@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: अंधे आत्महत्या नहीं करते

शनिवार, 22 जनवरी 2011

अंधे आत्महत्या नहीं करते

अंधे आत्महत्या नहीं करते

  • दिनेशराय द्विवेदी

जिधर देखते हैं,
अंधकार दिखाई पड़ता है,
नहीं सूझता रास्ता,
टटोलते हैं आस-पास
वहाँ कुछ भी नहीं है, जो संकेत भी दे सके मार्ग का

तब क्या करेगा कोई?
खड़ा रहेगा, वहीं का वहीं,
या चल पड़ेगा किधर भी।
चाहे गिरे खाई में या टकरा जाए किसी दीवार से
या बैठ जाए वहीं और इंतजार करे 
किसी रोशनी कि किरन का,
या लमलेट हो वहीं सो ले।

लेकिन एक आदमी है 
जो ऐसे में भी रोशनी की किरन तलाश रहा है।
उस की दो आँखें 
अंधेरे में देखने का अभ्यास करने में मशगूल हैं
वह जानता है कि सारे अंधे आत्महत्या नहीं करते
जीवन जीते हैं, वे

आप जानते हैं? इस आदमी को
नहीं न? 
मैं भी नहीं जानता, कौन है यह आदमी?

पर जानता हूँ 
यही वह शख्स है 
जो काफिले को ले जाएगा, उस पार
जहाँ, रोशनी है।

___________ ????_____________


20 टिप्‍पणियां:

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

पता नहीं कब मिलेगी रोशनी इस देश के आम आदमी को..

एस एम् मासूम ने कहा…

सुंदर कविता

Rohit Singh ने कहा…

सर धन्यवाद एक मुहिम शुरु करने की बहुत पहले ठानी थी। कुछ कदम चला भी। मगर फिर रुक गया औऱ जंगलों के जंगल में भटक गया था। याद दिलाने का शुक्रिया.....

Rahul Singh ने कहा…

शीर्षक पढ़ कर लगा कि निभ नहीं पाएगी कविता, लेकिन प्रवाहमय और अंतिम पंक्तियां गुरुतर लेकिन संतुलित, वाह.

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

shi khaa mere bhaai kyonki aek to ande dekhte nhin isliyen unhe kevl ehsaas hotaa he lekin hmare desh me to aaankhen jinke hen voh bhi andhe hen dimag jinke he voh bhi mnd buddhi hen zuban jinke he voh gunge hen yani hmaare desh men so kold andhe gunge behre lule lngde hen jo desh men musibt bne hue hen yeh aankhon ke un andhon se bhut khtrnaak hen jo desh men roshni tlash rhe hen . akhtar khan akela kota rajsthan

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जिनको दिखता है, उन्ही को सालता है।

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सभी को रहनुमा की तलाश है। शेष कुछ दिखाई नहीं देता।
...बेहतरीन कविता।

बेनामी ने कहा…

अंधे आत्महत्या नहीं करते...
क्या खूब...

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

सुंदर भाव हैं। बाँटने का शुक्रिया।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

गहन अभिव्यक्ति ...अंधे व्यक्ति को रौशनी के बिना भी आगे बढ़ने की हिम्मत होती है

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

सुंदर मनोभावों की सशक्त अभिव्यक्ति.

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक ने कहा…

श्रीमान जी, आपका कवि मन जानता है और मेरा भी मन उस व्यक्ति को जानता है. इसलिए आपने इशारों ही इशारों में कविता के माध्यम से बहुत अच्छी अभिव्यक्ति की है. सुंदर अभिव्यक्ति हेतु सशक्त शब्दों का चयन के लिए बधाई स्वीकार कीजिये.

Mithilesh dubey ने कहा…

पर जानता हूँ
यही वह शख्स है
जो काफिले को ले जाएगा, उस पार
जहाँ, रोशनी है।
गजब बात कह दी आपने सर जी, प्रेरणा स्त्रोत रचन के लिए बधाई ।

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

सुंदर कविता.

विष्णु बैरागी ने कहा…

इसी आदमी के दम और भरोसे से डर कर ही भाई लोग खुल कर खेलने की हिम्‍मत नहीं कर पाते।

Arvind Mishra ने कहा…

उन्हें प्रकाश ने कभी ललचाया ही नहीं -बढियां भावाभिव्यक्ति !
वैसे मैं आया आलेख पढने के लिए था

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता...बधाई.
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'पाखी की दुनिया' में भी आपका स्वागत है.

Abhishek Ojha ने कहा…

'सारे' नहीं करते. कुछ तो कर ही लेते हैं !

Satish Saxena ने कहा…

इंतज़ार कर रहे हैं ! शुभकामनायें आपको !

Arunesh c dave ने कहा…

ये जीना भी कोई जीना है बच्चू । पर करें क्या राह दिखाने वाला भी तो कोई हो । कोई आये भी तो देख सकते नही सुन तो सकते है । और लाउड स्पीकर मे फ़िल्हाल सरकार का कब्जा है ।