-ब-खुद है
उसके अपने नियम हैं जिनसे वह चलती है
ये लोग जो सोचते हैं
उसे कहते भी हैं और जीते भी हैं।

कुछ तीसरी तरह के लोग हैं
जो सोचते हैं कि कभी कोई ईश्वर रहा होगा
जिसने दुनिया बनाई और चलाई
पर वो कभी का मर चुका है
जीवन ने कीड़े से लेकर वानर तक
और वानर से लेकर पुरुष तक की यात्रा
खुद ही तय की है

वानर के लिए कीड़े का कोई महत्व नहीं
पुरुष के लिए वानर का कोई महत्व नहीं
पुरुष को महापुरुष बनना है
महापुरुष के लिए पुरुषों का कोई महत्व नहीं
वे एक दिन महापुरुष बनेंगे
वे महापुरुष बन रहे हैं
वे महापुरुष बन चुके हैं।

बन चुके महापुरुष सोचते हैं कि मेरे सामने
किसी पुरुष का कोई महत्व नहीं
वे सोचते हैं और अपने इस विचार को जीते भी हैं
लेकिन वे इसे कहते नहीं

वे लोगों को कहते हैं-
ईश्वर कभी नहीं मरता
वह कभी नहीं दिखता
वह कहीँ नहीं आता जाता

मैं उसका पुत्र हूँ
मैं उसका दूत हूँ
मैं उसका अवतार हूँ
तुम मेरे सामने झुको
तुम्हें मेरे सामने झुकना होगा
तुम्हें मेरे सामने झुका दिया जाएगा

ये जो तीसरा व्यक्ति है
खुद-ब-खुद बना हुआ महापुरुष
दुनिया की सबसे खतरनाक चीज है।
कोटा, 22.03.2020
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