@import url('https://fonts.googleapis.com/css2?family=Yatra+Oney=swap'); अनवरत: भगत सिंह उवाचः ......

सोमवार, 23 मार्च 2009

भगत सिंह उवाचः ......


आज भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव के शहीदी दिवस पर कोटा के श्रमजीवी विचार मंच ने एक पर्चा वितरित किया है।  इस पर्चे में भगतसिंह आज क युवाओं और नागरिकों को संबोधित कर रहे हैं। क्या कहते हैं वे जानिए खुद .....

  • मैं जानता हूँ कि आप मेरी कुर्बानी का आदर करते हैं। लेकिन मैं ने यह कुर्बानी इसलिए नहीं दी कि भावी पीढ़ियाँ मेरा आदर करें।  बल्कि इस लिए कि मेरे देश की तरुणाई जागे, उस का खून खौले। वे मृत्यु की परवाह किए बिना देश और देशवासियों की आजादी और उन्नति के लिए हर प्रकार की गुलामी, गैर बराबरी और अवनति के बंधनों तो तोड़ फेंक दें।
  • सोचिए, अपने और देश-दुनिया के हाल के बारे में सोचिए!
  • सोचिए, और अपने हुक्मरानों से सवाल कीजिए कि आखिर इस बदहाली की जिम्मेदारी किस की है? यह जिम्मेदारी इन हुक्मरानों की कैसे नहीं है? 
  • सब को शिक्षा सब को काम, सब को रोटी, कपड़ा और मकान, सब को चैन सब को आराम, जो दे सके ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। 
  • हमारे वक्त में हम ने पाया कि साम्राज्यवादी बेड़ियों में फँसी सामंती समाज व्यवस्था यह सब नहीं दे सकती, हम उस से लड़ें।
  • ब्रिटिश साम्राज्यवाद से मुक्ति मिली लेकिन अब अमरीकी साम्राज्यवाद के अप्रत्यक्ष जाल में हम लगभग फँस गए हैं।
  • सामंती बाहुबली अपनी सत्ता बनाए हुए हैं।  पूँजी वादी व्यवस्था असुरक्षा और अनिश्चय के भंवर जाल में फँस गई है।
  • शोषण-दमन असुररक्षा और अनिश्चय,  भूख और बेकारी, गरीबी और अपमानपूर्ण जिन्दगी से छुटकारे की राह कौन तलाशेगा?
  • विद्यमान व्यवस्था के पेचोखम कौन समझेगा? 
  • मैं पूछता हूँ आप लोग, देश की युवा पीढ़ी नहीं तो और कौन?

विनीत-
महेन्द्र नेह, शिवराम, टी.जी. विजय कुमार, महेन्द्र पाण्डे, नारायण शर्मा, शब्बीर अहमद, परमानन्द कौशिक, तारकेश्वरनाथ तिवारी, हरदयाल सिंह,  ओम प्रकाश गुप्ता, चाचा मजीद, गोपाल सिंह मास्टर, लक्ष्मण सिंह हाड़ा, बाबा अमर सिंह विजय शंकर झा एवं अन्य साथी

15 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

भगत सिंह के जीवन दर्शन का अनुसरण कर सचमुच युवा पीढी अपनी सही दिशा चुन सकती है ! भगत सिंह को याद करने और कराने के लिए आभार !

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

वाकई इस पोस्ट से मन को बहुत प्रफुल्लता मिली ,लेकिन अफ़सोस केवल यह है कि जिन आदर्शों और मूल्यों के लिए इन वीरों ने अपने प्राण अर्पित कर दिए उन्हें हम लोंगों ने विस्मृत कर दिया .आज कहीं भी किसी ने इनकी सुधि नहीं ली .आपको एक बेहतरीन पोस्ट के लिए धन्यवाद .

