@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: कुमार शिव की एक नज़्म ... 'बोलता है उदास सन्नाटा'

गुरुवार, 2 जून 2011

कुमार शिव की एक नज़्म ... 'बोलता है उदास सन्नाटा'

'नज़्म'

बोलता है उदास सन्नाटा
  •     कुमार शिव


रूबरू है शमा के आईना
बंद कमरे की खिड़कियाँ कर दो
शाम से तेज चल रही है हवा

 ये जो पसरा हुआ है कमरे में
कुछ गलतफहमियों का अजगर है
ख्वाहिशें हैं अधूरी बरसों की
हौसलों पर टिका मुकद्दर है

रात की सुरमई उदासी में
ठीक से देख मैं नहीं पाया
गेसुओं से ढका हुआ चेहरा
आओ इस काँपते अँधेरे में
गर्म कहवा कपों में भर लें हम
मास्क चेहरों के मेज पर रख दें
चुप रहें और बात कर लें हम

महकती हैं बड़ी बड़ी आँखें
हिल रहे हैं कनेर होटो के
बोलता है उदास सन्नाटा






12 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

बहुत खूब. आप भी हीरा चुनते हैं..

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत पसंद आई रचना.

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

kyaa baat hai shivji par mahrbaniyaan kher unki rchnaaye aesi hi hain ..akhtar khan akela kota rajsthan

अजय कुमार झा ने कहा…

वाह सर बहुत ही कमाल की हैं पंक्तियां , बेहद खूबसूरत

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

Is sundar nazm ko padhwane ka aabhar.
............
प्यार की परिभाषा!
ब्लॉग समीक्षा का 17वां एपीसोड--

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सन्नाटा सदा ही कुछ कहता हुआ सा लगता है।

Khushdeep Sehgal ने कहा…

वादी में गूंजती हुई खामोशियां सुनें...

दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन...

जय हिंद...

अमिताभ मीत ने कहा…

आहा ! क्या बात है !!
कमाल है साहब ..... बहुत ही उम्दा है .... क्या कहूं ....

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर रचना जी, धन्यवाद

सञ्जय झा ने कहा…

चुप रहें और बात कर लें हम........

DADDA...kai baar aisa bhi hota hai...


pranam.

Anamikaghatak ने कहा…

बेहद खूबसूरत कविता.

Rahul Singh ने कहा…

उदास सन्‍नाटा सिर्फ बोल नहीं. गा भी रहा है.