राज भाटिय़ा ने कहा…

मेरे बुजुर्ग शहीदो को सब से पहले नमन, ओर अगर हम सब इन शहीदो के पद चिन्हो पर चले तो बात ही क्या है, लेकिन आज नेता, जनता सब इन बातो से उलटा चल रहे है.
धन्यवाद इस बहुत ही सुंदर लेख के लिये

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

शहीदों को नमन और याद करने के लिये आपका आभार. आज इस बात की ज्यादा आवश्यकता है.

रामराम.

बेनामी ने कहा…

जरूरी कार्य.....असर छोडता ही है....
भगतसिंह के विचारों की गागर में सागर के लिये शुक्रिया.....

बवाल ने कहा…

बहुत ही आदर्श पोस्ट सर । परमानंद प्राप्त हुआ । हमारा आज का शेर भी दरस्ल शहीदे आज़म की पीढ़ी और आज की पीढ़ी का अन्तर स्पष्ट करने के लिए था । ना जाने लोगों ने क्या और समझ लिया, हा हा ।

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

आदरणीय द्विवेदी जी
कोटा के श्रमजीवी विचार मंच द्बारा वितरित पर्चे को हम आज की विसंगतियों के विरुद्ध उठता असंतोष ही कहें तो अच्छा होगा , निश्चित तौर पर वक्त आ गया है कि युवा पीढी कई दशकों से पीड़ित प्रजातंत्र की आत्मा को और आगे कष्ट न सहने दे.. "युवा" प्रजातंत्र की यथार्थ भावना समझें और अपना कर्तव्य निर्वहन करें जैसा हमारे इन लाडलों ने किया था
- विजय

अजित वडनेरकर ने कहा…

बहुत बढ़िया। पवित्र, प्रेरक और शुभकारी शब्द-संकल्प...अफ़सोस...
कौन इन्हें गुन रहा है, कौन इसे सुन रहा है...

Tarun ने कहा…

इनके आदर्शों में १-२ नेता भी चल जायें तो देश का आधा भला ऐसे ही हो जायेगा, इन शहीदों को मेरा नमन

Dr. Amar Jyoti ने कहा…

इन शहीदों की स्मृति को नमन और आपको साधुवाद।

Smart Indian ने कहा…

शहीदों को नमन!

Ek ziddi dhun ने कहा…

पर्चे की शुरुआत में ही जो बात है कि इसलिए वबिलदान नहीं दिया कि आप आदर करें, महत्वपूर्ण है। अधिकतर ब्लॉगरों ने शत-शत नमन के अंदाज में पोस्ट दी हैं। यह पोस्ट बेहद जरूरी थी, ऐसे में

विष्णु बैरागी ने कहा…

ये सारे कथन पहली बार सामने नहीं आ रहे हैं। बरसों से 'एक रस्‍म की तरह' सामने आ रहे हैं, सब पढ रहे हैं और या तो 'वाह वाह' कर रहे हैं या फिर आहें भर रहे हैं। हर कोई चाह रहा है कि लोग इन कथनों को आचरण में उतारे। लेकिन शुरुआत काई नहीं करना चाहता। हर कोई चाहता है कि उसका पडौसी भगतसिंह बने और वही सारी समस्‍याओं का निदान लाए।
आदर्शों के प्रतीकीकरण के विशेषज्ञ समाज में वही होता है जो हो रहा है।
मैं भी प्रीतक्षा कर रहा हूं कि मेरा पडौसी भगतसिंह बन जाए। देखूं, कब बनता है। बनता भी है या नहीं।

अभिषेक मिश्र ने कहा…

Acche sawal uthaye hain aapne.

RAJ SINH ने कहा…

KASH BHARAT KA HAREK NAGRIK AISA KUCH THODA HEE SOCH LE !

MAIN AAPKEE 'JAN TANTAR KATHA' KA PATHAN MANAN KAR RAHA HOON .

BAS ITNA HEE KAH SAKTA HOON KI AAP MERE SAHIT BAHUTON KEE BAAT KAR RAHE HAIN . SIRF MUJHE YEH NAHEEN PATA KI AISE LOG ALPMAT HAIN , LEKIN BHARAT KA BAHUMAT YAHEE CHAHTA HAI .
SADAR .